Sunday, December 28, 2014

गाने के लि‍ए एक गारी

(नहीं जानता, कि‍तने लोग गारी से परि‍चि‍त होंगे। ये मेरे अवध की परंपरा है जि‍समें ब्‍याह होने के दूसरे दि‍न महि‍लाएं वर पक्ष के पि‍ता को गाना गाकर गालि‍यां देती हैं..)
धरम ध्‍वजा धारी, कि बड़े सदाचारी
नचावैं नई कन्‍या, दुआरे पे कुमारी
बरसै मंतर, कि रख के कटारी
धरम ध्‍वजा धारी, कि बड़े सदाचारी।
..... अरे साथे साथे पुरवावा हो बहि‍नी.... का जनी कहां गईं मनोरमा मउसी...
दहि‍जरा के चोदे, बनैं हैं पटवारी
बि‍स्‍तरा पे सोवैं, रात भर एक्‍कै वारी
समधन का तूड़़ैं, ना पावैं एक्‍को बारी
हाथ बना समधी, तोहार बीमारी।
गन्‍ना मा खींचैं, मेहतरि‍न कै सारी
धरम ध्‍वजा धारी, कि बड़े सदाचारी
छोल दि‍हि‍स गन्‍ना तोर 'ऊ' चहुंवारी
समधी बना सगरे देस के बलत्‍कारी।
पहि‍नैं भगवा औ मन भा अहंकारी
समधी यै हमरे बहुत संसारी
छोड़ैं ना मुल्‍ला ना लौंडि‍या कुंवारी
गांव भरे मा यै फैलाइन बीमारी।
तौनौ पे हमरे समधी यस, कि इनका रच्‍चौ सरम आय जाय तौ कहै के कौनौ बात बा
कि...
धरम ध्‍वजा धारी, कि बड़े सदाचारी
लौंडि‍या देख-देख बनि‍न बलात्‍कारी
मुल्‍लन का देख कौम बनाइन हत्‍यारी
कैइसे दी इनका आपन बि‍टि‍या बेचारी....
कैइसे दी इनका आपन बि‍टि‍या बेचारी....
कैइसे दी इनका आपन बि‍टि‍या बेचारी....
यहलि‍ए... जा हो समधी। तोहार हमरे घरे दाल ना गल पाए। भि‍नौखा के खिचड़ी खाय के जरूरत नाय बा। हमका नाय चाही यस समधी... जे तोहरे नाय होय।

राइजिंग राहुल अवध बीज भंडार हरिंग्‍टनगंज मि‍ल्‍कीपुर वाले 

Saturday, December 27, 2014

नतमस्‍तक मोदक की नाजायज औलादें- फोटो कैसे देखें (3)

प्रश्‍न- इस फोटो को आप कैसे देखते हैं?
उत्‍तर- न जाने कौन भो*** वाला मादर**** हमेशा हिंदू धरम का अपनान करने में लगा रहता है। मल्‍लब कि अपमना करने में लगा रहता है। जरूर कोई मुल्‍ला होगा साला पाकि‍स्‍तान जा जाकर भैंसा का नल्‍ला चूस चूस के हरामी ऐसी फोटो बनाया है, हम इसकी मां चो*** देंगे हरामी की। हमारे हिंदू धर्म का नाश करने में लगा है अइसी फोटो बनाकर। हमको इतना शरम लगी इतना शरम लगी इस फोटो को देखकर कि हमको माता सुरसती की चू** औ चू*** दोनों ढकनी पड़ी। यही फोटो बनाता था कि हरामी मुल्‍ला हुसैनवा, उसकी तो हमलोग इतनी गां*** मारे, इतनी गां*** मारे कि हरामी को छ: गज जमीनो नहीं मुहैया कराए। मादर***** की गां*** पे लात मारकर इस देश से नि‍काल दि‍ए हरामी को। हमारे देवी का फोटो बनाकर हमारे देवी का अपमान करता है साला, इसको पता नहीं कि देवी सरसुती बगैर पूरा कपड़ा पहने कि‍सी को दरसन नहीं देती। और र्इ साला देवी सुरसत्‍ती की नंगी फोटो बनाके साला उनको ब्‍लू फि‍ल्‍म की देवी बनाना चाहता है? ये फोटो देखकर जि‍स हिंदू भो**** वाले का खून ना खौले, वो खून नहीं पानी है। हमसे ज्‍यादा ना बुलवाओ इस फोटो पे, नहीं तो अभी तुम्‍हारे मुंह में मूत देंगे भो**** के। हटाओ ये फोटो हरामी साले!!!

नतमस्‍तक मोदक की नाजायज औलादें- फोटो कैसे देखें (2)

प्रश्‍न- इस फोटो को आप कैसे देखते हैं?
उत्‍तर- झां*** भर की इस फोटो में तीस लोग एक साथ बैठे हुए हैं। ये जो टोपी वाले लोग इस फोटो में दि‍ख रहे हैं, साले पहले कटुए थे। इन्‍हें हमने बताया कि बेटा, सीधे सीधे हमारा धर्म मान लो, नहीं तो जि‍स माचि‍स की तीली से हवन में आ लगा रहे हैं, उसका बांस बनाकर तुम्‍हारी गां**** में खोंस देंगे। फि‍र ना कहना बताया नहीं। फोटो में कुल जमा पांच बच्‍चे भी नजर आ रहे हैं, जि‍नको हमने हिंदू बनाया है। हालांकि पवि‍त्र हवनकुंड से नि‍कले धुंए से एक बच्‍ची की आंख में तकलीफ है और वो रो रही है, पर हमें पता है कि असल में वो रोना नहीं है। वो तो पवि‍त्रीकरण के दौरान हुआ पावनीकरण है। हवन कुंड के ठीक बगल जो आहुति रखी गई है, वह शुद्ध गाय के गोबर से बनी है। आजकल गायें भी बहुत अशुद्ध हो गई हैं। ऐसा तबसे हुआ, जबसे हमारी गायें कटुओं की बकरि‍यों से मि‍लने लगी हैं। इसीलि‍ए हमारे हिंदू भाई ऐसी अशुद्ध गायों को कटवाकर हिंदू धरम की रक्षा करते हैं। हम जात पात पर ध्‍यान नहीं देते, इसीलि‍ए पवि‍त्रीकरण की पूरी प्रक्रि‍या सिंघल जी ने खुद अपने हाथों से की है। उनके साथ वर्मा जी और अग्रवाल जी भी थे, पर हमने बि‍लकुल भी कि‍सी ब्राह्म्‍ण को इसमें शामि‍ल नहीं कि‍या।

नतमस्‍तक मोदक की नाजायज औलादें- फोटो कैसे देखें (1)

प्रश्‍न- इस फोटो को आप कैसे देखते हैं?
उत्‍तर- ये तीन तीलि‍यां हैं। पहली तीली, तीसरी तीली से बड़ी है लेकि‍न बीच की तीली भी आखि‍री तीली से बड़ी है। आमतौर पर हम बड़ी तीली नि‍कालते हैं, पर कभी अगर वो काम नहीं करती है तो बीच की तीली से भी काम चला लेते हैं। तीलि‍यों की सबसे ज्‍यादा डि‍मांड हम कभी भी और कहीं भी पैदा कर सकते हैं। इस डि‍मांड में हम बड़ी तीली के साथ चार छोटी तीली फ्री में देते हैं ताकि एक भी कटुए माद**** का घर बचा ना रह पाए। हम बहुत अच्‍छे से इन तीलि‍यों का मतलब समझते हैं और समय समय पर कुटओं और क्रि‍स्‍तानों हरामि‍यों को समझाते रहे हैं। ये तीलि‍यां असल में तीलि‍यां नहीं, धरम पताका का वो बांस है, जो हम कभी मुजफ्फरनगर तो कभी फैजाबाद और तो कभी बरेली अलीगढ़ मेरठ में करते रहते हैं। और हां, तीलि‍यों की यू तस्‍वीर हमने इटली में रहने वाले फ्रांसेस्‍को (www.facebook.com/francesco.arminante) से खिंचाई है। इसके लि‍ए हमने उन्‍हें कुछ भी नहीं दि‍या है क्‍योंकि तीलि‍यों का काम जलाना होता है, देना नहीं। इति‍हास गवाह है कि हमने आग से जलाना ही सीखा है बनाना नहीं सीखा है। अब, जबकि धरमयुग आ गया है तो तीलि‍याें यानि की धरम का बांस सबकी गां*** में करने का भी वक्‍त आ गया है। इसलि‍ए पहली फोटो हम आप लोगों को तीली पर ही समझा रहा हूं। बुझाया?

