Sunday, November 30, 2014

नतमस्‍तक मोदक की नाजायज औलादें (17)

प्रश्‍न- आज आपने कुत्‍तों पर कोई स्‍टेटस अपडेट कि‍या था?
उत्‍तर- हां
प्रश्‍न- क्‍या कि‍या था?
उत्‍तर- यही कि कुत्‍ते भौंकते रहते हैं, जंगल की शांति बता देती है कि शेर जंगल में है।
प्रश्‍न- इसका अर्थ समझाएंगे?
उत्‍तर- यही कि माद******* स्‍टालि‍न की औलादों के भौंकने से हमारी झां**** नहीं उखड़ती।
प्रश्‍न- कुत्‍ते कौन हैं?
उत्‍तर- वही मा***** स्‍टालि‍न की औलादें
प्रश्‍न- और शेर?
उत्‍तर- हर हिंदू एक शेर है
प्रश्‍न- क्‍या आप कुत्‍ता पालते हैं?
उत्‍तर- हां, लेब्रा है हमारे पास। कल्‍लन के पास जर्मन शेफर्ड है
प्रश्‍न- क्‍या वो वामपंथी है?
उत्‍तर- क्‍या आप चूति‍या हैं?
प्रश्‍न- अभी आपने वामपंथि‍यों को कुत्‍ता कहा?
उत्‍तर- वो तो वो हैं ही
प्रश्‍न- आप अपने कुत्‍ते से क्‍यों प्रेम करते हैं?
उत्‍तर- तुम अपने बच्‍चे से क्‍यों नहीं मि‍लते?
प्रश्‍न- आप कुत्‍ते को अच्‍छा जीव समझते हैं या बुरा?
प्रश्‍न- कुत्‍ता अपना हो तो अच्‍छा, दूसरे का हो तो बुरा
प्रश्‍न- दूसरे का कुत्‍ता क्‍या वामपंथी होता है?
उत्‍तर- नहीं भो**** के। अघोरी होता होगा ना?
प्रश्‍न- वामपंथि‍यों से इतना चि‍ढ़ते क्‍यों हैं ?
उत्‍तर- वो देश के दुश्‍मन हैं
प्रश्‍न- क्‍या करते हैं वो?
उत्‍तर- माओवादी होते हैं साले
प्रश्‍न- क्‍या हर वामपंथी माओवादी होता है?
उत्‍तर- और क्‍या झां***वादी होगा। होता ही है
प्रश्‍न- पर उनमें से ज्‍यादातर तो हिंदू होते हैं?
उत्‍तर- उन्‍हें चीन पैसे खि‍लाता है
प्रश्‍न- क्‍यों पैसे खि‍लाता है?
उत्‍तर- हमारे यहां वो ग्रेटर चीन बनाना चाहता है। जैसे ग्रेटर नोएडा है।
प्रश्‍न- आपको इसकी खबर कहां से मि‍ली?
उत्‍तर- हमारे अपने सोर्स हैं
प्रश्‍न- अगर चीन ने कब्‍जा कर लि‍या तो कहां जाएंगे?
उत्‍तर- तुम्‍हारी गां**** में घुस जाएंगे भो**** के। फालतू की बात करते हो साले
प्रश्‍न- चीन के इस प्रयास को रोकने के लि‍ए क्‍या कर रहे हैं?
उत्‍तर- चीन के सामने मुजफ्फरनगर मॉडल बनाकर रख रहे हैं।
प्रश्‍न- आपके नेता कौन हैं?
उत्‍तर- योगी
प्रश्‍न- कौन योगी?
उत्‍तर- सब जानते हैं उनको। वो हिंदुत्‍व के असली शेर हैं
प्रश्‍न- कुछ दि‍न पहले आप कह रहे थे कि नमो असली शेर हैं?
उत्‍तर- हमारे यहां सब शेर हैं
प्रश्‍न- जो आपके यहां नहीं हैं, वो क्‍या हैं?
उत्‍तर- गीदड़ हैं मा*******।
प्रश्‍न- आप अपने वि‍रोधि‍यों के साथ कैसा व्‍यवहार करते हैं?
उत्‍तर- उनकी मां**** चो*** देते हैं। और तुम भी ज्‍यादा चपड़ चपड़ न करो। पूरे शहर को पता है कि तुम अपनी बीवी को पीटते थे।

नतमस्‍तक मोदक की नाजायज औलादें (16)

प्रश्‍न- क्‍या आप वास्‍तु शास्‍त्र मानते हैं?
उत्‍तर- ये क्‍या है यार... तुम कभी काम शास्‍त्र पूछते हो, कभी वास्‍तु शास्‍त्र। ढंग की भी बात कि‍या करो
प्रश्‍न- बताइये, मानते हैं?
उत्‍तर- हमने अपने घर की रसोई, बाथरूम और पूजाघर वास्‍तुशास्‍त्र के हि‍साब से बनवाई है
प्रश्‍न- क्‍या जानते हैं वास्‍तुशास्‍त्र के बारे में?
उत्‍तर- ये बहुत गंभीर वि‍ज्ञान होता है।
प्रश्‍न- कैसा वि‍ज्ञान?
उत्‍तर- गंभीर। बहुत गंभीर लोग ही इसका अध्‍ययन कर पाते हैं।
प्रश्‍न- क्‍या आपने कभी कि‍या इसका अध्‍ययन?
उत्‍तर- कभी कभार इंटरनेट पे पढ़ लेते हैं
प्रश्‍न- क्‍या लगा पढ़कर?
उत्‍तर- ये चारों दि‍शाओं का ज्ञान होता है। इसमें प्रकाश और गर्मी और सर्दी के अच्‍छे इंतजाम के बारे में बड़े ही वैज्ञानि‍क तरीके से बताया जाता है
प्रश्‍न- आपने साहेब का नया ट्वीट पढ़ा?
उत्‍तर- हां, अपनी वाल पे भी शेयर कि‍या था और नमो नारायण में भी तीन बार अपडेट कि‍या था
प्रश्‍न- उसका मतलब बताएंगे?
उत्‍तर- ये उनकी वैज्ञानि‍क सोच है। हमने उनसे गंभीर और दूरदृष्‍टि वाला नेता कभी नहीं देखा
प्रश्‍न- उनके ट्वीट का आपने क्‍या अर्थ लगाया?
उत्‍तर- वो देश को एक घर मानते हुए वास्‍तुशास्‍त्र के हि‍साब से उसका नक्‍शा ठीक करने की बात कर रहे हैं
प्रश्‍न- पर वो तो सीधे कह सकते थे कि नॉर्थ ईस्‍ट पर ध्‍यान देना होगा?
उत्‍तर- अरे तो ऐसे कह दि‍या तो क्‍या गुनाह कर दि‍या?
प्रश्‍न- आपके वो सीधे बात कब करते हैं?
उत्‍तर- हमेशा सीधे ही बात करते हैं
प्रश्‍न- शायद सीधे सीधे ही कहा था काला धन लाएंगे?
उत्‍तर- हां तो, ले तो आए
प्रश्‍न- कहां है काला धन?
उत्‍तर- काला है, इसलि‍ए दि‍खेगा नहीं
प्रश्‍न- पर सबके एकाउंट में जाने थे?
उत्‍तर- हम अभी इतने पापी नहीं कि काला धन स्‍वीकार करें
प्रश्‍न- फि‍र क्‍या होगा उस पैसे का?
उत्‍तर- जो नमो चाहेंगे
प्रश्‍न- और नमो क्‍या चाहेंगे?
उत्‍तर- ये कि‍सी से नहीं छुपा है। वो कोई भी चीज नहीं छुपाते
प्रश्‍न- पर उन्‍होंने तो अपनी पत्‍नी को छुपाया?
उत्‍तर- तुम अपनी पत्‍नी से क्‍यों अलग रहते हो, कहो तो सबको बता दें
प्रश्‍न- वो अपनी पत्‍नी को स्‍वीकार क्‍यों नहीं कर रहे?
उत्‍तर- वो सीता हैं। आश्रम में रहती हैं
प्रश्‍न- आश्रम में क्‍यों रहती हैं?
उत्‍तर- क्‍योंकि भगवान बुद्ध शांति के कार्य को नि‍कले हैं
प्रश्‍न- आपका मतलब वो यशोधरा हैं?
उत्‍तर- हां, नाम भी तो उनका वही है। जसोदाबेन- यशोधरा
प्रश्‍न- आप दोनों को एक साथ देखना चाहते हैं?
उत्‍तर- ऐसा मुमकि‍न नहीं।
प्रश्‍न- देखना चाहते हैं या नहीं?
उत्‍तर- हो जाए तो कोई बुराई नहीं।

नतमस्‍तक मोदक की नाजायज औलादें (15)

