Saturday, December 8, 2012

...एक और बाबरी की तैयारी


बाबरी मस्‍जि‍द वि‍ध्‍वंस की दसवीं बरसी पर गोधरा कांड (वर्ष 2002) हुआ। इस साल (वर्ष 2012) बाबरी वि‍ध्‍वंस के बीस साल पूरे हो रहे हैं। बुद्धि‍जीवि‍यों का कहना है कि बाबरी विध्वंस जैसा माहौल बन रहा है। बीस साल बाद फैजाबाद में एक पीढ़ी जवान हो चुकी है जि‍से मंदि‍र और मस्‍जि‍द से कुछ खास मतलब नहीं है। इसी पीढ़ी में दोबारा मंदि‍र और मस्‍जि‍द का मतलब भरने के लि‍ए फैजाबाद में दंगा ''कराया'' गया। सांप्रदायि‍कता की इस जमीन को बनाने के लि‍ए एक बार फि‍र से मस्‍जि‍द और मंदि‍र निर्माण का सहारा लि‍या गया है।

इसी साल रमजान के दूसरे दि‍न फैजाबाद के कैंटोमेंट थाना क्षेत्र के एक गांव की मस्‍जि‍द के बगल गैरकानूनी निर्माण की कोशि‍श की गई। गैरकानूनी निर्माण की यह कोशिश व्‍यक्‍तिगत थी, पर सांप्रदायि‍क संगठनों ने जोर शोर से उठाया। इसके बाद से उक्‍त जगह पर जुलाई से लेकर अभी तक पीएसी की एक कंपनी तैनात है। मीडि‍या को न तो वहां फोटो खींचने दी जा रही है, और न ही कि‍सी ग्रामीण को बयान देने दि‍या जा रहा है। यही स्‍थि‍ति‍ फि‍लवक्‍त अयोध्‍या में वि‍वादि‍त स्‍थल पर है।

फैजाबाद के वरि‍ष्‍ठ रंगकर्मी और बॉलीवुड में रामू कैंप में काम कर चुके जलाल अहमद का कहना है कि फैजाबाद में जो कुछ भी हुआ, उसे प्री प्‍लांड कहा जा सकता है। इसी साल फैजाबाद के कैंटोमेंट थाना क्षेत्र में आने वाले गांव मिर्जापुर में कुछ लोगों ने एक मस्‍जि‍द से सटाकर गैरकानूनी निर्माण करने की कोशि‍श की। प्रशासन ने इस हरकत पर वही कि‍या, जो बाबरी मस्‍जि‍द वि‍वाद के वक्‍त कि‍या गया था। कैंटोमेंट थाना प्रभारी ने मस्‍जि‍द में ताला लगा दि‍या। बताते चलें कि जलाल अहमद का घर भी कैंटोमेंट थाना क्षेत्र में आता है।

मिर्जापुर की मस्‍जि‍द
पेशे से वकील और गांव में ही स्‍कूल चलाने वाले इस्‍लाम सालि‍क का कहना है कि मस्‍जि‍द के पीछे रहने वाले एक व्‍यक्‍ति का मस्‍जि‍द से कुछ बातों को लेकर व्‍यक्‍तिगत वि‍वाद था जो कई वर्षों से चला आ रहा था। अचानक इसे सांप्रदायि‍क रंग दे दि‍या गया और उसमें सहयोग पुलि‍स ने कि‍या। पुलि‍स की मंसा थी कि बाबरी मस्‍जि‍द प्रकरण की तरह यहां भी मस्‍जि‍द पर ताला लगाकर यथास्‍थि‍ति बना दी जाए। गांव की इकलौती मस्‍जि‍द होने के नाते उनका यह मंसूबा इसलि‍ए कामयाब न हो पाया, क्‍योंकि इस बार लोगों के पास दूरसंचार का शक्‍ति‍शाली माध्‍यम मोबाइल फोन था। देखते ही देखते हजारों लोग मौके पर इकठठा हो गए और पुलि‍सि‍या कार्रवाई का वि‍रोध करने लगे। मजबूरन प्रशासन को अपने हाथ वापस खींचने पड़े।