करारा है करारा है

करारा है करारा है 
जबर करारा है 
सबर करारा है 
करारा है करारा है 
अटल सा कच्‍छा, पहि‍न के बच्‍चा, नि‍कले जब बाजार 
लास्‍टि‍क ढीली, पैंट भी गीली, सबने ली उतार...
कि
उतार के मारा है
करारा है करारा है
सब सारारारारा है
बहुतै करारा है
हर हर गंगे, हो गए नंगे, हंसे दांत चि‍यार
सत्‍तर लोगन से अब तो ये रोज खा रहे मार
फि‍र भी..
लुटाएं देस सारा है
करारा है करारा है
तब भी..
जंगल हमारा है
जोहार चहुंवारा है
करारा है करारा है
तीस की मलाई, रास ना आई, उल्‍टी बही बयार
धरम पताका, बम धमाका, सबकुछ हुआ बेकार।
और अब
गालि‍यों ने तारा है
करारा है करारा है
क्‍या घुमाके मारा है
करारा है करारा है

गालियां ही गालि‍यां

आली आली आली आली 
आली आली गाली आली 
गाली गाली गाली आली 
आली आली आली गाली 
गाली का हुआ जमाना 
गाली का हुआ जमाना 
खाके इसे मर जाना 
नजर कहीं ना आना 
गलती से ना दि‍ख जाना 
क्‍यूंकि 
गालि‍यां ही गालि‍यां 
हर तरफ हैं गालि‍यां 
गालि‍यों से भर गईं 
हर शहर की नालि‍यां 
गांव में खेत में 
नदी में रेत में 
भूखे के पेट में 
चवन्‍नी के रेट में 
धरम धुर बवालि‍यां 
और उनकी गालि‍यां
गालि‍यां ही गालि‍यां 
हर तरफ हैं गालि‍यां 
ट्रेनिंग चारों ओर है 
मा बहन का शोर है 
बेटी बहू साथ सब 
जाना कि‍स ओर है
आंख थी, वो फूट चुकी 
नजर क्‍यूं सवालि‍या 
गालियां ही गालि‍यां 
हर तरफ हैं गालि‍यां।

नतमस्‍तक मोदक की नाजायज औलादें (25)

प्‍योर जहर (अनएडि‍टेड)
चेतावनी- एक भक्‍त से कमेंटबॉक्‍स में हुई यह बातचीत पूरी तरह से रि‍कॉर्डेड है। इसमें बहुत गालि‍यां है, इसलि‍ए पढ़ने से पहले न पढ़ने के बारे में भी सोच सकते हैं।
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उत्‍तर- तेरे को क्‍या प्रॉब्‍लम हो रही है?
प्रश्‍न- मेरे लि‍खे से आपको कैसे लगता है कि सांप्रदायि‍कता फैल रही है?
उत्‍तर- बहन*** मुल्‍लों की मा की च*** सालों ने आज तक कुछ अच्‍छा कि‍या है इंडि‍या के लि‍ए? ये साले हरामखोर मा के लौ****
प्रश्‍न- उनने नहीं कि‍या, तो आपने क्‍या कि‍या है?
उत्‍तर- हा हा हा, तू मेरे से ना पूछ कि मैने क्‍या कि‍या? मैने कभी पाकि‍स्‍तान को गाली नहीं दी, पर ये मुल्‍ला साले इंडि‍या का बुरा सोचते हैं। हर टाइम बहन*** जि‍स देश ने इनको पनाह दी, जमीन दी रहने को, उसी देश के खि‍लाफ गद्दारी कर रहे हैं। साले हर कदम पर धोखा देते हैं ये कटुए। कि‍तनी लड़कि‍यों को लव जि‍हाद में फसाकर बरबाद कि‍या है इन मुल्‍लों ने? ये जानता होता तो तू आज ऐसी बात ना करता। सारे आम ओवैसी और अब्‍दुल्‍ला कहते हैं कि जरूरत पड़ने पर वो पाकि‍स्‍तान की तरफ से लड़ेंगे। और क्‍या बताऊं तुझे?
प्रश्‍न- लव जि‍हाद में बरबाद हो चुकी हमारी हिंदू बहनों के लि‍ए क्‍या हो रहा है?
उत्‍तर- बरबाद इंसान का तो कुछ कह नही सकता, पर हां, जि‍स जि‍स लड़की को ये लव जि‍हाद का पता चल रहा है, वो तो सर्तक हो रही है, बचा रही है अपनी जान को इन हरामि‍यों से
प्रश्‍न- कि‍न हरामि‍यों से?
उत्‍तर- मुल्‍लों से, और कि‍नसे? तुझ जैसे बंदे ही होते हैं जो देश को डुबाते हैं। आज तू मेरे से सवाल जवाब कर रहा है, कल को यही मुल्‍ला तुझे गां*** पर लात मारकर भगा देंगे अगर तू इनके स्‍टेटस पर कुछ भी बोल आया तो। इनकी मा तो अब चु*** रही बहन**** की अभी तो गां*** और मारेगी, जब मोदी 2 साल बाद इनकी मा की चू*** में आग लगाएगा आरएसएस के साथ मि‍लकर। जा यहां से तू भी मुसलमान बन जा, फि‍र मेरे से सवाल जवाब कर
प्रश्‍न- आरएसएस के साथ मि‍लकर क्‍या होगा, जरा उसके बारे में बताइये?
उत्‍तर- लौ*** चूस तू मेरा भो*** के गां*** मरा मुल्‍लों से। हम हिंदू हैं, हम मा चो*** इनकी
प्रश्‍न- कैसे करेंगे ये सब?
उत्‍तर- (इसका उत्‍तर नहीं मि‍ला)

नतमस्‍तक मोदक की नाजायज औलादें (24)

