Thursday, December 3, 2015

भारत नाम का अंडरवि‍यर... Fit to All..

कुछ भी बना लो इसे। अलग अलग नामों और तरहों की माएं बना लो या फि‍र कि‍सी को भी उठाकर इसका बाप बना लो। एक बाप से मन भर गया हो तो दूसरा बाप अवतार कहके खड़ा कर लो, ईमान से, ये कुछ भी बन जाएगा। मां-बाप के अलावा जि‍तने रि‍श्‍ते हों, वो भी बना लो, कसम से, ये उफ भी नहीं करेगा। जब चाहो, जि‍ससे चाहो बोल दो धमकी देने को तो धमकी दि‍ला लो इसे, घंटा इसपर कोई असर नहीं पड़ेगा। ये इतना बड़ा है कि पि‍छले दो हजार से भी ज्‍यादा साल से जब चाहे, जो चाहे और जहां चाहे, आकर अपनी नाप का कुछ न कुछ सि‍ल ले रहा है। सि‍लना ही नहीं, कुछ भी बनकर कि‍सी से भी मि‍ल ले रहा है।

अबे कोई धोबी है का, आंय, अबे धोबी लंगोट नहीं सि‍एगा त का आं... त का घंटा बजाएगा

कुछ भी सि‍ल लो इसका, ये अपने कटने का बुरा नहीं मानेगा। कटने पर जो कीचड़ होगा, उसे भी सोखकर सड़क बना देगा। पहले भी कि‍तनी बार कट चुका, कराह चुका अभी भी अपना पूरा बदन लेकर तैयार है और नोचने वाले नोच नोचकर ठीक ठाक खा भी चुके, मजाल है कि इसके मुंह से एक अदद बड़ी कराह नि‍कल जाए जो सबको नहीं तो कम से कम हमें सुनाई पड़े। जब चाहो इसका कान बंद कर दो और जब चाहो इसका मुंह या फि‍र... वो भी। जब चाहो इसे धोती पहना दो तो जब चाहो तो पूरा न्‍यूड कर दो। अबे मजाल है कि ये कभी बुरा मान जाए।

हे हनुमान जी माराज, हमको बर दो, यही रसरी से यही खाट पे बर दो हमको

भरी सभा में उछाल लो, नेट न भी हो तो भी गोल मार लो। अंदर तो अंदर बाहर भी खंगाल लो तो भी न तो ये मि‍लेगा न अपने मि‍लने का बुरा मानेगा। भीड़ में धकेल दो, ट्रेन में पेल दो, जब चाहो तब जेल दो, गारंटी है पूरे पांच साल की, सब भूल जाएगा और उप्‍पर देख कहेगा कि आएगा.. नया रूल आएगा। यकीन मानो, तब भी चलता नजर आएगा, हि‍लता नजर आएगा।

ठस नहीं है ये। भारत है ये।

इंदू जी इंदू जी क्‍या हुआ आपको
कउन सा नसे में भूल गईं बापको

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