प्रश्‍न- भगत सिंह के साथ जेल में कौन कौन थे?
उत्‍तर- शेर अकेला ही रहता है
प्रश्‍न- और कोई नहीं रहता था उनके साथ जेल में?
उत्‍तर- रहते होंगे, उन्‍हीं के साथ के कोई
प्रश्‍न- क्‍या आपके लोग भगत सिंह के साथ जेल गए थे?
उत्‍तर- हां, हमने उस वक्‍त गि‍रफ्तारि‍यां दी थीं
प्रश्‍न- कि‍स वक्‍त?
उत्‍तर- आजादी के वक्‍त
प्रश्‍न- अपने कि‍सी नेता का नाम बताएंगे जि‍सने आजादी के आंदोलन में गि‍रफ्तारी दी?
उत्‍तर- बाल गंगाधर ति‍लक, स्‍वामी वि‍वेकानंद।
प्रश्‍न- बाल गंगाधर ति‍लक कहां बंद हुए थे?
उत्‍तर- शायद पंजाब जेल में
प्रश्‍न- गांधी जी को जानते हैं?
उत्‍तर- वो जो नोट पे छपता है?
प्रश्‍न- हां वही?
उत्‍तर- वो तो साला चूति‍या था
प्रश्‍न- क्‍यों?
उत्‍तर- नोट पर उसकी फोटो नहीं होनी चाहि‍ए
प्रश्‍न- क्‍यों?
उत्‍तर- भारत माता की फोटो होनी चाहि‍ए
प्रश्‍न- पर आपने अभी गांधी के बारे में कुछ कहा?
उत्‍तर- हां, सही कहा। चूति‍या था साला। अंग्रेजों का दलाल था
प्रश्‍न- वो कैसे?
उत्‍तर- अंग्रेजों का तलवा चाटकर उसने देश बांट दि‍या
प्रश्‍न- पर उन्‍होंने तो बंटवारे का वि‍रोध कि‍या था?
उत्‍तर- तुम राजनीति नहीं समझते हो
प्रश्‍न- क्‍या आपके फैजाबाद में भी कोई शहीद हुआ है?
उत्‍तर- पता नहीं
प्रश्‍न- अशफाक उल्‍ला खां को जानते हैं?
उत्‍तर- अरे हां, उनको हमारे यहां ही फांसी दी गई थी, परसों जेल गए थे तो नाम देखे थे
प्रश्‍न- क्‍यों फांसी दी गई थी?
उत्‍तर- डकैती डाली थी
प्रश्‍न- कहां?
उत्‍तर- कि‍सी बड़े हिंदू सेठ के घर
प्रश्‍न- जेल क्‍यों गए थे?
उत्‍तर- जाते रहते हैं दोस्‍तों से मि‍लने
प्रश्‍न- आपके दोस्‍त जेल में भी हैं?
उत्‍तर- कई हैं
प्रश्‍न- क्‍यों?
उत्‍तर- अरे वो लल्‍लन तो इसलि‍ए है कि जूता वाले की दुकान फूंक दि‍ये था पि‍छले साल दंगे में।
प्रश्‍न- पर वो तो कहता है कि सब झूठ है?
उत्‍तर- हां सब झूठ है। तुम भी बोलो सब झूठ है।
प्रश्‍न- असल में हुआ क्‍या था?
उत्‍तर- उसी से पूछना
प्रश्‍न- भगत सिंह के बम के दर्शन के बारे में क्‍या जानते हैं?
उत्‍तर- वीर भूमि से मुल्‍लों को भगाने के लि‍ए बम फोड़ने में कोई बुराई नहीं
प्रश्‍न- ये भगत सिंह ने कहा था?
उत्‍तर- और कौन कहेगा? वो सच्‍चे वीर थे
प्रश्‍न- ये बातें आपको कहां से पता चलीं?
उत्‍तर- सुबह टहलने जाते हैं, वहीं बात होती है
प्रश्‍न- सुबह कहां टहलने जाते हैं?
उत्‍तर- गुप्‍तारघाट, कभी कभी कंपनी गार्डन
प्रश्‍न- वहां कौन बताता है आपको?
उत्‍तर- हम लोग ही एक दूसरे को बताते हैं
प्रश्‍न- आप लोगों को कहां से पता चलती हैं?
उत्‍तर- लखनऊ कमांड से हम सबको रोज ईमेल मि‍लती हैं। वहां जाते हैं तो कि‍ताबें भी
प्रश्‍न- पैसे भी मि‍लते हैं?
उत्‍तर- पागल हो। ये हम सब खुद करते हैं। इसके लि‍ए पैसे की क्‍या जरूरत
प्रश्‍न- पैसे के लि‍ए क्‍या करते हैं?
उत्‍तर- ठेकेदारी। 

Saturday, November 29, 2014

नतमस्‍तक मोदक की नाजायज औलादें (14)

प्रश्‍न- आपने ये नारंगी टोपी कबसे पहननी शुरू की?
उत्‍तर- इसी साल से। ये तो ट्रेंड में है।
प्रश्‍न- नहीं, मेरा मतलब है कि पहले तो आप पहनते नहीं थे, कि‍सी ने नहीं पहनी, फि‍र ये अचानक कैसे बदलाव आया?
उत्‍तर- अरे इसी साल से। देखा नहीं इलेक्‍श्‍न में नमो नमो हो रहा था
प्रश्‍न- बता सकते हैं कि ये टोपी का ट्रेंड कबसे शुरू हुआ?
उत्‍तर- गांधी जी के वक्‍त से
प्रश्‍न- गांधी जी टोपी पहनते थे?
उत्‍तर- लो... अब इस चूति‍ये को यही नहीं पता?
प्रश्‍न- और कि‍स कि‍स ने टोपी पहनी है?
उत्‍तर- भगत सिंह ने भी पहनी थी एक बार टोपी। हमारे भगवान ने भी पहनी थी टोपी
प्रश्‍न- भगवान राम?
उत्‍तर- नहीं, वो तो पहले वाले थे। अब तो सब नमो नमो है।
प्रश्‍न- आपको नहीं लगता कि आपके भगवान ने ही आपको टोपी पहनाई है?
उत्‍तर- बि‍लकुल। ये उन्‍हीं की टोपी है। जीआईसी में वो उछाले थे तो हम लपक के लोक लि‍ए थे।
प्रश्‍न- कि‍तनी टोपि‍यां उछालीं थीं आपके भगवान ने?
उत्‍तर- बहुत... सैकड़ों तो रही होंगी
प्रश्‍न- टोपी पहनने के बाद आपको कैसा लगता है?
उत्‍तर- टोपी हमारी शान है, भगवा हमारी जान है।
प्रश्‍न- और ति‍रंगा?
उत्‍तर- क्‍या ति‍रंगा?
प्रश्‍न- मतलब राष्‍ट्रीय ध्‍वज वो आपके लि‍ए क्‍या है?
उत्‍तर- राष्‍ट्रीय ध्‍वज सिर्फ भगवा झंडा है, और कुछ नहीं
प्रश्‍न- क्‍या आप ति‍रंगे को राष्‍ट्रीय ध्‍वज नहीं मानते हैं?
उत्‍तर- तुम्‍हारी बीवी झारखंडी वाले अहाते में क्‍यों जाती है?
प्रश्‍न- तो आप भगवा झंडे को ही राष्‍ट्रीय ध्‍वज मानते हैं?
उत्‍तर- हां। वो हिंदू राष्‍ट्र का प्रतीक है। हमारे सारे साधु संत भगवा ही धारण करते हैं। भगवा वि‍कास का भी प्रतीक है।
प्रश्‍न- पर आपके नागा साधू तो कपड़े ही नहीं पहनते?
उत्‍तर- वो पवि‍त्र होते हैं। हम उनके लिंग को अपनी आंखों से लगाते हैं।
प्रश्‍न- जैन सफेद पहनते हैं, सिख नीला पीला पहनते हैं?
उत्‍तर- तुम्‍हारा लड़का पहलवान के यहां परसों समोसा लेने आया था। पहलवान ने उसे लस्‍सी और गुलाबजामुन भी खि‍लाया।
प्रश्‍न- अगर  इन लोगों ने भगवा राष्‍ट्रध्‍वज का वि‍रोध कि‍या तो?
उत्‍तर- नहीं करेंगे। नमो नहीं ये आंधी है
प्रश्‍न- फिर भी, अगर कर दि‍या तो?
उत्‍तर- तो जैसे गुजरात से भगाया है, वैसे यहां से भी भगा देंगे
प्रश्‍न- आप तो 26 जनवरी या 15 अगस्‍त को बाइक पर ति‍रंगा लगाते हैं?
उत्‍तर- करना पड़ता है। अभी बहुत लोग नासमझ हैं
प्रश्‍न- नासमझ मतलब?
उत्‍तर- भोले हैं लोग। दूसरे लोग बहका लेते हैं
प्रश्‍न- दूसरे लोग कौन?
उत्‍तर- अरे यही कटुआ मुलायम और ह***** मायावती
प्रश्‍न- इसे कैसे रोकेंगे?
उत्‍तर- जब तक ठोंकेंगे नहीं, तब तक कोई बाप नहीं कहेगा
प्रश्‍न- मतलब आप हिंसा करेंगे?
उत्‍तर- तुम अपनी बीवी को पीटते थे ना?
प्रश्‍न- पर ति‍रंगा तो कानूनन घोषि‍त है?
उत्‍तर- यार पांड़े... तुम इतना कानून काहे चो**** हो। बदल लेंगे। अब अपना राज है
प्रश्‍न- और क्‍या क्‍या बदलेंगे?
उत्‍तर- आओ, आज देखो पहलवान स्‍पेशल सेव बनवाए हैं।
प्रश्‍न- मेरा आज मूड नहीं है
उत्‍तर- अमे बैठो ल**** की। लो चि‍यर्स करो

नतमस्‍तक मोदक की नाजायज औलादें (13)

प्रश्‍न- आप रवीश कुमार को जानते हैं?
उत्‍तर- वो एनडीटीवी वाला?
प्रश्‍न- हां वही, क्‍या आप उन्‍हें जानते हैं?
उत्‍तर- वो तो आपि‍या है हरामी
प्रश्‍न- आपि‍या मतलब?
उत्‍तर- उसे तो केजरू ने खरीद रखा है
प्रश्‍न- ऐसा आप कैसे कह सकते हैं?
उत्‍तर- टीवी नहीं देखते हो क्‍या? कैसे हमारी छवि बि‍गाड़ने की कोशि‍श करता है?
प्रश्‍न- क्‍या जो आपकी छवि बि‍गाड़ने की कोशि‍श करता है, वो आपि‍या होता है?
उत्‍तर- अब कांग्रेस की गां**** में इतना दम तो बचा नहीं। दम तो इन मा********* आपि‍यों की गां*** में भी नहीं है
प्रश्‍न- आप रवीश कुमार को गालि‍यां क्‍यों देते हैं?
उत्‍तर- गाली खाने वाला काम करेगा तो क्‍या फूल बरसाएंगे
प्रश्‍न- क्‍या गाली खाने वाला काम करते हैं वह?
उत्‍तर- वो साला नमो से जलता है।
प्रश्‍न- नमो से क्‍यों जलते हैं वो?
उत्‍तर- उसके सीने पर सांप लोटते हैं कि कांग्रेस की सरकार क्‍यों नही है
प्रश्‍न- अभी तो आप कह रहे थे कि वो आम आदमी पार्टी के हैं?
उत्‍तर- अरे वो साला वामपंथी भी है। कुजात। अपनी जात तक नहीं लि‍खता है।
प्रश्‍न- सही सही समझाइये, मतलब कोई एक समस्‍या है या कई समस्‍याएं हैं?
उत्‍तर- उसको बोलो साले को। ये सब चूति‍यापा करना बंद कर दे।
प्रश्‍न- कैसा चूति‍यापा?
उत्‍तर- यही जो फेसबुक पर उल्‍टा सीधा लि‍खता है
प्रश्‍न- कैसा उल्‍टा सीधा?
उत्‍तर- जाके पढ़ लो, और न हो तो परसों वाली पोस्‍ट पर हमारे कमेंट्स भी देखना, कैसे तो उसकी मां बहन कि‍ए थे
प्रश्‍न- क्‍यों कि‍ए थे?
उत्‍तर- हरामी साला हमारे नमो के बारे में उल्‍टा सीधा लि‍खा था
प्रश्‍न- क्‍या लि‍खा था?
उत्‍तर- तेरी मां की *****। भो**** के, हजार काम हैं, इतना याद थोड़े रहता है।
प्रश्‍न- क्‍या आप अलका लांबा को जानते हैं?
उत्‍तर- वो आपि‍यों की रंडी ना बहुत अच्‍छे से जानते हैं
प्रश्‍न- आप उन्‍हें गालि‍यां क्‍यों देते हैं?
उत्‍तर- रंडी गाली नहीं खाएगी तो क्‍या मेरा लं****** खाएगी?
प्रश्‍न- फि‍र भी, कोई तो तर्क होगा इसके पीछे?
उत्‍तर- वो हमारी ईमेज बि‍गाड़ती है
प्रश्‍न- वो कैसे?
उत्‍तर- वो सबकुछ झूठ लि‍खती है
प्रश्‍न- क्‍या आप फेसबुक पर झूठ लि‍खते हैं?
उत्‍तर- बि‍लकुल नहीं। हमने हमेशा सत्‍य ही लि‍खा है
प्रश्‍न- पर मुजफ्फरनगर दंगों में आप बांग्‍लादेश की फोटो शेयर कर रहे थे?
उत्‍तर- भो***** के। फोटो पर कहां लि‍खा होता है कि वो कहां की है? 