प्रश्‍न- ठंड बहुत बढ़ गई है, क्‍यों?
उत्‍तर- नहीं
बेटी*****, लू चल रही है!
प्रश्‍न- नहीं, वाकई ठंड बढ़ गई है?
उत्‍तर- हम कह तो रहे हैं कि लू चल रही है! रामसजीवनवा कखरी में प्‍याज दबाए घूम रहा है!
प्रश्‍न- अकेले यूपी में ठंड से दर्जनों की जान चली गई?
उत्‍तर- वो साले बुड्ढे रहे होंगे।
प्रश्‍न- जवानों की भी जान गई है?
उत्‍तर- वो साले भरी जवानी में बुढ़ा गए होंगे
प्रश्‍न- आपका मतलब है ठंड नहीं है और वो लोग ठंड से नहीं मरे?
उत्‍तर- उनकी आई थी मर गए। वैसे भी बूढ़ों को ही ठंड लगती है
प्रश्‍न- और आपको?
उत्‍तर- क्‍या हमको बे?
प्रश्‍न- मतलब क्‍या आपको ठंड नहीं लग रही?
उत्‍तर- अबे ठीक से पहनते ओढ़ते हैं, बढ़ि‍या खाते हैं... झां*** लगेगी हमको ठंड!
प्रश्‍न- और आपके उनको?
उत्‍तर- मेरे कि‍नको?
प्रश्‍न- आपके आका, आपके सरदार, आपके नमो को, क्‍या उनको भी नहीं लगती?
उत्‍तर- देखे नहीं, छुच्‍छै सदरी पहने टहलते हैं हर जगह। उनको भला ठंड लग सकती है?
प्रश्‍न- पर आपने तो सदरी के नीचे स्‍वेटर और इनर भी पहन रखा है?
उत्‍तर- तुम ये बताओ कि तुम अपनी गर्मी का इंतजाम कैसे करते हो बक****?
प्रश्‍न- पर माहौल गरम हो गया है?
उत्‍तर- अब आए ना सही लाइन पे। तुमसे हम पहले भी कहे थे छोटी लाइन की सवारी छोड़ दो
प्रश्‍न- गलत लोगों को भारत रत्‍न मि‍लने पर माहौल गर्म हुआ है?
उत्‍तर- कौन से गलत लोग भो**** के। वाजपेयी जी को मि‍ल रहा है तो तुम्‍हारी गां*** क्‍यों फट रही है?
प्रश्‍न- पर उनने तो गद्दारी की थी?
उत्‍तर- तो?
प्रश्‍न- ऐसे में भारत रत्‍न का कोई तुक नहीं बनता?
उत्‍तर- नहीं तो क्‍या तुम माओवादि‍यों को दे दें भारत रत्‍न? कल को तुम कहोगे कि कल्‍लू पाकेटमार को भी दे दें भारत रत्‍न
प्रश्‍न- उनने सैनि‍कों के ताबूतों में पैसे खाए?
उत्‍तर- उनने गां*** भी मराई। फि‍र भी देंगे, झां*** उखाड़ लो अब
प्रश्‍न- उनने आतंकि‍यों को रि‍हा कि‍या?
उत्‍तर- तुम अपनी बीवी को मारते थे ना?
प्रश्‍न- उन्‍हीं के वक्‍त में गुजरात दंगा हुआ?
उत्‍तर- तुम्‍हारी बीवी शहर भर में कहती घूम रही है कि तुम उसे मारते थे
प्रश्‍न- सीमा पर जवान से लेकर देश के अंदर हिंदू-मुसलमान, सैकड़ों की संख्‍या में मारे गए?
उत्‍तर- अभी तो हमें यही लग रहा है कि तुम्‍हारी गां*** टूटने वाली है
प्रश्‍न- ऐसे आदमी को भारत रत्‍न देने का क्‍या तुक है?
उत्‍तर- अभी अगर तुम्‍हारी गां*** टूट जाए तो कोई तुक है? बोलो? है कोई तुक?
प्रश्‍न- आप गालि‍यों में वाजि‍ब सवाल को नजरअंदाज नहीं कर सकते?
उत्‍तर- तो गोलि‍यों में कर देंगे। कोई कमी थोड़े है
प्रश्‍न- क्‍या मतलब, आप हथि‍यार इकठ्ठा कर रहे हैं?
उत्‍तर- नहीं भो*** के, झाड़ू की तीली इकठ्ठा कर रहे हैं
प्रश्‍न- क्‍या करेंगे इन हथि‍यारों का?
उत्‍तर- स्‍वदेश सफाई अभि‍यान चलाएंगे
प्रश्‍न- हथि‍यारों से कैसी सफाई?
उत्‍तर- कटुए साले बड़ी गंदगी करते हैं
प्रश्‍न- पर उनके मुहल्‍ले में आपकी पालि‍का का स्‍वीपर नहीं जाता?
उत्‍तर- गंधैलों के यहां हमारे स्‍वीपर भी जाने से बचते हैं
प्रश्‍न- मतलब आप उनके यहां सफाई भी नहीं होने देंगे और उन्‍हें मार भी देंगे?
उत्‍तर- एक और तरीका है
प्रश्‍न- क्‍या?
उत्‍तर- उनसे बोलो घर वापस आ जाएं, माफ कर देंगे
प्रश्‍न- चुनाव के पहले तो आप सबके वि‍कास की बात करते थे?
उत्‍तर- वो तो अब भी करते हैं। आगरा से लेकर एमपी छत्‍तीसगढ़ देख लो, सैकड़ों लोगों का वि‍कास कि‍या।
प्रश्‍न- कैसे कि‍या ये वि‍कास?
उत्‍तर- दुनि‍या के सबसे बड़े धर्म में वापसी कराई। क्‍या ये वि‍कास नहीं है?
प्रश्‍न- धर्म परि‍वर्तन वि‍कास है?
उत्‍तर- बीपीएल कार्ड वि‍कास है। योगी जी का साथ है, जो ना माने लात है। लात खाओगे? आज धुलकर लाए हैं
प्रश्‍न- पर आप तो धर्म परि‍वर्तन का वि‍रोध करते आए हैं?
उत्‍तर- और हमेशा करते रहेंगे। संसद में कानून भी बनाने जा रहे हैं
प्रश्‍न- कानून बना तो आप भी ये हरकतें नहीं कर पाएंगे?
उत्‍तर- कौन सी हरकतें?
प्रश्‍न- यही, घर वापसी जैसी हरकतें?
उत्‍तर- हमें कौन रोकेगा?
प्रश्‍न- आपका ही बनाया कानून?
उत्‍तर- चूति‍ये हो तुम
प्रश्‍न- वो कैसे?
उत्‍तर- अबे कानून उनके लि‍ए बना रहे हैं घोंचू
प्रश्‍न- मतलब आप कानून नहीं मानेंगे, घरवापसी कराते रहेंगे?
उत्‍तर- बि‍लकुल। भारत हिंदू राष्‍ट्र था, है और रहेगा। हम बनाएंगे
प्रश्‍न- पर इति‍हास में तो ऐसा नहीं लि‍खा?
उत्‍तर- बतरा वाला पढ़ो। सब लि‍खा है
प्रश्‍न- आप तो पूरी तरह से आतंकि‍यों जैसी बात कर रहे हैं?
उत्‍तर- धर्म का राज तो तुम स्‍टालि‍न की नाजायज औलादों को आतंक ही दि‍खेगा
प्रश्‍न- आपके मुताबि‍क देश में धर्म का राज है?
उत्‍तर- नहीं तो क्‍या भो*** के अधर्म का राज है?

Saturday, December 20, 2014

नतमस्‍तक मोदक की नाजायज औलादें (23)

प्रश्‍न- आपने भागवत का बयान सुना?
उत्‍तर- शेर दहाड़ रहा है
प्रश्‍न- बताइये तो सही, क्‍या आपने भागवत का बयान सुना?
उत्‍तर- शेर दहाड़ रहा है
प्रश्‍न- उन्‍होंने कहा कि जवानी जाने से पहले हिंदू राष्‍ट्र बना देंगे, इसपर आपको कुछ कहना है?
उत्‍तर- शेर दहाड़ रहा है
प्रश्‍न- मतलब आपको कुछ नहीं कहना?
उत्‍तर- आज साले तुमको कोई जवाब नहीं देंगे। शेर दहाड़ रहा है
प्रश्‍न- पर क्‍यों नहीं देंगे?
उत्‍तर- तुम साले हमको बहुत चूति‍या बनाए हो। शेर दहाड़ रहा है
प्रश्‍न- फि‍र भी, भागवत के कहे से आप तो जोश में होंगे?
उत्‍तर- शेर दहाड़ रहा है
प्रश्‍न- अच्‍छा चलि‍ए, कि‍सी से नहीं कहूंगा?
उत्‍तर- तुम साले चार गांव गाते हो, झां*** बात नहीं करूंगा
प्रश्‍न- कि‍सी से नहीं कहूंगा। अब तो बताइये?
उत्‍तर- तुम दोगले हो हरामी, तुम्‍हारा कौन वि‍श्‍वास?
प्रश्‍न- पक्‍का वादा करता हूं। अब तो बताइये, भागवत का बयान सुना?
उत्‍तर- सुना। शेर की तरह दहाड़ के बोले। हरामी कटुओं की तो फट के हाथ में आ रही होगी
प्रश्‍न- आपको लगता है कि भागवत को युवाओं की चिंता है?
उत्‍तर- हमको तो तुम्‍हारी चिंता है, बताए नहीं भो**** के, दि‍ल्‍ली में काम कैसे चलाते हो?
प्रश्‍न- सवाल  का जवाब दीजि‍ए?
उत्‍तर- तो कि‍सको चिंता है बे? पप्‍पू को चिंता है तो बताओ?
प्रश्‍न- भागवत ने ऐसा क्‍यों कहा?
उत्‍तर- सही कहा, शेर दहाड़ रहा है। बेटा आज ना फंसने वाले :P
प्रश्‍न- कोई नहीं। ये बताइये, आपके यहां सब शेर हैं?
उत्‍तर- ये वीरों की धरती है। शेर ही वीर होते हैं और वीर ही शेर होते हैं
प्रश्‍न- आपके यहां इंसान या आदमी नाम का भी कोई चीज होता है?
उत्‍तर- शेर दहाड़ रहा है। देखा भो*** के। :P
प्रश्‍न- शेर जंगल में होता है, तो क्‍या माना जाए कि देश भी जंगल ही है?
उत्‍तर- जंगल नहीं तो क्‍या झां*** है बे? शेर ही जंगल पर राज करता है
प्रश्‍न- मतलब जंगलराज चल रहा है ?
उत्‍तर- धर्म का राज तो तुम हरामी स्‍टालि‍न की नाजायज औलादों को चुभेगा ही। साले दोगले कहीं के
प्रश्‍न- आप मुझे बार बार दोगला क्‍यों कह रहे हैं?
उत्‍तर- रायपुर में हमसे लेकर भो*** के हमी से सवाल पूछते हो? तुम्‍हारी तो पूरी जात ही दोगली है मा*********
प्रश्‍न- मैं रायपुर नहीं गया?
उत्‍तर- तेरे सगे वाले तो गए थे हरामी? अब बोलो, लौकी की तरह मुंह काहे लटक रहा है?
प्रश्‍न- जो लोग गए हैं, वक्‍त उनका इति‍हास लि‍खेगा, लि‍ख रहा है?
उत्‍तर- वक्‍त झां*** लि‍खता है और झां**** लि‍खेगा। तुम बताओ, तुमने कौन सी झां*** उखाड़ ली दोगले साले?
प्रश्‍न- मैने भी उनके खि‍लाफ लि‍खा?
उत्‍तर- तुम्‍हारी सुनता कौन है बे?
प्रश्‍न- कोई तो सुनता होगा?
उत्‍तर- झां**** कोई सुनता होगा। तुम्‍हारी कोई नहीं सुनता। हमी सुनते हैं और साले हमी को गाली देते हो
प्रश्‍न- खैर, आप जरा इस जंगलराज के कांसेप्‍ट का खुलासा कीजि‍ए?
उत्‍तर- शेर दहाड़ रहा है
प्रश्‍न- फि‍र वही बात?
उत्‍तर- आज न फंसा पाओगे बेटा :P
प्रश्‍न- मतलब आज आप का शेर सिर्फ दहाड़ता ही रहेगा?
उत्‍तर- शेर दहाड़ रहा है
प्रश्‍न- और कुछ बोलेगा नहीं?
उत्‍तर- तुम ज्‍यादा बोलोगे तो तुमको खा जाएगा
प्रश्‍न- पर...
उत्‍तर- शेर दहाड़ रहा है। अब नि‍कल लो पतली गली से, इससे पहले कि शेर तुमको खाए।