इसी बीच मस्‍जि‍द के इस प्रकरण को हिंदू युवा वाहिनी (योगी आदि‍त्‍यनाथ) और विश्‍व हिंदू परि‍षद ने लपक लि‍या। रोजाना कभी गांव में तो कभी दूसरी जगहों पर इनकी बैठकें होने लगीं। सालि‍क के मुताबि‍क इस प्रकरण में ग्राम प्रधान की भी काफी नि‍गेटि‍व भूमि‍का रही और वह खुद भी इन बैठकों में शामि‍ल हुए। इतना ही नहीं, उनके स्‍कूल में सौ से ज्‍यादा बच्‍चे दूसरे समुदाय के थे, जि‍न्‍हें लोगों ने उनके स्‍कूल से नि‍काल लि‍या। अब ये दीगर बात है कि पढ़ाई के बीच में नि‍कले बच्‍चों को दूसरे स्‍कूल एडमि‍शन देने को तैयार नहीं हैं।

आल इंडि‍या मि‍ल्‍ली काउंसि‍ल के एग्‍जीक्‍यूटि‍व मेंबर खालि‍क अहमद खान बताते हैं कि उस प्रकरण के बाद 14 सि‍तंबर को फैजाबाद के मुस्‍लि‍म उलेगा, हिंदू संत और वरि‍ष्‍ठ नागरि‍कों ने प्रशासन से उक्‍त प्रकरण को हल करने का अनुरोध कि‍या। इस कमेटी की मांग थी कि उक्‍त जगह की जांच भू अभि‍लेखों की मदद से कर मामले का कोई हल नि‍काला जाना चाहि‍ए। अभी यह अनुरोध पत्र ठंडे बस्‍ते में है।

फैजाबाद के सबसे बड़े डि‍ग्री कॉलेज कामता प्रसाद सुंदरलाल साकेत डि‍ग्री कॉलेज में प्रोफेसर अनि‍ल सिंह बताते हैं कि साजि‍श को हवा देने का काम राजा दि‍यरा के पुस्‍तैनी मंदि‍र देवकाली से 21-22 सि‍तंबर को हुई मूर्ति चोरी की घटना ने दि‍या। उन्‍होंने सवाल उठाया कि 25 लोगों के मंदि‍र में होते हुए कैसे कोई मंदि‍र से मूर्ति खोदकर ले जा सकता है। योगी आदि‍त्‍यनाथ का संगठन यहां भी पहुंचा और मूर्ति चोरी होने के बाद से दुर्गापूजा तक फैजाबाद में धरना प्रदर्शन कर सांप्रदायि‍क जमीन तैयार की गई।

अवध पीपुल्‍स फोरम के शाह आलम बताते हैं कि इन प्रदर्शनों में एक समुदाय के खि‍लाफ तकरीबन एक महीने तक खुलेआम जहर उगला गया और प्रशासन मकदर्शक बना रहा। एक महीने तक समुदाय वि‍शेष के खि‍लाफ गाने बजाए गए। खालि‍क अहमद का कहना है कि यह सब भाजपा की स्‍थानीय इकाई ने कि‍या। इस हल्‍ले गुल्‍ले में नई पीढ़ी के नौजवानों का खूब सहयोग लि‍या गया। इतना ही नहीं, पुलि‍स ने काफी नाटकीय तरीके से मूर्ति बरामद तो कर ली, पर दूसरे ही दि‍न राजा दि‍यरा ने प्रेस वार्ता करके कह दि‍या कि‍ मूर्ति तो नकली है। हालांकि मंदि‍र के पुजारी ने मूर्ति की वापस स्‍थापना करा दी। गौरतलब है कि मंदि‍र को लेकर पुजारी और राजा दि‍यरा में मुकदमा चल रहा था। इस पूरे प्रकरण में मंदि‍र के पुजारी से अभी तक पूछताछ नहीं की गई है कि मूर्ति चोरी के वक्‍त वो और उनके घरवाले कहां थे, क्‍या कर रहे थे।