नतमस्‍तक मोदक की नाजायज औलादें (12)

प्रश्‍न- आप अपनी जेब में हमेशा ये माचि‍स की तीली क्‍यों रखते हैं?
उत्‍तर- दांत और कान खोदने के लि‍ए
प्रश्‍न- क्‍या एक ही तीली से दोनों काम करते हैं?
उत्‍तर- एक तरफ से कान खोदते हैं, दूसरी तरफ से दांत खोदते हैं
प्रश्‍न- याद कैसे रहता है कि कि‍ससे कान खोदा था और कि‍ससे दांत?
उत्‍तर- वो... टेस्‍ट आ जाता है।
प्रश्‍न- कैसा टेस्‍ट?
उत्‍तर- कान के मैल का
प्रश्‍न- क्‍या हर चीज में ही आप ऐसे ही टू इन वन इस्‍तेमाल करते हैं?
उत्‍तर- हर चीज माने?
प्रश्‍न- मतलब हर समस्‍या के लि‍ए?
उत्‍तर- और क्‍या। एक लठ्ठ से हजार समस्‍या हल की जा सकती हैं
प्रश्‍न- जैसे कि?
उत्‍तर- जैसे इन मुल्‍लों को लठ्ठ मार मारके इस देश से भगाया जाएगा
प्रश्‍न- कहां भगाएंगे इनको?
उत्‍तर- भागें साले वहीं अपने देश पाकि‍स्‍तान
प्रश्‍न- पर उन्‍होंने आपका क्‍या बि‍गाड़ा है?
उत्‍तर- उन्‍हें देखकर हमारी झां*** सुलगती है
प्रश्‍न- क्‍यों?
उत्‍तर- बचपन से हमें सि‍खाया गया है कि उनके लि‍ए दि‍ल में आग रखनी चाहि‍ए आग
प्रश्‍न- तब तो आपका दि‍ल हमेशा जलता रहता होगा?
उत्‍तर- जब जब चौक में उस हरामी की जूते की दुकान देखता हूं, मन करता है फि‍र से फूंक दूं उसे
प्रश्‍न- फि‍र से का क्‍या मतलब, क्‍या पहले भी जला चुके हैं?
उत्‍तर- और क्‍या समझते हो ये तीली झां**** सुलगाने के लि‍ए रखी है जेब में?
प्रश्‍न- पर आपके ही दोस्‍त कहते हैं कि आप जूते वाली की पत्‍नी के साथ संभोग करना चाहते थे?
उत्‍तर- रंडी है साली। पूरा शहर चढ़ता है उसपर
प्रश्‍न- क्‍या आप संभोग कर पाए?
उत्‍तर- रंडीबाज समझा है क्‍या हमको?
प्रश्‍न- पर खुद आपकी पत्‍नी ने आपको कई बार परस्‍त्रीगमन करते हुए पकड़ा है?
उत्‍तर- ये पर.. पर... ये क्‍या शब्‍द बोला तुमने?
प्रश्‍न- परस्‍त्रीगमन?
उत्‍तर- ये क्‍या होता है?
प्रश्‍न- आपकी पत्‍नी ने आपको कि‍सी दूसरी स्‍त्री के साथ संभाग करते हुए पकड़ा था?
उत्‍तर- कौन भो**** का तुमको बताया हरामी साले? देखते नहीं हम ति‍लक धारण कि‍ए हुए हैं।
प्रश्‍न- क्‍या आप जनेऊ पहनते हैं?
उत्‍तर- नहीं
प्रश्‍न- क्‍या आपका उपनयन संस्‍कार हुआ है?
उत्‍तर- हां, पर पहनते नहीं।
प्रश्‍न- क्‍यों नहीं पहनते?
उत्‍तर- तुम क्‍यों नहीं पहनते?
प्रश्‍न- मैं मानता नहीं?
उत्‍तर- तुम चूति‍ये हो।
प्रश्‍न- माचि‍स की तीली से क्‍या आप अपनी नाक का मैल नि‍काल सकते हैं?
उत्‍तर- इधर आओ हरामी साले तुम्‍हारी गां*** का मैल नि‍कालते हैं कुत्‍ते। हमेशा भौंकता रहता है। 

नतमस्‍तक मोदक की नाजायज औलादें (11)

प्रश्‍न- आपके वि‍चार में देश की सबसे बड़ी समस्‍या कौन सी है?
उत्‍तर- ये जो हरामी मुल्‍ले 10-10 पैदा कर रहे हैं ना, यही है देश की सबसे बड़ी समस्‍या।
प्रश्‍न- पर अकेले मुसलमान आबादी तो बढ़ा नहीं सकते हैं?
उत्‍तर- चूति‍या हो तुम। वही बढ़ा रहे हैं। उन्‍हें मदरसों में जल्‍दी जल्‍दी आबादी बढ़ाने की ट्रेनिंग दी जाती है।
प्रश्‍न- पर आप खुद भी तो 7 बहन एक भाई हैं, उसका क्‍या?
उत्‍तर- क्‍या चाहते हो, हमारा वंश ना चलता?
प्रश्‍न- आपके चाचा और मामा के यहां भी यही हाल है?
उत्‍तर- उनके लौ**** में दम था बेटी***। इसीलि‍ए ये हाल है।
प्रश्‍न- चर्चा में है कि आबादी और दूसरी समस्‍याओं से नि‍पटने के लि‍ए यौन शि‍क्षा जरूरी की जानी चाहि‍ए?
उत्‍तर- ये उन हरामी स्‍टालि‍न की नाजायज औलादों के दि‍माग की उपज है। जैसे वो कि‍सी से भी सेक्‍स कर लेते हैं, वैसे ही चाहते हैं कि सब करें। हम ऐसा नहीं होने देंगे।
प्रश्‍न- अगर फि‍र भी यौन शि‍क्षा लागू की गई तो?
उत्‍तर- केंद्र की सरकार भारतीय संस्‍कृत की रक्षा करना जानती है। वो ऐसा नहीं होने देगी।
प्रश्‍न- संस्‍कृत नहीं, संस्‍कृति होता है, पहले भी बताया था आपको?
उत्‍तर- जो भी हो। यौन शि‍क्षा भारतीय संस्‍कृति में नहीं है।
प्रश्‍न- क्‍या आपने वात्‍स्‍यायन का कामसूत्र पढ़ा है?
उत्‍तर- हां
प्रश्‍न- कहां?
उत्‍तर- पहले देसीबाबा पर पढ़ता था, अब अंर्तवासना पर पढ़ता हूं।
प्रश्‍न- क्‍या उसमें कामसूत्र के सूत्र दि‍ए गए हैं?
उत्‍तर- अंर्तवासना पढ़ के देखो, सारे सूत्र दि‍ए हैं। मैं तो कभी कभी टेस्‍टिंग भी कर लेता हूं
प्रश्‍न- मैनें अंर्तवासना देखी है, उसमें कामसूत्र का कोई जि‍क्र नहीं है?
उत्‍तर- तुम चूति‍या हो। काम लगाने के जि‍तने आसन अंर्तवासना पर हैं, उतने कामसूत्र में भी नहीं होंगे।
प्रश्‍न- इसका मतलब कि सेक्‍स या उसकी पोजीशन पहले से ही मौजूद है?
उत्‍तर- हम इसका वि‍रोध करते हैं। बहुत जल्‍द इंटरनेट पर भी बैन लगेगा।
प्रश्‍न- फि‍र आप वो जरूरतें कहां से पूरी करेंगे, जो अंर्तवासना से पूरी करते हैं?
उत्‍तर- इसीलि‍ए तो हमको जो अच्‍छा लगता है, हम अपने कंप्‍यूटर पर सेव कर लेते हैं
प्रश्‍न- वात्‍स्‍यायन का कामसूत्र तो पहले से ही भारतीय संस्‍कृति में है?
उत्‍तर- है तो क्‍या हुआ। उसकी पूजा करें क्‍या?
प्रश्‍न- वह यौन शि‍क्षा के लि‍ए ही तो लि‍खा गया था?
उत्‍तर- तुमको भो**** के बता के लि‍खा होगा ना वात्‍स्‍यायन ने?
प्रश्‍न- हमारे ऋषि मुनि भी चाहते थे कि लोग इस मामले में शि‍क्षि‍त हों?
उत्‍तर- एक बात बताओ, तुम्‍हारा लौंडा तुमसे पूछे कि पापा लं*** और चू**** क्‍या होता है तो तुमको कैसा लगेगा?
प्रश्‍न- मैं उसे उनके सही सामाजि‍क नाम के साथ अर्थ बताउंगा, आप क्‍या करेंगे?
उत्‍तर- उसकी गां*** पे लात मारकर भगा देंगे चूति‍ये साले। ये चीजें बच्‍चों की नहीं होती।
प्रश्‍न- ब्रि‍टेन में यौन शि‍क्षा लागू होने के बाद वहां कम उम्र में मां बनने वाली महि‍लाओं में कमी आई है?
उत्‍तर- वहां सही उम्र में शादी नहीं होती। अंग्रेजन गरम भी तो होती हैं।
प्रश्‍न- मैने कहा कि कमी आई है?
उत्‍तर- पूरी दुनि‍या के वैज्ञानि‍क चि‍ल्‍ला रहे हैं कि पृथ्‍वी गरम हो रही है, ये उसी का असर है।
प्रश्‍न- यौन बीमारि‍यों में भी काफी कमी आई है इसके लागू होने के बाद?
उत्‍तर- वो तो वैसे ही सफेद होते हैं, उनको कौन सी बीमारी?
प्रश्‍न- मतलब आप भारत में बच्‍चों को यौन शि‍क्षा पढ़ाने के पूरी तरह से खि‍लाफ हैं?
उत्‍तर- तुम पूरी तरह से चूति‍ये ही हो। ये चीजें बच्‍चों की नहीं होतीं।
प्रश्‍न- तो क्‍या बड़ों के लि‍ए इसकी अलग से क्‍लास शुरू होनी चाहि‍ए?
उत्‍तर- सोचा तो जा सकता है... पर कोई कंटास मास्‍टरनी होनी चाहि‍ए
प्रश्‍न- क्‍यों?
उत्‍तर- गां*** मराने के लि‍ए भो**** के। हर बात का जवाब नहीं होता।