नतमस्‍तक मोदक की नाजायज औलादें (22)

प्रश्‍न- आपके नमो तो हार गए?
उत्‍तर- तुमको भो**** मार लात मार लात तुम्‍हारी गां**** तोड़ देंगे
प्रश्‍न- अरे मतलब गूगल सर्च में हार गए?
उत्‍तर- वो कभी नहीं हार सकते। उनको हराने वाला अभी पैदा नहीं हुआ
प्रश्‍न- पर सर्च में तो वो सनी लि‍योनी से हार गए?
उत्‍तर- आज बेटा पक्‍का तुम्‍हारी गां*** टूटेगी, वादा ले लो तुम हमसे।
प्रश्‍न- अरे पक्‍की खबर है। अखबार में भी छपी?
उत्‍तर- अच्‍छा। छपी होगी
प्रश्‍न- यही कि लोगों ने गूगल पर नमो से ज्‍यादा लि‍योनी को सर्च कि‍या?
उत्‍तर- लोग विधर्मी हो गए हैं
प्रश्‍न- इसीलि‍ए लि‍योनी को सर्च कर रहे हैं?
उत्‍तर- बि‍लकुल
प्रश्‍न- पर आप भी तो सर्च करते हैं?
उत्‍तर- हम तो बस देखने के लि‍ए सर्च करते हैं
प्रश्‍न- क्‍या देखने के लि‍ए सर्च करते हैं?
उत्‍तर- नमो नमो देखने के लि‍ए सर्च करते हैं
प्रश्‍न- मुझे लगा कि आप लि‍योनी को सर्च करते हैं?
उत्‍तर- लि‍योनी घि‍स चुकी है
प्रश्‍न- वो कैसे?
उत्‍तर- उसे करोड़ों लोग घि‍स चुके हैं
प्रश्‍न- क्‍या मतलब उसे करोड़ों लोग घि‍स चुके हैं?
उत्‍तर- अरे मतलब सर्च कर चुके हैं
प्रश्‍न- ऐसे तो नमो भी घि‍स चुके हैं?
उत्‍तर- नहीं, अभी दूसरे नंबर पर हैं
प्रश्‍न- यानि कि वो पहले नंबर पर आए तो आप उन्‍हें भी घि‍स चुका कहेंगे?
उत्‍तर- तुम या तो अव्‍वल नंबर के चूति‍ये हो, या फि‍र अपने आपको बहुत समझदार समझते हो
प्रश्‍न- सवाल का जवाब दीजि‍ए?
उत्‍तर- राजनीति में घि‍सा सि‍क्‍का ही चलता है
प्रश्‍न- यानि कि सनी लि‍योनी राजनीति में धड़ल्‍ले से चल सकतीं हैं?
उत्‍तर- हमें आज सुबह से लग रहा है कि तुम्‍हें अपनी गां** सलामत नहीं चाहि‍ए
प्रश्‍न- अगर नमो नंबर वन पर आ गए तो?
उत्‍तर- आ गए तो का क्‍या मतलब, हई हैं नंबर वन
प्रश्‍न- और रजनीकांत?
उत्‍तर- क्‍या रजनीकांत?
प्रश्‍न- कुछ नहीं, आप ये बताइये कि क्‍या आपने लि‍योनी को कभी सर्च नहीं कि‍या?
उत्‍तर- नहीं भो*** के, पहले तुम बताओ कि तुमने रजनीकांत का नाम कैसे ले लि‍या?
प्रश्‍न- अरे वो कुछ नहीं, आप मेरे दूसरे सवाल का जवाब दीजि‍ए?
उत्‍तर- लि‍योनी को?
प्रश्‍न- हां, क्‍या आपने उन्‍हें कभी सर्च नहीं कि‍या?
उत्‍तर- वो तो अपने आप आ जाती है
प्रश्‍न- वो कैसे?
उत्‍तर- जब भी सर्च करो
प्रश्‍न- क्‍या सर्च करो?
उत्‍तर- अरे बि‍लू फि‍लि‍म के बारे में, और क्‍या?
प्रश्‍न- मतलब आप मानते हैं कि आप पॉर्न सर्च करते हैं?
उत्‍तर- अरे वो तो आ जाता है, ये लोग पता नहीं क्‍या क्‍या सेटिंग करते रहते हैं
प्रश्‍न- नमो को सर्च करते हैं?
उत्‍तर- अबे चूति‍ये, सर्च उन्‍हें करते हैं जो सामने ना हों। हमने वॉलपेपर लगा रखा है उनका
प्रश्‍न- मतलब आप उन्‍हें सर्च नहीं करते?
उत्‍तर- उन्‍हें सर्च करने की क्‍या जरूरत? वो तो दि‍ल में हैं
प्रश्‍न- और सनी लि‍योनी?
उत्‍तर- तुम्‍हारी गां*** में हैं भो*** के। बहुत पूछ लि‍ये तुम बकवास। आज तुम्‍हारी तोड़ते हैं और पीसकर हाथ में देते हैं। रुक तेरी******

नतमस्‍तक मोदक की नाजायज औलादें (21)

प्रश्‍न- ये 2021 क्‍या है?
उत्‍तर- टारगेट है
प्रश्‍न- कैसा टारगेट?
उत्‍तर- हिंदू राष्‍ट्र का
प्रश्‍न- कैसा हिंदू राष्‍ट्र?
उत्‍तर- जि‍समें सिर्फ हिंदू ही रहेंगे, और कोई नहीं
प्रश्‍न- बाकी लोग कहां जाएंगे?
उत्‍तर- सब हिंदू बन जाएंगे
प्रश्‍न- और जो नहीं बने?
उत्‍तर- वो बिंदू बन जाएंगे
प्रश्‍न- बिंदू से आपका क्‍या मतलब?
उत्‍तर- सिकुड़कर बिंदू बन जाएंगे
प्रश्‍न- वो कैसे?
उत्‍तर- ज्‍यादा बनो मत, तुमको सब पता है
प्रश्‍न- मुझे क्‍या पता है?
उत्‍तर- डबलरोटी बन जाएंगे
प्रश्‍न- मतलब आप कत्‍लेआम करेंगे?
उत्‍तर- नहीं भो*** राम नाम करेंगे
प्रश्‍न- पर ये तो गलत है?
उत्‍तर- तभी तो हम सही कर रहे हैं
प्रश्‍न- मतलब आपका ये काम गलत है?
उत्‍तर- चूति‍ये, बता तो रहे हैं कि सही काम कर रहे हैं
प्रश्‍न- आइसि‍स वाले भी मुस्‍लि‍म दुनि‍या बनाने की बात कहते हैं?
उत्‍तर- तो उनसे हिंदू ही मुकाबला कर पाएगा
प्रश्‍न- तो क्‍या इसीलि‍ए आप हिंदू राष्‍ट्र बना रहे हैं?
उत्‍तर- तुमको दुनि‍या की पालीटि‍क्‍स नहीं पता
प्रश्‍न- पर भारत तो कई धर्मों का देश है?
उत्‍तर- भारत कोई नाम नहीं है। ये हिंदुस्‍तान है
प्रश्‍न- पर हिंदुस्‍तान भी तो सिंधु नदी पर पड़ा, हिंदुओं पर तो पड़ा नहीं?
उत्‍तर- चूति‍ये हो। सिंधु के कि‍नारे सब हिंदू रहते थे
प्रश्‍न- ये आप कैसे कह सकते हैं?
उत्‍तर- भगवान राम की मूर्तियां मि‍ली हैं वहां।
प्रश्‍न- पर जन्‍मभूमि तो आपके मुताबि‍क अयोध्‍या में है?
उत्‍तर- अबे लंका जाते वक्‍त भगवान राम वहां गए थे
प्रश्‍न- और कहां कहां गए थे भगवान राम?
उत्‍तर- तुम्‍हारी बीवी शहर में कि‍स कि‍स के घर जाती है, बताएं?
प्रश्‍न- मतलब आपमें और आइसि‍स वालों में कोई फर्क नहीं?
उत्‍तर- चूति‍ये हो तुम। कटुओं से हमारा क्‍या मुकाबला?
प्रश्‍न- तालि‍बानी भी तो यही कर रहे हैं?
उत्‍तर- क्‍या कर रहे हैं? वो चूति‍ये हैं साले उनको ठीक से करना नहीं आता
प्रश्‍न- क्‍यों?
उत्‍तर- क्‍योंकि वो कटुए हैं
प्रश्‍न- और आप क्‍या हैं?
उत्‍तर- आंख है कि बटन बे? दि‍खता नहीं तुमको या आज चार पैग ज्‍यादा लगाए हो?
प्रश्‍न- तो आप मानते हैं कि आप भी तालि‍बानी हैं?
उत्‍तर- तुम्‍हारी गां*** आज टूटेगी बेटा। तब तुम्‍हारी समझ में आएगा

