Tuesday, May 29, 2018

भाषाएं हार का प्रतीक हैं

1
बार बार हारता हूं
हर बार हारा हूं।
हारे हुए लोगों से भी
हार चुका हूं।

2
मैंने हारना सीखा है
यही मेरा सीखना है।
मौसम कोई भी हो
मुझे हारना आता है।

3
हारने में दुख है
दुख ही सत्य है।
अंतिम वह भी नहीं
और मैं फिर हारा।

4
हर किसी से ज्यादा
हार पहचानी है।
हारना जानने के लिए
भाषा जरूरी नहीं।

5
हारने के हिसाब में
मर्जी से भी हारा हूं।
पर खुद हारा
तो झूठा हारा।

6
बेस्वाद होती है असल हार
बिलकुल धूल की तरह
गरदन में जाते खंजर की तरह
रोज आते अखबार की तरह।

7
हारने के बाद
मैं बोलता हूं।
भाषाएं
हार का प्रतीक हैं।

8
कल फिर हारा था
कल फिर हारूंगा
हारते रहना ही
हमारा अतिक्रमण है।

9
लड़कर हारा
और बिना लड़े भी।
कुछ तय हो न हो
हार तय है।

10
जानता हूं कि
हारते हुए ही जीना है
हर बार हारते हुए
धूल बढ़ाते हुए।

A portrait from Rajgir (Bihar)