नतमस्‍तक मोदक की नाजायज औलादें (10)

प्रश्‍न- लव जेहाद क्‍या होता है?
उत्‍तर- ये पाकि‍स्‍तान की साजि‍श है। वो यहां के मुल्‍लों को पैसा देता है हिंदुओं की लड़कि‍यों को पटाने के लि‍ए।
प्रश्‍न- वो कैसे?
उत्‍तर- पाकि‍स्‍तान नेपाल के रास्‍ते बहुत सारा नकली रुपया इसके लि‍ए भेजता है।
प्रश्‍न- आपका मतलब है कि नकली रुपयों से भारतीय मुसलमान लव जि‍हाद कर रहे हैं?
उत्‍तर- जभी तो पकड़े जाते हैं हरामी। और ये भारतीय मुसलमान क्‍यों कहते हो। सारे मुसलमान पाकि‍स्‍तानी हैं, इन हरामि‍यों को वहीं भेजना है।
प्रश्‍न- नकली रुपयों से ये हिंदूओं की लड़कि‍यों को कैसे बरगलाते हैं?
उत्‍तर- वो उससे महंगे कपड़े और मोटरसाइकि‍ल वगैरह खरीदते हैं तो हिंदुओं की लड़कि‍यों को पटा लेते हैं।
प्रश्‍न- पर अभी तो आपने कहा कि जाली करेंसी की वजह से पकड़े जाते हैं?
उत्‍तर- बि‍लकुल पकड़े जाते हैं। जब ये हिंदुओं की लड़कि‍यों को भगाते हैं तो होटलों में उसी वजह से पकड़े जाते हैं।
प्रश्‍न- क्‍या आपके शहर में हुई हैं ऐसी घटनाएं?
उत्‍तर- हमारे रहते इन हरामी मुल्‍लों की गां*** में इतना दम नहीं। हम उनकी गां*** तोड़ देंगे।
प्रश्‍न- स्‍पेशल मैरि‍ज एक्‍ट का रि‍कॉर्ड बताता है कि इस वर्ष अभी तक आपके जि‍ले में 14 शादि‍यां इसी तरह की हो चुकी हैं?
उत्‍तर- ये इस समाजवादी पार्टी की सरकार की साजि‍श है। वो मुल्‍ला मुलायम सबको मुल्‍ला बना देना चाहता है।
प्रश्‍न- रि‍कॉर्ड ये भी बताता है कि इन शादि‍यों को करने वालों की क्‍वालि‍फि‍केशन कम से कम ग्रेजुएट है?
उत्‍तर- देशद्रोही वामपंथी होंगे साले। ऐेसे कुकर्म तो वही करते हैं।
प्रश्‍न- क्‍या लड़कि‍यां भी वामपंथी होंगी?
उत्‍तर- वो तो छि‍नाल होंगी।
प्रश्‍न- तो क्‍या वो लड़कि‍यां, जो दूसरे धर्मों या जाति‍यों में शादी करती हैं, वो दुश्‍चरि‍त्र होती हैं?
उत्‍तर- बि‍लकुल। सौ फीसदी। उनका कोई चरि‍त्र नहीं होता। वो रंडि‍यां होती हैं, आज यहां, कल कहां।
प्रश्‍न- क्‍या उनका कोई धर्म होता है?
उत्‍तर- सवाल ही पैदा नहीं होता। मुल्‍ला होने के बाद वो मुल्‍ला ही पैदा करती हैं।
प्रश्‍न- पर कानून के हि‍साब से तो कि‍सी का भी धर्म नहीं बदलता?
उत्‍तर- पांड़े ज्‍यादा कानून ना चो*** यहां। हमको सब कानून पता है।
प्रश्‍न- ये लव जेहाद शुरू कहां से हुआ?
उत्‍तर- अलीगढ़ से
प्रश्‍न- वहां से कैसे?
उत्‍तर- वहां मुल्‍ले ज्‍यादा हैं
प्रश्‍न- पर मीडि‍या में तो आया नहीं ऐसा कभी?
उत्‍तर- मीडि‍या वाले साले दल्‍ले हैं। पैसे खाकर खबर छुपाते हैं।
प्रश्‍न- भाजपा के कई नेताओं की लड़कि‍यों की शादी मुसलमानों से हुई है?
उत्‍तर- कल तुम्‍हारी बीवी को देखा था चौक में। टेढ़ी गली में समोसे खरीद रही थी।
प्रश्‍न- कई हिंदू अभि‍नेताओं ने मुस्‍लि‍म अभि‍नेत्रि‍यों से शादी की है?
उत्‍तर- वो टेढ़ी गली में नहीं रहते ना
प्रश्‍न- अभी तक की बातचीत में जि‍हाद का ठीक से खुलासा नहीं हुआ?
उत्‍तर- ये मुल्‍ले साले पूरी दुनि‍या में जि‍हाद कर रहे हैं। कुछ दि‍न रुको, जब आइसि‍स वाले आकर तुम्‍हारी गां*** में गोली ठोंकेंगे, तब पूछेंगे लव जि‍हाद।
प्रश्‍न- क्‍या आइसि‍स वाले लव जि‍हाद करने आ रहे हैं?
उत्‍तर- नहीं, तुम्‍हारी मां ***** आ रहे हैं साले। आएंगे तो देखना हमी लड़ेंगे उनसे। तुम तो साले कहीं कि‍सी के पल्‍लू में छुपे होगे।
प्रश्‍न- कैसे लड़ेंगे उनसे?
उत्‍तर- एकदम चूति‍या ही हो क्‍या? पत्रकार हो तुम। देखा नहीं तुमने हम अभी तक कैसे लड़े हैं? हम वीर हैं। और वीर भोग्‍या वसुंधरा संस्‍कृत में श्‍लोक कहा गया है।
प्रश्‍न- मतलब आपने तैयारी की है या ऐसे ही बोल रहे हैं?
उत्‍तर- पूरी तैयारी है। चौक में हर राष्‍ट्रवादी हिंदू के घर पर हथि‍यार भरे पड़े हैं।
प्रश्‍न- पर सरकार ने ऐसे कि‍सी हमले की चेतावनी तो जारी नहीं की है?
उत्‍तर- सरकार साली चूति‍या है
प्रश्‍न- क्‍या कह रहे हैं, आपकी ही सरकार है ?
उत्‍तर- मतलब प्रदेश की सरकार साली चूति‍या है। हमको सब खबर है। सीधा तार हाईकमान से जुड़ा है।
प्रश्‍न- हाईकमान कौन है?
उत्‍तर- लखनऊ में बैठते हैं। नाम नहीं बता सकते।
प्रश्‍न- पुराना सवाल एक बार फि‍र से, लव जि‍हाद मुस्‍लि‍म लड़के कैसे करते हैं, ठीक ठीक समझाइये?
उत्‍तर- पहले वो नए कपड़े और बाइक खरीदते हैं। फि‍र आर्य कन्‍या इंटर कालेज के सामने खड़े हो जाते हैं छुट्टी के टाइम। हिंदू की लड़की बहुत भोली होती है। वो समझ नहीं पाती ज्‍यादा। टीवी पर बाइक देखकर उसे सामने खड़ा सलमान खान भी भगवान राम लगने लगता है। बस...
प्रश्‍न- भोली लड़की मतलब?
उत्‍तर- मतलब हमारी लड़कि‍यां कहीं नि‍कलती नहीं हैं ना। वो तो बस स्‍कूल से घर या ट्यूशन से घर। दुनि‍या जहान के बारे में ज्‍यादा नहीं जानती हैं।
प्रश्‍न- क्‍या आपने इन लड़कि‍यों को इस बारे में शि‍क्षि‍त करने की कोशि‍श की?
उत्‍तर- हमने गांव गांव जाकर लव जि‍हाद के खि‍लाफ लोगों को रक्षा सूत्र बांधे हैं। खुद मैं 17 गावों में बांध चुका हूं।
प्रश्‍न- कि‍से बांधते थे रक्षा सूत्र?
उत्‍तर- लड़की के बाप या भाई को।
प्रश्‍न- ऐसा क्‍यों?
उत्‍तर- अबे यार कोई इस चूति‍ये को समझाओ। भूतनी के, लड़की का बाप या भाई ही तो उसकी रक्षा करेगा।
प्रश्‍न- अभी आप लव जि‍हाद को कैसे रोक रहे ?हैं
उत्‍तर- हम पर्चे छपवा कर बंटवा रहे हैं। जि‍तना हो सकता है, यार दोस्‍तों को फेसबुक से लव जि‍हाद पर अपडेट रखते हैं।
प्रश्‍न- क्‍या आपकी बहन आपके फेसबुक एकाउंट पर आपकी फ्रेंडलि‍स्‍ट में है?
उत्‍तर- नहीं
प्रश्‍न- क्‍यों?
उत्‍तर- अबे चूति‍ये, वहां पर गाली गलौच होती है। कोई लं**** पे गई लि‍खता है तो कोई चू*** पे गई लि‍खता है। वहां तो अपने यार दोस्‍तों की महफि‍ल सजती है। सब फ्री होता है वहां। बहन का रहना वहां ठीक नहीं होगा, चूति‍ये को इतना भी समझ में नहीं आता।
प्रश्‍न- क्‍या आप कभी वेश्‍यालय गए हैं?
उत्‍तर- बंद कराने गए हैं
प्रश्‍न- क्‍या आपने कभी वेश्‍यागमन कि‍या है?
उत्‍तर- क्‍या तुमने कि‍या है?
प्रश्‍न- हां, पर क्‍या आपने कि‍या है?
उत्‍तर- नहीं, हम शुद्ध हिंदू हैं, हमने कभी ऐसा नहीं कि‍या।
प्रश्‍न- तो आप शादी के पहले क्‍या करते थे?
उत्‍तर- हम शादी के पहले बि‍जनेस करते थे, अब भी वही करते हैं
प्रश्‍न- नहीं, मेरा मतलब है, अपनी सेक्‍स इच्‍छाओं को संतुष्‍ट करने के लि‍ए।
उत्‍तर- तुम भो**** के मस्‍तराम लि‍ख रहे हो क्‍या? साले इतना भी नहीं पता तुम्‍हें कि शादी के पहले कुछ नहीं कि‍या जाता।
प्रश्‍न- पर आपके ही दोस्‍त बताते हैं कि आप बाराबंकी में कि‍सी मुस्‍लि‍म महि‍ला के पास अक्‍सर जाया करते थे?
उत्‍तर- अबे इन बातों का लव जि‍हाद से क्‍या मतलब, वो तो चलता रहता है। तुमने भी तो कहा कि तुम भी गए थे।
प्रश्‍न- लव...
उत्‍तर- छोड़ो पांड़े, पैग पि‍यो। चि‍यर्स।
प्रश्‍न- आप हर मौसम रम क्‍यों पीते हैं?
उत्‍तर- अबे भो**** वाले, तेरे मुंह में बवासीर है क्‍या?