पांड़े ससुर के नाती

परगटि‍शीलों का नि‍कलै ठेला, दि‍ल्‍ली का बाजार में
हटके बचके होय लो कि‍नारे, दि‍ल्‍ली का बाजार में
सालमसाल पे नि‍कले रेला, दि‍ल्‍ली का बाजार में
संघी साथे खावैं मैला, दि‍ल्‍ली का बाजार में
बोल दि‍हो तो जाबो धकेला, दि‍ल्‍ली का बाजार में
कि छि‍द्दन पाई जोड़ैं, अहा
कि राई राई जोड़ैं, अहा
खुरुच के काई जोड़ैं, अहा
लाल लुगाई जोड़ैं, अहा
लाशन पे लगावैं मेला, दि‍ल्‍ली का बाजार में
वाद नाद के रायता फैला, दि‍ल्‍ली का बाजार में
हर ठेला पे माल सुनहला, दि‍ल्‍ली का बाजार में
पास से देखौ तो है ऊ मैला, दि‍ल्‍ली का बाजार में
पांड़े बोलि‍हैं तो जइहैं पेला, दि‍ल्‍ली का बाजार में....
यहलि‍ए....
पांड़े कुछ ना बोलि‍हैं, अहा
कि पांड़े मुंह ना खोलि‍हैं, अहा
पांड़े भए जज्‍बाती, अहा
पांड़े ससुर के नाती, अहा


नतमस्‍तक मोदक की नाजायज औलादें (20)

प्रश्‍न- स्‍पाइस जेट को पैसे दे दि‍ए?
उत्‍तर- तो कौन सा आसमान टूट पड़ा?
प्रश्‍न- जनता के पैसे थे वो?
उत्‍तर- जब किंगफि‍शर को दि‍ए थे, तब क्‍यों नहीं बोले थे?
प्रश्‍न- तब आप ने सवाल उठाए थे?
उत्‍तर- तो? अब उन्‍हें उठाने दो।
प्रश्‍न- ये आपका वि‍कास है?
उत्‍तर- अबे तो वि‍कास उड़ने वाले ही तो करेंगे। रेंगने वाले कौन सा वि‍कास करते हैं?
प्रश्‍न- पर रेल कि‍राये में तो आप जनता को लूट रहे हैं?
उत्‍तर- सुवि‍धा दे रहे हैं तो पैसा ले रहे हैं। फ्री में थोड़े लूट रहे हैं?
प्रश्‍न- गरीब आदमी के लि‍ए कोई सुवि‍धा नहीं दी?
उत्‍तर- गरीब रथ दि‍या है उनके लि‍ए
प्रश्‍न- पर वो तो कांग्रेस ने दि‍या था?
उत्‍तर- अबे तो चूति‍ये, चला कौन रहा है बे गरीब रथ? चला तो हमी रहे हैं
प्रश्‍न- गरीब मारा जा रहा है?
उत्‍तर- उसके कर्म ही ऐसे हैं। गीता नहीं पढ़ी जो जैसे कर्म करता है, वैसा भुगतता है
प्रश्‍न- पेशावर में गरीब बच्‍चों पर हमला हुआ?
उत्‍तर- अच्‍छा हुआ, अभी और होना चाहि‍ए
प्रश्‍न- सौ से ज्‍यादा बच्‍चे कत्‍ल हो गए?
उत्‍तर- 1100 होने चाहि‍ए थे। साले कल को आतंकवादी बनेंगे
प्रश्‍न- पूरी दुनि‍या शोक में है?
उत्‍तर- नक्‍सली हमले पर तो कोई शोक नहीं हुआ था? हरामी स्‍टालि‍न की नाजायज औलादों को ही है ज्‍यादा शोक फोक।
प्रश्‍न- मौतें किसी की भी हों, शोक तो होता ही है?
उत्‍तर- कटुओं की मौत का हमें कोई शोक नहीं। उन्‍होंने भारत पर हमला कि‍या था
प्रश्‍न- मतलब आपको जरा सा भी गम नहीं?
उत्‍तर- तुमको तो है ना? तुम रम के दो पैग और पी लेना
प्रश्‍न- आपमें जरा सी भी मानवि‍यता नहीं है?
उत्‍तर- कसाब ने दि‍खाई थी ना तुम्‍हारी ये मानवि‍यता?
प्रश्‍न- कसाब ने भी बेगुनाहों को मारा, तालि‍बानि‍यों ने भी?
उत्‍तर- तालि‍बानी तालि‍बानी लड़ रहे हैं तो तुमको क्‍या? उनने पैदा कि‍या, वो जाने
प्रश्‍न- हाफि‍ज सईद ने नमो पर आरोप लगाया है हमले का?
उत्‍तर- काश ये आरोप सही होता
प्रश्‍न- आपका मतलब आप बच्‍चों के मारे जाने की वकालत कर रहे हैं?
उत्‍तर- तुम आखि‍री बार अपने बच्‍चे से कब मि‍ले?
प्रश्‍न- आप भी तो देश में कत्‍लेआम मचाते हैं?
उत्‍तर- हम धर्म का काम करते हैं। धर्म में शत्रुवध जायज है।
प्रश्‍न- तो क्‍या इसीलि‍ए आप हत्‍याएं करते हैं?
उत्‍तर- हमने कौन सी हत्‍या की बे? भो**** के फालतू के इल्‍जाम ना लगाया करो
प्रश्‍न- आपके लोगों ने तो की हत्‍याएं?
उत्‍तर- उन्‍होंने भी कोई हत्‍या नहीं की
प्रश्‍न- तो क्‍या कि‍या?
उत्‍तर- वध कि‍या।
प्रश्‍न- तो तालि‍बानी क्‍या करते हैं?
उत्‍तर- झां*** उखाड़ते हैं भो*** के। हमसे क्‍यूं पूछते हो? गां*** में दम हो तो कि‍सी तालि‍बानी से पूछकर दि‍खाओ
प्रश्‍न- फि‍लहाल तो आप ही सामने हैं?
उत्‍तर- हम सामने हैं तो क्‍या सि‍र पर चढ़कर मूतोगे। नि‍कल लो बहुत तेजी से यहां से।

Monday, December 15, 2014

श्‍मशान पहरेदार है

श्‍मशान पहरेदार है
श्‍मशान पहरेदार है
गालि‍यों की बौछार है
श्‍मशान पहरेदार है
गोलि‍यों की मार है
श्‍मशान पहरेदार है
आंसुओं की धार है
श्‍मशान पहरेदार है
लाशों का अंबार है
श्‍मशान पहरेदार है
अबोधों का व्‍योपार है
श्‍मशान पहरेदार है
कवि‍यों का संसार है
श्‍मशान पहरेदार है
इंसान की अब हार है
श्‍मशान पहरेदार है
बढ़ि‍या मोटर कार है
श्‍मशान पहरेदार है
रोता क्‍यूं बेकार है
श्‍मशान पहरेदार है
दुखि‍या ये संसार है
श्‍मशान पहरेदार है
नकली ये बाजार है
श्‍मशान पहरेदार है
सि‍क्‍कों के सब यार हैं
श्‍मशान पहरेदार है

ज्‍यादा लि‍खना खुद के साथ नाइंसाफी होगी। रायपुर लि‍ट फेस्‍ट में गए आस्‍तीन के सापों के लि‍ए..