इसी बीच गोरखपुर के सांसद योगी आदि‍त्‍यनाथ अयोध्‍या पहुंचे। आदि‍त्‍यानाथ की यू टयूब पर अपलोड की गई रि‍कॉर्डिंग बताती है कि‍ कि‍स तरह से उन्‍होंने फैजाबाद में एक समुदाय वि‍शेष को भड़काया और दूसरे समुदाय के लोगों को फैजाबाद और अयोध्‍या से नि‍काल फेंकने को कहा। उनका मानना था कि यह एक समुदाय वि‍शेष का काम है। आश्‍चर्यजनक रूप से फैजाबाद प्रशासन ने योगी की इस हरकत पर कोई एक्‍शन नहीं लि‍या। जब उन्‍होंने मिर्जापुर गांव जाने की कोशि‍श की, तो उन्‍हें रोका गया। यहीं से बाबरी मस्‍जि‍द वि‍ध्‍वंस के बीस साल पूरे होने की जमीन तैयार होने लगी।

मूर्ति चोरी प्रकरण में अनि‍ल सिंह ने बताया कि चोरी में पकड़े गए आरोपी हिंदू थे। एक आरोपी को पुलि‍स ने पहले ही उसके घर आजमगढ़ से उठा लि‍या था और जबरदस्‍ती चोरी में शामि‍ल होना दि‍खा दि‍या। पर अब पुलि‍स फंस गई है क्‍योंकि जि‍स दि‍न पुलि‍स ने गि‍रफ़तारी दि‍खाई, ठीक उसे एक हफते पहले आरोपी के परि‍वार ने एसएसपी को आवेदन देकर उसे प्रस्‍तुत करने की गुहार लगाई थी। गि‍रफतारी के ठीक तीन दि‍न पहले आरोपी के परि‍जनों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में हैबि‍यस कार्पस में मुकदमा कर दि‍या। अब पुलि‍स को गि‍रफतारी ही साबि‍त करनी मुश्‍कि‍ल होगी।

सन 1992 में स्‍थानीय समाचार पत्र जनमोर्चा के लि‍ए बाबरी वि‍ध्‍वंस की कवरेज कर चुके वरि‍ष्‍ठ पत्रकार केपी सिंह बताते हैं कि मस्‍जि‍द वि‍ध्‍वंस के बीस साल बाद अब नई पीढ़ी आ गई है। योगी और उनके जैसे लोगों का प्रयास है कि इनमें भी सांप्रदायि‍कता पनपे। इसीलि‍ए प्रकरण की शुरुआत एक मंदि‍र निर्माण की गैर कानूनी कोशि‍श से की गई। छह महीने से वहां तैनात फोर्स बताती है कि स्‍थि‍ति‍ सामान्‍य नहीं है। बाबरी मस्‍जि‍द वि‍ध्‍वंस के समय यहां के लोगों के दि‍लों में जो खटास नहीं आई थी, वो अब आ चुकी है।

चलते चलते 
सीआईए और अमेरि‍का ने कराया था बाबरी मस्‍जि‍द वि‍ध्‍वंस 
बात पुरानी है पर आज के दि‍न मौजूं है। कभी वि‍श्‍व हिंदू परि‍षद में रहे महंत युगल कि‍शोर शरण शास्‍त्री का बयान है कि‍ अमेरि‍का और उसकी जासूसी संस्‍था सीआईए ने बाबरी मस्‍जि‍द वि‍ध्‍वंस के लि‍ए वि‍श्‍व हिंदू परि‍षद को भारी मात्रा में धन उपलब्‍ध कराया था। यह बयान उन्‍होंने बाबरी मस्‍जि‍द वि‍ध्‍वंस प्रकरण की सुनवाई कर रहे स्‍पेशल जज वीरेंद्र कुमार की कोर्ट में दर्ज कराया है।