Friday, November 28, 2014

नतमस्‍तक मोदक की नाजायज औलादें (9)

प्रश्‍न- कुतर्क समझते हैं क्‍या होता है?
उत्‍तर- हां, बि‍लकुल समझते हैं
प्रश्‍न- क्‍या होता है?
उत्‍तर- वही जो माद****** हरामी साले स्‍टालि‍न की औलादें करती हैं।
प्रश्‍न- और तर्क क्‍या होता है?
उत्‍तर- जो हमारे हिंदू धर्म शास्‍त्रों में लि‍खा होता है, वही तर्क है।
प्रश्‍न- वि‍तर्क क्‍या होता है?
उत्‍तर- मेरा लं**** क्‍या होता है, दि‍खाऊं तुझे।
प्रश्‍न- आप तो हमेशा तर्क करते हैं ना?
उत्‍तर- बि‍लकुल। सच्‍चा हिंदू कभी कुतर्क कर ही नहीं सकता।
प्रश्‍न- एक राष्‍ट्र के बारे में अपना कोई तर्क दीजि‍ए?
उत्‍तर- जबतक इन हरामी गजनबी की औलादों को जड़ से खत्‍म नहीं कि‍या जाएगा, भारत एक राष्‍ट्र नहीं बन सकता।
प्रश्‍न- और भी तो धर्म हैं, जैसे ईसाई, पारसी, सि‍ख आदि... क्‍या उन्‍हें भी खत्‍म कि‍या जाएगा?
उत्‍तर- ईसाइयों को तो जलाकर खत्‍म कर दि‍या जाएगा। हमने परसों ही मि‍श्‍ान स्‍कूल पर हमला कि‍या था। सि‍ख तो हमारे भाई हैं।
प्रश्‍न- और बौद्ध। उनका क्‍या करेंगे?
उत्‍तर- बौद्ध धर्म हमारे देश का नहीं है। ये चीन की साजि‍श है।
प्रश्‍न- कैसी साजि‍श?
उत्‍तर- चीन हमारे यहां माओवाद भड़काना चाहता है।
प्रश्‍न- आप कैसे रोकेंगे चीन को?
उत्‍तर- हमने 77 हजार नमो जाप शुरू कराया है। 77 ब्राह्म्‍ण कर रहे हैं।
प्रश्‍न- क्‍या यह चीन को रोकने का तर्क है?
उत्‍तर- हिंदू धर्म हमें यही सि‍खाता है, यही शास्‍त्रसम्‍मत भी है।
प्रश्‍न- तो पाकि‍स्‍तान को कैसे रोकेंगे, क्‍या सीमा पर जाकर नमो जाप करेंगे?
उत्‍तर- चूति‍ये साले, देखा नही नवाज शरीफ का नाड़ा नमो ने नेपाल में कैसे ढीला कि‍या?
प्रश्‍न- नमो नेपाल में नवाज शरीफ का नाड़ा क्‍यों ढीला कर रहे थे?
उत्‍तर- अबे भो**** के, उसकी गां*** मारने के लि‍ए।
प्रश्‍न- क्‍या आपके यहां सभी लोग पुरुषों के ही शौकीन हैं?
उत्‍तर- नहीं भो***** के, तेरे भी शौकीन है गां**** साले। रुक तेरी मां की ****

नतमस्‍तक मोदक की नाजायज औलादें (8)

प्रश्‍न- आप गालि‍यां क्‍यों देते हैं?
उत्‍तर- तुम्‍हारी गां*** में क्‍यों दर्द होता है बे। तुम नहीं देते क्‍या
प्रश्‍न- कहा जाता है गाली वो देते हैं जो पढ़े लि‍खे नहीं होते। क्‍या आप पढ़े लि‍खे नहीं हैं?
उत्‍तर- पूरे दो लाख में डि‍ग्री खरीदी है। पैसा हराम में नहीं आता।
प्रश्‍न- पर पैसे से क्‍या पढ़ना लि‍खना आता है?
उत्‍तर- साले मेरी डि‍ग्री पे शक करते हो हमको पता है कैसे तुमने अपनी प्रेमि‍का से पैसे लेकर पत्‍तरकारि‍ता पढ़ी
प्रश्‍न- गालि‍यां खुद ब खुद आपके मुंह से नि‍कलती हैं या जानबूझकर देते हैं?
उत्‍तर- मुल्‍ले हरामि‍यों को देखकर तो खुद ब खुद नि‍कल जाती है, नहीं भी नि‍कलती है तो जानबूझकर नि‍काल देते हैं
प्रश्‍न- पर समाज में गालि‍यां तो अच्‍छी नहीं मानी जातीं?
उत्‍तर- हमने कभी कहा कि तुम्‍हारी बीवी छि‍नाल है
प्रश्‍न- गालि‍यां देने के बाद आपको कैसा लगता है?
उत्‍तर- जैसे पाद मारने के बाद आपको लगता है
प्रश्‍न- सुना है आप बकरी और गधों पर भी गालि‍यां बना देते हैं?
उत्‍तर- सुना है कि तुम्‍हारी बहन तारि‍क के साथ घूम रही थी
प्रश्‍न- कोई ऐसा दि‍न गुजरा, जि‍स दि‍न आपने कि‍सी को गाली न दी हो
उत्‍तर- कोई ऐसा दि‍न गुजरा, जब इन हरामी मुल्‍लों ने मांस ना खाया हो?
प्रश्‍न- गालि‍यों का मुस्‍लि‍मों से क्‍या मतलब?
उत्‍तर- अब सही सवाल पूछा। ये ही तो हैं जो गालि‍यों के हि‍साब से चलते हैं
प्रश्‍न- वो कैसे?
उत्‍तर- अब एक गाली है- बहन****। तुम्‍हारी गां*** में दम हो तो मुल्‍लों से पूछो इसका मतलब।
प्रश्‍न- तो क्‍या इसीलि‍ए आप गालि‍यां देते हैं?
उत्‍तर- वो साले गाली खाने लायक ही हैं
प्रश्‍न- पर आप तो राहुल गांधी को भी गाली देते हैं?
उत्‍तर- वो भी मुल्‍ले की औलाद है साला
प्रश्‍न- आपकी नजर में कि‍से गाली नहीं देना चाहि‍ए?
उत्‍तर- जो भी सच्‍चा हिंदू होगा, वो कभी कि‍सी से गाली नहीं खाएगा।
प्रश्‍न- तो क्‍या करेगा
उत्‍तर- जो भी गाली देगा, उसकी मां **** देगा।
प्रश्‍न- क्‍या सच्‍चा हिंदू ही गालि‍यां देता है?
उत्‍तर- अधर्म के नाश के लि‍ए गालि‍यां जरूरी हैं। अधर्मियों को दूसरी भाषा समझ में नहीं आती।
प्रश्‍न- दूसरी भाषा कौन सी?
उत्‍तर- सुना तुम्‍हारी कुति‍या बच्‍चा देने वाली है, एक हमें भी देना
प्रश्‍न- गालि‍यां आपने कहां से सीखीं?
उत्‍तर- सरस्‍वती शि‍शु मंदि‍र से नहीं सीखीं।
प्रश्‍न- कहां से सीखीं?
उत्‍तर- भो*** के बता रहे हैं ना कि शि‍शु मंदि‍र में श्‍लोक रटाए जाते थे
प्रश्‍न- क्‍या पाठ्यक्रम में गालि‍यों पर भी एक पाठ होना चाहि‍ए?
उत्‍तर- बि‍लकुल। गालि‍यां हमारे समाज का अहम हि‍स्‍सा हैं तो पाठ्यक्रम में क्‍यों नहीं हो सकतीं।
प्रश्‍न- पर पाठ्यक्रम में तो संस्‍कृत लाई जा रही है?
उत्‍तर- तो तुम्‍हारी गां**** में क्‍यों दर्द हो रहा है। अच्‍छा तो है कि हमारे बच्‍चे संस्‍कृत सीखेंगे। संस्‍कृत में गालि‍यां देंगे।

नतमस्‍तक मोदक की नाजायज औलादें (7)