(पार्ट ऑफ डस्‍टबि‍न)

पता नहीं इसे सीरीज में जगह देनी चाहि‍ए या नहीं। 

प्रश्‍न- आप रायपुर साहि‍त्‍य महोत्‍सव में गई थीं?
उत्‍तर- तुमसे मतलब?
प्रश्‍न- प्‍लीज सवाल का जवाब दें, क्‍या आप वहां गई थीं?
उत्‍तर- जान ना पहचान, बड़ी बी सलाम? जवाब दे मेरी जूती।
प्रश्‍न- देखि‍ए, जवाब आपको देना पड़ेगा, आप मेरे शो में बातचीत करने ही आई हैं..
उत्‍तर- खबरदार जो मुझसे बातचीत करने की कोशि‍श की।
प्रश्‍न- खैर, हमें पता है कि आप वहां गई थीं। आपके जाने पर लोग सवाल उठा रहे हैं..
उत्‍तर- तो उठाते रहें, जवाब देगी मेरी जूती। मैने तो पड़ोस की श्रीवास्‍तव आंटी को कभी जवाब नहीं दि‍या।
प्रश्‍न- आप खुद को वामपंथी नारीवादी पोज करती हैं, इसपर भी लोग सवाल उठा रहे हैं...
उत्‍तर- वो तो मैं हूं और अपने दम पर हूं। पंकज भैया से पूछ लो
प्रश्‍न- पर वो आयोजन तो भाजपा का था?
उत्‍तर- तो क्‍या लोकलहर वाले या लि‍बरेशन वाले मुझे 25 हजार देते?
प्रश्‍न- मतलब आपको कोई भी पैसे देगा तो आप कोई सा भी काम कर लेंगी?
उत्‍तर- तू मेरा घर चलाने आता है ना?
प्रश्‍न- लोग यह भी कह रहे हैं कि..
उत्‍तर- चुप साले। पहले सुट्टा मारने दे
प्रश्‍न- लोगों का कहना है कि आप असल में वो नहीं, जैसा आप दि‍खाती हैं?
उत्‍तर- लोग चूति‍ये हैं साले
प्रश्‍न- और आप?
उत्‍तर- और मैं क्‍या? अकेली स्‍त्री का दर्द ये हरामी मर्द क्‍या जानें? इसीलि‍ए तो इन्‍हें अपनी जूती पर रखती हूं।
प्रश्‍न- मतलब आप पैसे के लि‍ए कुछ भी कर लेंगी?
उत्‍तर- उल्‍लू के पट्ठे, जिंदा रहने की कोशि‍श डि‍प्‍लोमेसी है।
प्रश्‍न- जिंदा तो जानवर भी रह लेते हैं, लोग इसीलि‍ए बोल रहे हैं क्‍योंकि खुद आपने अपनी एक इमेज बनाई हुई थी
उत्‍तर- तुम बेसि‍कली एक वि‍वेकहीन बुलडोजर हो जो कि‍सी को भी कुचल सकता है।
प्रश्‍न- देखि‍ए बात एक नृशंस समारोह और उसमें आपके जाने की हो रही है.
उत्‍तर- बात इसकी हो रही है कि हर आदमी कुत्‍ता होता है
प्रश्‍न- आप मेरी बात का सीधा जवाब क्‍यों नहीं देतीं?
उत्‍तर- तुम्‍हें मुझसे सवाल पूछने का हक कि‍सने दि‍या? कि‍स अधि‍कार से तुम ये सवाल कर रहे हो?
प्रश्‍न- देखि‍ए, ये एक पब्‍लि‍क गुफ्तगू है, जि‍समें एक पक्ष सवाल करता है, दूसरा जवाब
उत्‍तर- गू है तुम मर्दों के दि‍माग में। मैं पूछती हूं कि कि‍सी महि‍ला ने क्‍यों नहीं उठाए सवाल?
प्रश्‍न- महि‍लाओं ने भी उठाए हैं सवाल, जभी सवाल पूछे जा रहे हैं.
उत्‍तर- वो उन ति‍वारी आंटी या मि‍श्रा मौसी जैसी महि‍लाएं होंगी। खूब जानती हूं ऐसी औरतों को।
प्रश्‍न- नहीं, सबसे ज्‍यादा सवाल तो उनने उठाए हैं, जो सड़क पर महि‍लाओं के हक के लि‍ए लड़ रही हैं.
उत्‍तर- ये तुम नहीं, तुम्‍हारा मरदाना अहंकार बोल रहा है।
प्रश्‍न- फि‍र भी, सबसे बड़ा सवाल यही है कि आपने एक सम्‍मानि‍त बैकग्राउंड से होते हुए ऐसे समारोह में शि‍रकत की, जो फासि‍स्‍टों का तो था ही, जि‍सपर मासूमों के खून के दाग लगे थे?
उत्‍तर- तुम और तुम्‍हारी नजर मेरी जूती पर। भाड़ में जाओ।
प्रश्‍न- सुना उस समारोह में वामपंथि‍यों के जड़ से खात्‍मे पर भी वि‍चार वि‍मर्श हुआ?
उत्‍तर- मुझे वामपंथ ना सि‍खाओ। मैने बचपन से देखा है वामपंथि‍यों की बीवि‍यों की हालत
प्रश्‍न- क्‍या आपने उस वि‍चार वि‍मर्श में हि‍स्‍सा लि‍या?
उत्‍तर- साला गली का कुत्‍ता भी 'मेल' होता है तो सफाई मांगता है। तुम मर्दों को कि‍सने हक दि‍या सफाई मांगने का? भाड़ में जाओ
प्रश्‍न- आपको क्‍या लगता है, क्‍या आपका ये कृत्‍य सैद्धांति‍क रूप से सही था?
उत्‍तर- दरअसल मुझे जो सम्‍मान मि‍ला है, उससे मर्दाना अहंकार आहत हुआ है। लेकिन आप ये मानेंगे नहीं। मुझे हासिल करने के सारे सपनों पर कुठाराघात जो हो गया। मर्द कैसे बरदाश्‍त करे?

नतमस्‍तक मोदक की नाजायज औलादें (19)

प्रश्‍न- गोडसे को जानते हैं?
उत्‍तर- ......
प्रश्‍न- मैनें पूछा नाथूराम गोडसे को जानते हैं?
उत्‍तर- मोटकी हलवाइन के लौंडे का नाम है नाथूराम। उसे जानते हैं
प्रश्‍न- नहीं, वो वाले नहीं, जि‍न्‍होंने महात्‍मा गांधी को मारा था, वो वाले गोडसे। क्‍या उन्‍हें जानते हैं?
उत्‍तर- तुम हर बार शहर आकर अपनी बीवी से मि‍ले बगैर क्‍यों चले जाते हो?
प्रश्‍न- मैने एक सीधा सा सवाल पूछा है, क्‍या आप गोडसे को जानते हैं?
उत्‍तर- तुमको अपने बच्‍चे की भी याद नहीं आती?
प्रश्‍न- आप मेरे सवाल का जवाब देंगे या नहीं?
उत्‍तर- बि‍लकुल देंगे। तभी तो बैठे हैं यहां।
प्रश्‍न- तो बताइये, क्‍या आप गोडसे को जानते हैं?
उत्‍तर- हां, वो सच्‍चे राष्‍ट्रभक्‍त थे। आजादी के आंदोलन में कई बार वो और वीर सावरकर एक साथ काला पानी काट कर आए।
प्रश्‍न- क्‍या वो आपके हीरो हैं?
उत्‍तर- बि‍लकुल हैं। आजादी के आंदोलन के सारे नायक हमारे हीरो हैं। नमो नमो
प्रश्‍न- पहली बार गोडसे आजादी के आंदोलन में जेल कब गए?
उत्‍तर- तुम शादी कौन तारीख को कि‍ए थे? याद है तुमको?
प्रश्‍न- अच्‍छा यही बता दीजि‍ए, कि‍स आरोप में गए थे वो पहली बार जेल?
उत्‍तर- नमक बनाया था
प्रश्‍न- गोडसे कि‍स पार्टी से संबंध रखते थे?
उत्‍तर- हमारी पार्टी से। सच्‍चा राष्‍ट्रभक्‍त सिर्फ हमारी पार्टी से ही हो सकता है
प्रश्‍न- और गांधी कि‍स पार्टी से थे?
उत्‍तर- वो कांग्रेस पार्टी से थे। अभी तक देखो, वंश चल रहा है।
प्रश्‍न- पर गांधीजी ने देश को आजादी दि‍लाई?
उत्‍तर- क्‍या दि‍लाई?
प्रश्‍न- आजादी दि‍लाई?
उत्‍तर- झां*** दि‍लाई।
प्रश्‍न- आपका मतलब गांधी ने आजादी नहीं दि‍लवाई?
उत्‍तर- तुम आजकल दि‍ल्‍ली में कैसे काम चलाते हो, कोई सेट वेट कि‍ए कि नहीं?
प्रश्‍न- मैने पूछा कि गांधीजी ने आजादी दि‍लवाई या नहीं?
उत्‍तर- गोडसे ने दि‍लवाई
प्रश्‍न- कि‍ससे?
उत्‍तर- अरे, यही गंधि‍या से। और कि‍ससे?
प्रश्‍न- गोडसे ने गांधी की हत्‍या क्‍यों की?
उत्‍तर- वो बड़े मनीषी थे। वो समझ गए थे कि वंशवाद को जड़ से खत्‍म करना चाहि‍ए।
प्रश्‍न- पर गांधीजी को राष्‍ट्रपि‍ता कहते हैं?
उत्‍तर- ये सब कांग्रेसि‍यों की साजि‍श है। अब सब बदलेगा
प्रश्‍न- गोडसे ने आजादी कैसे दि‍लवाई?
उत्‍तर- गांधी कटुओं की राजनीति कर रहा था। गोडसे ने उसे बंद कर दि‍या।
प्रश्‍न- पर आजादी तो अंग्रेजों से मि‍ली?
उत्‍तर- यहीं तो... यहीं तो तुम लोग समझ नहीं पाए
प्रश्‍न- क्‍या नहीं समझ पाए?
उत्‍तर- असली आजादी तो इन हरामी मुल्‍लों से मि‍लनी है
प्रश्‍न- कैसे दि‍लाएंगे इनसे आजादी?
उत्‍तर- काम चल रहा है। बहुत बड़ा आंदोलन होगा
प्रश्‍न- कैसा आंदोलन?
उत्‍तर- आगरा देखे ना अब अलीगढ़ देखना। इन हरामी मुल्‍लों की गां*** फाड़कर रख देंगे
प्रश्‍न- कैसे... कैसे करेंगे ये?
उत्‍तर- सबकी घर वापसी कराएंगे। योगी जी का हाथ है, जो ना माने लात है।
प्रश्‍न- मतलब जबरदस्‍ती करेंगे?
उत्‍तर- तुम भो**** के, अपनी बीवी तो वापस ला ना पाए।
प्रश्‍न- क्‍या आप दूसरे धर्मों के लोगों के साथ जबरदस्‍ती करेंगे?
उत्‍तर- घर से भागी लौंडि‍या क्‍या अपने मन से घर वापस आती है बहुत सारे दंद फंद करने पड़ते हैं
प्रश्‍न- पर ये असंवैधानि‍क है?
उत्‍तर- गीता पढ़े हो या नहीं?
प्रश्‍न- हां, पढ़ी है
उत्‍तर- वही संवि‍धान है भो*** के। रट लो अब
प्रश्‍न- मतलब आप कानून तोड़ेगे?
उत्‍तर- कानून दूसरा बना लेंगे अब। दस साल अब नमो नमो करो तुम
प्रश्‍न- और जो नमो नमो नहीं करेगा?
उत्‍तर- उसकी गां*** फाड़कर हाथ में दे देंगे। और कहेंगे कि जाओ, चौक में दस रुपये की सौ ग्राम बेचना।