प्रश्‍न- क्रि‍केट खेलते हैं?
उत्‍तर- पहले खेलते थे, अब देखते हैं।
प्रश्‍न- कौन सा खि‍लाड़ी सबसे ज्‍यादा पसंद है?
उत्‍तर- सचि‍न तेंदुलकर
प्रश्‍न- पर वो तो अब क्रि‍केट खेलते नहीं, फि‍र क्‍यों?
उत्‍तर- चूति‍ये, क्रि‍केट का भगवान है वो।
प्रश्‍न- कौन सी टीम को सपोर्ट करते हैं?
उत्‍तर- तुम्‍हारी बीवी कि‍ससे प्रेम करती है, कभी उससे भी तो पूछ लो
प्रश्‍न- पाकि‍स्‍तान का कौन सा खि‍लाड़ी पसंद है?
उत्‍तर- हि‍जड़े मा***** कोई खि‍लाड़ी होते हैं क्‍या?
प्रश्‍न- पाकि‍स्‍तान अगर मैच जीत जाए तो?
उत्‍तर- तुम्‍हारी मा अगर **** जाए तो?
प्रश्‍न- क्रि‍केट को लेकर इतने भावुक क्‍यों होते हैं?
उत्‍तर- हमारा राष्‍ट्रीय खेल है वो। हमारे राष्‍ट्र की भावनाएं उससे जुड़ी हैं।
प्रश्‍न- पर राष्‍ट्रीय खेल तो हॉकी है?
उत्‍तर- नमो नमो। तुम भी बोलो नमो नमो
प्रश्‍न- आखि‍री बार हॉकी कब देखा था?
उत्‍तर- तूने अपनी बीवी को आखि‍री बार कब देखा था हरामी साले?
प्रश्‍न- आपने आखि‍री बार स्‍टेडि‍यम में कब मैच देखा था?
उत्‍तर- कानपुर में पि‍छले साल देखा था और बाउंड्री पे जो खि‍लाड़ी खड़ा था, उसे खूब मा बहन गरि‍याऐ थे। साला समझ ही ना पाया।
प्रश्‍न- वि‍श्‍व कप भारत को कैसे मि‍ला?
उत्‍तर- बाबा वि‍श्‍वनाथ के आर्शीवाद से मि‍ला। उनकी इच्‍छा के बगैर एक पत्‍ता तक नहीं हि‍लता।
प्रश्‍न- क्‍या इस बार भी मि‍लेगा आर्शीवाद?
उत्‍तर- बि‍लकुल मि‍लेगा। बस कोई हरामी मुल्‍ला ना रहे हमारी राष्‍ट्रीय टीम में।
प्रश्‍न- क्रि‍केट में भ्रष्‍टाचार पर कुछ कहेंगे?
उत्‍तर- कहां नहीं है बे भ्रष्‍टाचार। और अगर तेंदुलकर या धोनी चार पैसा बना ले रहे हैं तो तुम्‍हारी गां*** क्‍यों फटी जा रही है?
प्रश्‍न- क्रि‍केट में कोई कुल कि‍तने चौके मार सकता है?
उत्‍तर- चूति‍या हो क्‍या?
प्रश्‍न- फि‍र भी?
उत्‍तर- क्रि‍केट में कोई भी 24 चौकों तक मार सकता है। जो 36 छक्‍का नहीं लगाता, वो साला छक्‍का होता है।
प्रश्‍न- अगर तेंदुलकर जीरो पे आउट हो जाए तो?
उत्‍तर- अगर तुम्‍हारी लड़की कटुए के साथ भाग जाए तो?
प्रश्‍न- अगर भारत वि‍श्‍वकप जीत जाएगा तो आप क्‍या करेंगे?
उत्‍तर- मुल्‍लों के मोहल्‍ले में जाकर आति‍शबाजी करेंगे। भारत माता की जय करेंगे चूति‍ये। वंदेमातरम गाएंगे।

नतमस्‍तक मोदक की नाजायज औलादें (6)

प्रश्‍न- ति‍लक क्‍यों लगाते हैं?
उत्‍तर- हरामी मुल्‍लों से पूछो कि टोपी क्‍यूं लगाते हैं?
प्रश्‍न- क्‍या कि‍सी से बदला लेने के लि‍ए ति‍लक लगाते हैं?
उत्‍तर- ये हमारी पहचान है। हम असली राष्‍ट्रभक्‍त हैं। भारत माता की पूजा करते हैं।
प्रश्‍न- क्‍या रोज ति‍लक लगाते हैं?
उत्‍तर- जी हां, और मंगल शनि‍वार को मंदि‍र जाकर लगा कर आते हैं। मोटी हलवाइन उस दि‍न पेड़ा बड़ा जानदार बनाती है। उसकी लड़की को देखे हो कि नहीं कभी-कभी नि‍कलती है।
प्रश्‍न- क्‍या खुद भी ति‍लक लगाते हैं या पंडि‍त से ही लगवाते हैं?
उत्‍तर- रोज हमारी वाइफ हमको रोली चावल का टीका लगाकर ही घर से बाहर जाने देती हैं।
प्रश्‍न- ति‍लक लगाने के बाद आपको अपने अंदर क्‍या फील होता है?
उत्‍तर- हिंदू तन मन हिंदू जीवन, मुल्‍लों की मां **** देंगे।
प्रश्‍न- ति‍लक लगाने का कोई वैज्ञानि‍क कारण भी है क्‍या?
उत्‍तर- हां, इसे माथे पर एकदम बीच में लगाते हैं तो वो ज्‍योती बनकर नीचे तक जाता है
प्रश्‍न- नीचे कहां तक?
उत्‍तर- अरे नीचे, जहां हम सबका पुरुषत्‍व होता है
प्रश्‍न- आपके कहने का मतलब है कि ति‍लक लगाने से आपका पुरुषत्‍व जागता है?
उत्‍तर- बि‍लकुल। इसीलि‍ए कहीं भीड़ भड़क्‍का करने से पहले भी हम ति‍लक ही लगाते हैं।
प्रश्‍न- यानि कि जो ति‍लक नहीं लगाते, वो पुरुष नहीं होते?
उत्‍तर- वो साले मुल्‍ले होते हैं। ये वीरों की धरती है, यहां वही रहेगा जो वीर पुरुष होगा।
प्रश्‍न- भगवान बुद्ध भी तो ति‍लक नहीं लगाते थे, पर वो तो महापुरुष थे?
उत्‍तर- अबे कोई इस चूति‍ये को समझाओ। तुमको इतना भी नहीं पता कि वो शंकर के औतार थे। उनकी तीसरी आंख थी।
प्रश्‍न- क्‍या आपका लड़का ति‍लक लगाता है?
उत्‍तर- वो अभी स्‍कूल जाता है। कानवेंट वाले लगाने नहीं देते।
प्रश्‍न- क्‍या आपके पि‍ता ति‍लक लगाते हैं?
उत्‍तर- वो तो घर पर पड़े रहते हैं, उनको ति‍लक लगाने की क्‍या जरूरत?
प्रश्‍न- क्‍या आप...?
उत्‍तर- तुम भो**** के जरूर उस ह***** मायावती के ऐजेंट हो जो ति‍लक के पीछे पड़े हो।
प्रश्‍न- ति‍लक का मायावती से क्‍या मतलब?
उत्‍तर- उसी ने तो नारा दि‍या था
प्रश्‍न- पर आप भी तो ओबीसी हैं?
उत्‍तर- उससे क्‍या हुआ। भगवान का नाम लेते हैं, उनको इज्‍जत देते हैं।
प्रश्‍न- जागे हुए पुरुषत्‍व के बाद आप क्‍या क्‍या करते हैं?
उत्‍तर- तुम्‍हारी गां**** मारते हैं हरामी साले। भाग यहां से अब

Thursday, November 27, 2014

नतमस्‍तक मोदक की नाजायज औलादें (5)

प्रश्‍न- आप गाय की पूजा करते हैं?
उत्‍तर- इसमें पूछने वाली कौन सी बात है, जो भी असली हिंदुस्‍तानी होगा, गाय की पूजा जरूर करेगा।
प्रश्‍न- गाय की पूजा क्‍यों करते हैं?
उत्‍तर- हिंदू धर्म हमें गाय की पूजा करना सि‍खाता है। गाय पर तो पूरा एक वेद लि‍खा गया है।
प्रश्‍न- कैसे पूजा करते हैं, मतलब पूजन वि‍धि क्‍या है?
उत्‍तर- हम गाय को ति‍लक लगाकर हाथ जोड़कर माला पहनाते हैं।
प्रश्‍न- क्‍या हर गाय के साथ ऐसा करते हैं?
उत्‍तर- पागल हो क्‍या, शहर में 70 गायें हैं, कुछ तो अक्‍ल वाला सवाल पूछ लो, या जबसे तुम्‍हारी बीवी भागी है, तुम्‍हारी अक्‍ल भी भाग गई है
प्रश्‍न- क्‍या आप रोजाना गाय का दूध प्रयोग करते हैं?
उत्‍तर- डेरी वाले जो देते हैं, वही तो यूज करेंगे। अलग से गाय तो पालने जाएंगे नहीं।
प्रश्‍न- गाय की रक्षा के लि‍ए आप क्‍या करते हैं?
उत्‍तर- हम गाय की रक्षा के लि‍ए मुल्‍लों के इलाके में जाकर आंदोलन करते हैं। वही हमारी गाय काटते हैं।
प्रश्‍न- रामपुर में सबसे बड़ा बूचड़खाना कि‍सी ब्राह्म्‍ण का है और वहां पर सबसे ज्‍यादा गोवंश काटे जाते हैं, इसपर आपके क्‍या वि‍चार हैं?
उत्‍तर- ये सब उन मा******** हरामी स्‍टालि‍न की नाजायज औलादों का फैलाया भ्रमजाल है। एक ब्राह्म्‍ण कभी गोहत्‍या नहीं कर सकता।
प्रश्‍न- बूढ़ी गायों का आप क्‍या करते हैं?
उत्‍तर- तुम्‍हारी गां** में डाल देते हैं चूति‍ये। चूति‍यापे का सवाल क्‍यूं पूछ रहा है
प्रश्‍न- वेदों और कई प्राचीन ग्रंथों में लि‍खा है कि ब्राह्म्‍ण गोमांस खाते थे, इसके बारे में कुछ कहना है?
उत्‍तर- लाओ दि‍खाओ कि‍न वेदों में लि‍खा है। अभी लपेट के तुम्‍हारी गां*** में डाल देते हैं।
प्रश्‍न- क्‍या आप हर चीज को ऐसे ही गां*** में डाल देते हैं?
उत्‍तर- ...........
प्रश्‍न- आवारा गायों के लि‍ए भी क्‍या आपलोग कुछ करते हैं?
उत्‍तर- उनके लि‍ए कांजी हाउस है, हम पकड़कर वहां दे देते हैं।
प्रश्‍न- पर वहां तो सुना है कि उन्‍हें खाने को नहीं मि‍लता, क्‍या ये सही है?
उत्‍तर- ..........
प्रश्‍न- गाय के लि‍....
उत्‍तर- अब भों***** के तुम्‍हें कोई काम धाम नहीं है क्‍या, गाय के अलावा भी बहुत से मुद्दे हैं देश में। उनपर पूछो। चूति‍ये साले गाय गाय कि‍ए पड़े हो।