Thursday, December 11, 2014

नतमस्‍तक मोदक की नाजायज औलादें (18)

 प्रश्‍न: धर्मांतरण समझते हैं?
उत्‍तर: आप शब्‍द गलत यूज कर रहे हैं।
प्रश्‍न: तो क्‍या है सही शब्‍द?
उत्‍तर: सही शब्‍द घर वापसी है। धर्मांतरण तो हरामी स्‍टालि‍न की नाजायज औलादें वैमनस्‍यता फैलाने के लि‍ए यूज करती हैं।
प्रश्‍न: घर वापसी से आपका क्‍या मतलब है?
उत्‍तर: ये हिंदू धरा है। दूसरे धर्मों के लोग बहक गए थे। अब वो सब घर वापसी करेंगे।
प्रश्‍न: बहक गए थे से आपका क्‍या मतलब है?
उत्‍तर: अरे ये साले बाल्‍टी में हनुमान डुबोकर बहका लेते हैं।
प्रश्‍न: कौन लोग?
उत्‍तर: अरे यही कटुए और ईसाई साले। तुमको नहीं पता क्‍या कि देश में क्‍या क्‍या हो रहा है
प्रश्‍न: क्‍या हो रहा है?
उत्‍तर: सबकी घर वापसी हो रही है, और क्‍या हो रहा है?
प्रश्‍न: इससे क्‍या होगा?
उत्‍तर: भारत एक हिंदू राष्‍ट्र बनकर पूरे वि‍श्‍व को नेतृत्‍व देगा, ओबामा भी हिंदू हैं।
प्रश्‍न: वो कैसे?
उत्‍तर: तभी तो हिंदू राष्‍ट्र के निमंत्रण पर आ रहे हैं
प्रश्‍न: तो क्‍या आप उनकी भी घर वापसी करेंगे?
उत्‍तर: उसकी क्‍या जरूरत है। वो तो खुद ही घर वापसी कर रहे हैं।
प्रश्‍न: मतलब दुनिया या में जो कुछ भी है, हिंदू ही है?
उत्‍तर: हिंदू नहीं है तो क्‍या झां*** है बे?
प्रश्‍न: पर संवि‍धान भी तो है, वो तो ऐसा करने से रोकता है?
उत्‍तर: घंटा संवि‍धान ससुर। गीता है असली संवि‍धान
प्रश्‍न: फि‍र तो आप मनुस्‍मृति को इंडि‍यन पेनल कोड करार देने लग जाएंगे?
उत्‍तर: हैई है। उसमें करार क्‍या देना है। अब जो भारतीय संस्‍कृति में है, वही देश का कानून है।
प्रश्‍न: संस्‍कृति तो वसुधैव कुटुंबकम वाली कही जाती है?
उत्‍तर: तो वही तो हो रहा है।
प्रश्‍न: क्‍या मतलब वही हो रहा है?
उत्‍तर: अबे घर में चार आदमी होते हैं। हमने इसीलि‍ए तो घर वापसी अभि‍यान चलाया है।
प्रश्‍न: आपको लगता है कि वसुधैव कुटुंबकम का यही मतलब होता है?
उत्‍तर: अब तुम भो**** के ऐसे तो समझोगे नहीं। इसीलि‍ए तो तुम्‍हारा नहीं बसा। इसीलि‍ए तो छोड़ के भागी तुम्‍हारी बीवी तुमको। चूति‍या साले
प्रश्‍न: पर आगरा में तो लोग कह रहे हैं कि आपने उन्‍हें धोखे में रखा?
उत्‍तर: ....... (पाद)।
प्रश्‍न: इस सवाल से आप बच नहीं सकते?
उत्‍तर: ........ (लंबी पाद और डकार भी)।
प्रश्‍न: पर भारत तो सभ्‍यता की शुरुआत से ही कभी भी हिंदू राष्‍ट्र नहीं रहा?
उत्‍तर: भारत हमेशा से हिंदू राष्‍ट्र रहा है। तुम चूति‍या हो। तुमको कुछ नहीं पता
प्रश्‍न: भारत में अन्‍य धर्म भी हिंदू धर्म जि‍तने ही प्राचीन हैं?
उत्‍तर: वेद से प्राचीन कुछ भी नहीं। वो दुनि‍या में सबसे प्राचीन हैं।
प्रश्‍न: और वेदों में क्‍या लि‍खा है?
उत्‍तर: यही कि भारत सोने की चिड़ि‍या था। यहां दूध की नदि‍यां बहती थीं। गौमाता जहां खड़ी हो जाती थीं, वहीं से धार नि‍कल पड़ती थी।
प्रश्‍न: पर वेदों में तो ऐसा नहीं लि‍खा?
उत्‍तर: तुम चूति‍या हो। तुमने असली वाले नहीं पढ़े?
प्रश्‍न: असली वाले कहां मि‍लते हैं?
उत्‍तर: प्रदेश कार्यालय में। सीडी भी है।
प्रश्‍न: बौद्ध धर्म भी उतना ही प्राचीन है, जि‍तना कि हिंदू धर्म?
उत्‍तर: बौद्ध यहां के नहीं हैं, ये चीन की साजि‍श है। वो यहां माओवाद फैलाना चाहता है
प्रश्‍न: पर आप तो इसाइयों पर माओवादी होने का आरोप लगाते हैं?
उत्‍तर: दोनों एक ही हैं साले। बल्‍कि तीनों एक हैं। तीनों इस देश की संस्‍कृति और सभ्‍यता के दुश्‍मन हैं।
प्रश्‍न: और आप क्‍या हैं?
उत्‍तर: रक्षक हैं भो**** के। तुम्‍हारी तरह बैठके चूति‍यापे का सवाल नहीं पूछते
प्रश्‍न: पर आप बार बार गाली क्‍यों बकते हैं?
उत्‍तर: तुम हमेशा चूति‍यापे की बात क्‍यों करते हो?
प्रश्‍न: कहीं ऐसा तो नहीं कि आपकी संस्‍कृति गाली प्रधान हो?
उत्‍तर: तुम भो**** के भारतीय संस्‍कृति को गाली दे रहे हो चू**** साले उसका अपमान कर रहे हो। झां*** भो**** के, मेरी वजह से तुम्‍हारा चैनल चलता है, औ तुम मुझीको ज्ञान दे रहे हो?
प्रश्‍न: मैं तो सिर्फ सवाल पूछ रहा हूं?
उत्‍तर: सवाल माने झां***। अब तुम्‍हारे एक भी सवाल का जवाब नहीं देंगे। अगर गां*** पे लात खानी हो तो पूछो अगला सवाल।

Wednesday, December 3, 2014

का पापी बनि‍हैं खेवनहारा?

राम लला अब लड़ि‍न अखाड़ा
हासि‍म चचा का लाग बा जाड़ा
ज्ञानदास का आवा ज्ञान
पांड़े जी अब करैं बखान।

राम लला ओढ़ैं ति‍रपाल
चोर उड़ावैं सारा माल
बनरन आगे सब जग हारा
तभै राम अब लड़ि‍न अखाड़ा।

हिंदू कै तन बनि गा ढक्‍कन
चोरकट काटि‍न सारा मक्‍खन
कटि‍यारन का चप्‍पल मारा
आवा राम अब लड़ा अखाड़ा।

लंठन का जब देबा न्‍योता
होए पाए कौनो समझौता?
का पापी बनि‍हैं खेवनहारा?
तभै तौ लड़ि‍हैं राम अखाड़ा।

सुनि‍ए: राम लला अब लड़ि‍न अखाड़ा



- राइजिंग रेजिंग राहुल, अवध बीज भंडार हरिंग्‍टनगंज मि‍ल्‍कीपुर रोड वाले। 

Tuesday, December 2, 2014

गीता प्रेस के नाम एक पत्र- WTF

सेवा में,
श्रीमान संपादक महोदय
गीता प्रेस, गोरखपुर
महोदय
वि‍षय: संस्‍कृतनि‍ष्‍ठ नमो जाप जीवनी निर्माण हेतु
जैसा कि सर्ववि‍दि‍त है कि वर्ष 2014 हिंदुत्‍व क्रांति के उदय का वर्ष है। क्रांति का जयघोष राष्‍ट्र के हर नगर, मोहल्‍ले व घरों में गूंज रहा है। हर घर में कल तक आपके प्रेस की आरती ओम जय जगदीश हरे गाई जाती थी, अब नमो नमो की नई आरती गाई जा रही है। यह सम्‍पूर्ण देश के एक साथ उठ खड़ा होने और नमो के आदेशों पर चलकर देश को वि‍कास की नई ऊंचाइयों पर ले जाने का वक्‍त है। हिंदुत्‍व की इस क्रांति को देखते हुए हमारे हिंदूवादी प्रकाशन गृहों की भी एक नई जि‍म्‍मेदारी बन जाती है, जि‍से हम लेखकगण अच्‍छी तरह से समझते हैं। यह पत्र मैं आपको इसीलि‍ए लि‍ख रहा हूं।

महोदय, प्रकाशन गृहों की जि‍म्‍मेदारी तब और भी बढ़ जाती है, जब हम अपने समकालीन इति‍हास को खंगालते हुए भाषा में नि‍त नूतन प्रयोग और उनका नि‍स्‍तारण पाते हैं। हिंदुत्‍व की इस क्रांति ने हिंदी ही नहीं, संस्‍कृत और अंग्रेजी सहि‍त पालि भाषा में नए नए प्रयोग कि‍ए हैं जि‍नका इस क्रांति की नमोमय जीवनी में बाकायदा उल्‍लेख कि‍या जाना अति आवश्‍यक हो गया है। ऐसे मौके पर वाम, पश्‍चि‍म, पूर्व या अन्‍य दस दि‍शाओं में सोचने वालों का सुनना पूरी तरह से व्‍यर्थ है क्‍योंकि वह सभी प्रति‍क्रांति‍कारी हैं। आपको सूचि‍त करते हुए मुझे यह गर्व भी हो रहा है कि हमने इन प्रति‍क्रांति‍कारि‍यों और हिंदुत्‍व के दुश्‍मनों से नि‍पटने के लि‍ए स्‍पेशल भक्‍त सेना तैयार कर ली है। यह भक्‍त सेना बखूबी समाज की सेवा कर रही है। यही सेना इन प्रति‍क्रांति‍कारि‍यों को झाड़ू से पीट पीटकर वो महान रचनावली तैयार कराएगी, जि‍सके छपते ही उसकी छह लाख प्रति‍यां मॉरीशस में यूं बि‍क जाएंगी कि रामचरि‍तमानस की प्रति‍यां या कल्‍याण की भी प्रति‍यां प्रसारण संख्‍या में उससे छोटी पड़ जाएंगी।

महोदय, एक धार्मिक व्‍यक्‍ति होने की वजह से मेरा हमेशा से दुख रहा है कि न तो तुलसीदास ने और न ही सूरदास ने उस वानर सेना का जि‍क्र कि‍या, जि‍सकी वजह से भगवान राम युद्ध जीते। हालांकि मेरा भगवान राम में पूरा यकीन है कि वो अपने उसी पुरुषार्थ के तेज से जीते जो ति‍लक बन उनके मस्‍तक पर समूचे वि‍श्‍व में आज भी अपना प्रकाश बि‍खेरता है। इसमें सेना वेना का बहुत योगदान तो नहीं है, फि‍र भी मेरा यही दुख रहा कि मैं उस वानर सेना के बारे में नहीं जान पाया। इसके दोषी आप नहीं हैं, तुलसीदास हैं, ये मैं अभी साफ कर देना उचि‍त समझता हूं। ....और सूरदास, मीराबाई भी। पर अब मैं भगवान के कल्‍किअवतार को देखकर, उनकी वानर सेना से साक्षात मि‍लकर इतना अभि‍भूत हूं, कि यदि मैं आपको पत्र लि‍खकर इनपर एक भक्‍तचरि‍तमानस अलग से ना लि‍खूं (या जो नमो नमो न कहें, उनसे हमारी वानर सेना लि‍खवाए), तो एक बार फि‍र से घोर अपराध होगा। यह उसी अपराध को दोहराना होगा, जो कवि से लेकर अकवि तक आज तक करते आए हैं। कबीर जैसे अपवाद तो वैसे भी हम लोग कहां छापते पढ़ते हैं। वैसे भावाति‍रेक में मुझसे बार बार वानरसेना नि‍कल रहा है, जि‍सका मैं क्षमाप्रार्थी हूं।

श्रीमंत, यही सही समय है कि हम खुद को इति‍हास के सभी अपराधों और पापों से एक बार में ही मुक्‍त कर लें। हम इस समकालीन और नि‍तनवशब्‍दयुक्‍त इति‍हास को कीमती कागज पर कुछ यूं उकेरें कि तुलसीदास पानी भरने के लि‍ए सांप की अगहन इस्‍तेमाल करने लगें और सूरदास को वो वानर सेना दि‍खाई देने लगे, जि‍से न देखने के लि‍ए उन्‍होंने जानबूझकर अपनी आंख में तेल डाला था। जि‍स तरह से हमारी हड़प्‍पा और कृष्‍णमोहन जोदड़ो कालीन अति प्राचीन भाषा स्‍मृति‍यों से नि‍कलकर बाहर आ रही है, मैं आपको आश्‍वस्‍त करना चाहता हूं कि नई लि‍खी जाने वाली नमो जाप जीवनी इतनी आसान और संस्‍कृतनि‍ष्‍ठ भाषा में होगी कि लोगों को मां के लि‍ए कहे गए अपशब्‍द भी कानों में शहद घोलने वाले लगेंगे। इतना ही नहीं, हमारी भक्‍त सेना जि‍स तरह की शब्‍दावली बहनों, बेटि‍यों, बहुओं के लि‍ए प्रयोग करती है, वह हमारे हिंदू समाज में रुह अफजा नामक आयाति‍त रस की मि‍ठास न फैलाएं तो कहि‍एगा। इसका आप जब चाहें, संस्‍कृत में बड़ी ही आसानी से अनुवाद भी करा सकेंगे। यकीन मानि‍ए, संस्‍कृत में प्रकाशि‍त होते ही अकेले थिरुवनंतपुरम में इसकी दो चार लाख प्रति‍यां तो यूं ही नि‍कल जाएंगी, ऐसा मुझे पि‍छली 7 रातों से स्‍वप्‍न में खुद भगवान नमो ने आकर कहा है। चि‍ली और मॉरीशस तो इसे राजश्री वालों की हम आपके हैं कौन बना देंगे।

आपसे आशा है कि जल्‍द मुझे इस पुस्‍तक के लेखन हेतु आवश्‍यक सहयोग राशि भेजने की कृपा करेंगे। आपकी कृपा के बाद हमारी भक्‍त सेना सभी वाममार्गियों, भौति‍कवादि‍यों को झाड़ू से पीट पीटकर उनसे वह महान रचनावली लि‍खवाएगी, जि‍सका उल्‍लेख नास्‍त्रेदमस ने सन 1700 में ही अपनी मशहूर कि‍ताब में कर दि‍या था। इस कि‍ताब के सफल होते ही तुरंत इति‍हास का पुर्नलेखन ईरानि‍यन स्‍मृति आधारि‍त पुस्‍तक में कि‍या जाएगा। चूंकि युग अपना है तो इस कि‍ताब को हम अपने बच्‍चों के पाठ्यक्रम में लगाकर उन्‍हें बचपन से ही राष्‍ट्रवादी बनने की प्रेरणा भी दे सकेंगे।

आपका
रॉयल्‍टी मि‍लने तक- रंकश्री प्रोडक्‍शन, अंधेरी (गली नहीं) आलमारी।