नतमस्‍तक मोदक की नाजायज औलादें (4)

प्रश्‍न- ये आइटम क्‍या होता है?
उत्‍तर- आइटम सांग होता है, आइटम माल होता है।
प्रश्‍न- ये आइटम माल क्‍या होता है?
उत्‍तर- भो*** के, तेरे घर में मां बहन नहीं है क्‍या?
प्रश्‍न- वो तो हैं, पर माल के बारे में कुछ बता रहे थे आप?
उत्‍तर- माल तो वो होता है (दांत दि‍खाते हुए) वो देखि‍ए वो जा रहा है, गुलाबी दुपट्टे में
प्रश्‍न- कैसे तय करते हैं कि कोई लड़की माल है?
उत्‍तर- हम पहले दुकान देखते हैं, फि‍र मकान। उसके बाद ही उसकी कीमत तय करते हैं
प्रश्‍न- ये दुकान और मकान क्‍या है?
उत्‍तर- तुम एकदम चू*** ही हो क्‍या।
प्रश्‍न- फि‍र भी?
उत्‍तर- दुकान मतलब आगे और मकान मतलब पीछे
प्रश्‍न- प्रेम के बारे में आपके क्‍या वि‍चार हैं?
उत्‍तर- हम इन सब चूति‍यापों से दूर रहते हैं। आप भी रहा कीजि‍ए। घर बड़ी शांति से चलेगा।
प्रश्‍न- चुंबन करना चाहि‍ए या नहीं?
उत्‍तर- भारतीय संस्‍कृति में सबकुछ ढंककर होता है। चुंबन में अगर चेहरा ढंका छुपा रहे तो ठीक है, वरना हम इसका वि‍रोध करते हैं।
प्रश्‍न- आपने कभी भाभीजी से प्रेम कि‍या?
उत्‍तर- बि‍लकुल। प्रेम करते हैं तभी तो साल में दो बार घुमाने लेकर जाते हैं
प्रश्‍न- और चुंबन?
उत्‍तर- पि‍छले साल मसूरी में चुंबन लेते हुए सेल्‍फी फेसबुक पर डाली थी।
प्रश्‍न- क्‍या उसमें आपने अपने चेहरे ढंके हुए थे?
उत्‍तर- अरे जब प्रेम करते हैं तो चेहरा ढंकने की क्‍या जरूरत
प्रश्‍न- अभी तो आपने कहा कि आप प्रेम से दूर रहते हैं?
उत्‍तर- हां, तभी तो सीधे रात में ही आपकी भाभीजी से मि‍लते हैं।
प्रश्‍न- पि‍छले साल आपपर बलात्‍कार का आरोप लगा था, क्‍या था वो?
उत्‍तर- झूठा आरोप था। वो तो गणेश पागल होकर उल्‍टा सीधा बक दि‍या था, वरना आरोप ही न लगता।
प्रश्‍न- बलात्‍कार कैसे रुकेंगे?
उत्‍तर- हमारी वाइफ या बहन के साथ आज तक कुछ नहीं हुआ। हम उनको घर से बाहर ही नहीं नि‍कलने देते।
प्रश्‍न- पर एक अंग्रेजी अखबार की रि‍पोर्ट है कि 70 फीसद से ज्‍यादा बलात्‍कार की घटनाएं घर में होती हैं, उसपर क्‍या कहेंगे?
उत्‍तर- मा******* हैं अखबार वाले। पूरा मीडि‍या बि‍का हुआ है। ईसाइयों से पैसा लेकर कुसंस्‍कृति फैला रहे हैं।

नतमस्‍तक मोदक की नाजायज औलादें (3)

प्रश्‍न- संस्‍कृत के बारे में आप क्‍या जानते हैं?
उत्‍तर- भारतीय संस्‍कृति दुनि‍या की सबसे पुरानी संस्‍कृति है। ये उतनी ही पुरानी है, जि‍तना हिंदू धर्म है।
प्रश्‍न- सवाल संस्‍कृत भाषा के बारे में है, संस्‍कृति के बारे में नहीं।
उत्‍तर- लगता है तुम्‍हारी गाय दूध कम दे रही है। उसको चोकर वोकर खि‍लाओ और कपि‍ला की जगह कोई दूसरा पशुहार भी दो।
प्रश्‍न- आपको क्‍या लगता है संस्‍कृत भाषा कि‍स युग में शुरू हुई होगी?
उत्‍तर- भगवान राम के युग में
प्रश्‍न- और वो कि‍स युग में थे?
उत्‍तर- तेरी मां की ***। भगवान के बारे में ऐसी बात करता है। अरे भगवान का भी भला कोई युग हुआ है।
प्रश्‍न- क्‍या आपको संस्‍कृत आती है?
उत्‍तर- हां
प्रश्‍न- संस्‍कृत में कोई श्‍लोक सुनाएंगे?
उत्‍तर- नमस्‍ते सदा वत्‍सले। वंदे मातरम।
प्रश्‍न- क्‍या आपको अंग्रेजी आती है?
उत्‍तर- हां।
प्रश्‍न- अंग्रेजी में कोई श्‍लोक सुनाएंगे?
उत्‍तर- बि‍लकुल। जॉनी जॉनी यस पप्‍पा।
प्रश्‍न- क्‍या आपका बच्‍चा संस्‍कृत जानता है?
उत्‍तर- नहीं। हमने उसे कानवेंट में डाला है, पूरे दो लाख डोनेशन देकर।
प्रश्‍न- क्‍या भाभीजी संस्‍कृत जानती हैं?
उत्‍तर- वो रोज सुबह शाम संस्‍कृत में ओम जय जगदीश हरे गाती हैं।
प्रश्‍न- क्‍या संस्‍कृत राष्‍ट्रभाषा है?
उत्‍तर- जि‍स भाषा में हिंदू धर्म है, वही राष्‍ट्रभाषा कहलाने योग्‍य है। इसलि‍ए संस्‍कृत राष्‍ट्रभाषा है।
प्रश्‍न- क्‍या आप दैनि‍क जीवन में संस्‍कृत का प्रयोग करते हैं?
उत्‍तर- तुमको राष्‍ट्र की इज्‍जत का जरा सा भी भान नहीं है क्‍या। पवि‍त्र चीजें हमेशा आलमारी में ऊंचे रखी जाती हैं और रोज उनकी पूजा की जाती है। हम रोज संस्‍कृत की पूजा करते हैं।

नतमस्‍तक मोदक की नाजायज औलादें (2)

प्रश्‍न- क्‍या आप भगत सिंह को जानते हैं?
उत्‍तर- जी हां, भगत सिंह सच्‍चे राष्‍ट्रभक्‍त थे।
प्रश्‍न- भगत सिंह के बचपन के बारे में कुछ जानते हैं?
उत्‍तर- भगत सिंह बचपन से ही वीर थे। बचपन से ही उन्‍होंने दीक्षा ले ली थी।
प्रश्‍न- भगत सिंह कि‍तने भाई बहन थे?
उत्‍तर- भगत सिंह का खाता पीता परि‍वार था। उनके 7 भाई और 5 बहनें थीं।
प्रश्‍न- भगत सिंह के घर के बारे में कोई और जानकारी?
उत्‍तर- भगत सिंह ने आजादी के आंदोलन के लि‍ए अपनी ऐशो आराम की जिंदगी छोड़ दी। उनकी बहुत बड़ी कोठी भी है भागलपुर में।
प्रश्‍न- भगत सिंह ने नास्‍ति‍कता पर लि‍खा है, उसके बारे में आप क्‍या जानते हैं?
उत्‍तर- ये ******* वामपंथि‍यों की साजि‍श है। हम उनकी *** में **** डालकर इस साजि‍श को नाकाम कर देंगे।
प्रश्‍न- भगत सिंह ने बम क्‍यों फोड़ा था?
उत्‍तर- संसद में मुल्‍ले ज्‍यादा हो गए थे, उनको कम करने के लि‍ए।
प्रश्‍न- भगत सिंह को फांसी क्‍यों हुई थी?
उत्‍तर- वो सच्‍चे हिंदू थे, उन्‍होंने सि‍ख धर्म छोड़कर हिंदू धर्म ग्रहण कर लि‍या था जो संसद में बैठे मुल्‍लों को पसंद नहीं आया। इसलि‍ए जबरदस्‍ती उन्‍हें फांसी पर चढ़ा दि‍या गया।
प्रश्‍न- भगत सिंह के बारे में कोई और जानकारी?
उत्‍तर- मुल्‍लों ने उन्‍हें फांसी पर तो चढ़ा दि‍या था, पर हमने कि‍सी तरह से बचा लि‍या। वो बहुत दि‍न तक अयोध्‍या की मणि‍रामदास छावनी में रहे। अभी भी उनकी गुप्‍त समाधि वहीं पर है।

नतमस्‍तक मोदक की नाजायज औलादें (1)

प्रश्‍न- आप समाज में द्वेष क्‍यों फैला रहे हैं?
उत्‍तर- आपकी बीवी को कल पान वाले के साथ चौक में टहलते देखा था।
प्रश्‍न- आप दूसरे धर्मों के साथ सद्भाव से क्‍यों नहीं रहते?
उत्‍तर- आपका लड़का स्‍कूल के बाथरूम में हस्‍तमैथुन करता है।
प्रश्‍न- आप एक धर्म वि‍शेष के प्रति हिंसक क्‍यों हैं?
उत्‍तर- आप अपनी पत्‍नी के साथ रात में क्‍या कुकर्म करते हैं, हमें सब पता है।
प्रश्‍न- आप दंगों के बहाने क्‍यों खोजते हैं?
उत्‍तर- आपकी मां पड़ोसी के साथ सोती है।
प्रश्‍न- क्‍या आप कभी प्रेम और सद्भाव से समाज में रह सकते हैं?
उत्‍तर- हमें पता है आपकी बीवी आपको छोड़कर क्‍यों चायवाले के साथ भागी।
- मैं आपको दंगा फैलाने से रोकना चाहता हूं।
उत्‍तर- और हम आपकी मां बहन *** चाहते हैं।

Sunday, November 23, 2014

रोटी नाही राम भजा हो तब तौ आए नरमी...

जौ जेब ना होवै एक्‍को पइसा
हाथे ना फूटी कौड़ी
पेट करौवय, रहि रहि बोलय
भूख से दौड़ा दौड़ी।

भूख से दौड़ा दौड़ी कि केहू
दै दे एक्‍को दाना
दाना खाय के पीके पानी
चलौ सुनाई गाना।

चलौ सुनाई गाना कि सगरे
देश मा भुक्‍खड़ बाटे ओलरा
भूख पि‍यास मा मरत वै बाटे
कंबरौ फाट के होइ गै झलरा।

कंबरौ होइ गै झलरा कि
कइसे नवका ओढ़न आवै
पेटवा के आग बुझै पहि‍ले
तौ साटन बाटन जावै।

साटन के चक्‍कर मा तौ
रोजै लागै लंबी लाइन
रोटी मांगेन तो नेता जी
कइसे तो समझाइन।

पूरनमासी का जब दि‍खै
पूरी गोल यक रोटी
तब समझो कि मि‍लै हि‍यां पे
तुमका ओकै बोटी।

ओकरे पहि‍ले मंगबा तौ
तू अहा बहुत बि‍धर्मी
रोटी नाही राम भजा हो
तब तौ आए नरमी।

औ कहूं भूलके मांग लि‍हा हो
भइया आपन हि‍स्‍सा
काल कराल के करि‍या वाला
सुरू होए फि‍र कि‍स्‍सा।

भूल गया कि यही कति‍कवा
कतल कि‍हि‍स हजारन कै
पेट पे पत्‍थर रख के भइया
सुना तनी जि‍उजारन कै।

सुना तनी जिउजारन कै
कि कैसे माल उड़ावैं
काला करि‍खा केतना कै धन
बांट बांट के खावैं।

बैंक के बाबू खोलैं खाता
कुछ अइसा समझावैं
आए करि‍या ओढ़ लबादा
पइसा भाग जगावैं।

रोटी मि‍लै कि दूनौ टाइम
पूछै पे पछतावैं
जि‍उजारन का जि‍ताए दि‍हा अब
भूत भबि‍स्‍स बतावैं।

Tuesday, November 18, 2014

बात बुझाता नहीं, कान सुनाता नहीं

तस्‍वीर के जनक: नि‍धीश त्‍यागी
लैट जलती नहीं। 
फूल फरता नहीं। 
गमला बढ़ता नहीं। 
बि‍जली आती नहीं। 
ठंड जाती नहीं। 
सरसों फूलती नहीं। 
मछली पि‍चकती नहीं 
प्रेम होता नहीं
बात बुझाता नहीं
कान सुनाता नहीं
आंख देखाता नहीं 
गाल फुलाता नहीं
मुंह बि‍चकाता नहीं
समोसा चलता नहीं 
कबूतर पलता नहीं 
दि‍ल मचलता नहीं  
सुख मि‍लता नहीं
नशा हि‍लता नहीं 
गालि‍ब छि‍लता नहीं
बोतल गाती नहीं
मय हि‍लाती नहीं
बयार आती नहीं
दरार जाती नहीं
ठीक होता नहीं
बोल सोता नहीं
नींद मुड़ती नहीं 
मुंडेर चढ़ती नहीं
दुख होता नहीं
रात छि‍लती नहीं 
बात मि‍लती नहीं 
तुमको बुझाता नहीं 
हमको समझाता नहीं
कोई मनाता नहीं
मन सनाता नहीं। 

Sunday, November 16, 2014

हम पुरुषों का स्‍पेस

हम पुरुषों का भी एक स्‍पेस होता है। पता नहीं महि‍लाएं इस स्‍पेस के बारे में कि‍तना समझती होंगी और कि‍तने पुरुष इसे स्‍वीकार करते हुए भी अस्‍वीकार करना चाहेंगे, पर हकीकत यही है कि हम पुरुषों का भी एक स्‍पेस होता है। हम उस स्‍पेस में अपने दोस्‍तों के साथ कभी गा रहे होते हैं या दूसरे के रोने पर जरा सा स्‍त्रैण होकर उसके सि‍र को अपना कंधा और पीठ को हथेलि‍यों की गर्माहट दे रहे होते हैं। उस स्‍पेस में हम साथ साथ नशा करके एक साथ जोर का ठहाका लगा रहे होते हैं और ठहाकों में मगन हमें इस बात का भी ध्‍यान नहीं रहता कि अगल बगल के लोग हमें अजीब नजरों से देख पागल सा कुछ समझ रहे होते हैं। उस स्‍पेस में कभी कभी रात यूं चुटकी में गुजर जाती है कि दि‍न का होना ही अखरने लगता है। वहां हम पहाड़ों के तीखे मोड़ों पर एक दूसरे के पीछे बाइक लेकर भाग रहे होते हैं या मैदानों में कार के डैशबोर्ड पर पैर टि‍काए कुछ गुनगुना रहे होते हैं। ये इस दीन दुनि‍या से थोड़ा दूर होता है, पर इतना दूर भी नहीं कि दो बोतल बि‍यर के साथ एक पनीर टि‍क्‍का 20 मि‍नट में न मि‍ल सके। हम थोड़े से स्‍वार्थी होते हैं, थोड़े से लालची होते हैं और थोड़े से नकलची भी। थोड़ी देर के लि‍ए अकल का इस्‍तेमाल मुल्‍तवी करके हर कि‍सी के बारे में एकदम पुरुषों की तरह बात करते हैं, हर कि‍सी को एकदम पुरुषों की तरह बरतते हैं। असल में इस स्‍पेस के खत्‍म होने तक हम सब बेतरतीब नशे में सरोबार होते हैं। शायद इसलि‍ए कि एक बार फि‍र से हमें अपने स्‍पेस के खत्‍म होने के दुख के साथ उस सुख भरे समय के वापस लौटने का इंतजार करना होता है। जो फि‍र पता नहीं कब मि‍लता है, पर मि‍लता है कभी कभी।

और जब फि‍र से ये स्‍पेस मि‍लता है तो हम जल्‍दी जल्‍दी पहले तो नए ट्रैक सुनाने लगते हैं, अपनी नई पुरानी गर्लफ्रेंड्स के कि‍स्‍से तो जैसे कि हमारी जबान पर होते हैं। ठीक है, कई लोग शादीशुदा होते हैं पर दुनि‍या ऐसे नहीं न चलती आई है ना। एक जीवन में हर पुरुष के हर कि‍सी से संबंध होते हैं और हर संबंध अपनी अलग तरह की व्‍याख्‍याएं लि‍ए रहते हैं। हम एक दूसरे के साथ शेयर करके एक तरह से खुद को पापमुक्‍त करने की दि‍लासा सा दे रहे होते हैं। पता नहीं कितनी पापमुक्‍ति कराते हैं हम इस स्‍पेस में, कभी गि‍नती न हो पाएगी। पहले पैग में तीन तो दूसरे में पांच और पांचवे में हर सि‍प पर चि‍यर्स करते हैं, ठहाका लगाते हैं, थोड़ी सी अश्‍लील बातें भी करते हैं। और थोड़ी देर बाद अश्‍लील बातें ही करते हैं। फि‍र हम तरह तरह के लोगों की बुराइयां करते हैं और उन्‍हें जमकर गालि‍यां देते हैं, ये भूलकर कि हम उजाले में नारीवाद की बातें करते हैं या उसका वि‍रोध करने वालों का वि‍रोध करते हैं। हमारा ये स्‍पेस या फि‍र स्‍पेस का नशा हमें बहुत ही सुवि‍धाजनक और स्‍वार्थी मोड में ले आता है, जो कि ईमानदारी से, हर कोई होना चाहता है। इस स्‍पेस में हम पकोड़े से लेकर आधी जली सि‍गरेट तक की कसम खाकर और नि‍भाकर भी दि‍खाते हैं। हर जगह आराम से खुजा सकते हैं और जहां हाथ न पहुंच रहा हो, वहां खुजाने को भी कह सकते हैं।

इस स्‍पेस में हम दुनि‍या की सभी वर्जित चीजें करने के लि‍ए पूरी तरह से स्‍वतंत्र होते हैं। हमें पता है कि लोगबाग हमारे इस स्‍पेस  से जलते भुनते और कुढ़ते हैं, पर हमारी ये जगह हमें उनपर भी हंसने ठहाका लगाने पर मजबूर कर देती है, जो ऐसा करते हैं। कुछ लोगों के जीवन में ये स्‍पेस मंगलवार को भी आता है तो कुछ लोग इसे हर गुरुवार में तलाशते हैं। हमें पता होता है कि हम इस स्‍पेस की एक बड़ी कीमत चुकाएंगे, इस पाप को हम ही भुगतेंगे, फि‍र भी चूंकि बेसि‍कली हम सब पापी ही हैं, तो हम पाप करते हैं। हमें पता होता है कि जीवन में ये स्‍पेस न हर मंगलवार आना होता है और न हर गुरुवार। फि‍र भी हम दि‍न का इंतजार करते हैं। हम हर दि‍न अपने उसी स्‍पेस के इंतजार में सि‍गरेट के धुंए के छल्‍ले उड़ा रहे होते हैं, या मेरी तरह पान खा रहे होते हैं। पापी स्‍पेस का इंतजार, पाप करने के लि‍ए। 

Monday, November 3, 2014

रोज थोड़ा सा और लंगड़े हो जाते हैं

कभी कभी सोचता हूं कि आदमी अपनी पूरी जिंदगी में कि‍तनी बार मरता होगा। पानी नहीं है तो प्‍यास से मर जाता होगा, हवा नहीं है तो सांस से मर जाता होगा। जमीन तो जमीन, लोगबाग आसमान में भी जाकर मर जाते होंगे। फि‍र भी, एक अदद जिंदगी अपनी ही कि‍तनी मौतों की जि‍म्‍मेवार होती होगी, इसका हि‍साब लगाना जरा टेढ़ा काम है। सुख की तकलीफदेह पड़ताल में लगे हम लोग रोज ही तो मरते हैं। सुख मि‍ले ना मि‍ले, तकलीफ जरूर मि‍लती है। वास्‍तवि‍क मौत की पीड़ा से दूर हम उसे ही रोज का मरन समझकर खुद को घसीटते रहते हैं, रोज अपनी टांग का एक हि‍स्‍सा काटकर कम कर देते हैं और रोज थोड़ा सा और लंगड़े हो जाते हैं। और फि‍र जब कोई कहता है कि सलीम लंगड़े पर मत रो, तो बेसाख्‍ता हंसी नि‍कल ही जाती है। हम मरते हुए भी हंसते हैं और हंसते हुए भी मर रहे होते हैं। मरते मरते हमें मोबाइल फोन याद आने लगता है, उसके कीपैड पर उंगलि‍यां तो फि‍राते हैं, पर असल में समझ नहीं पाते कि अपनी मौत के वक्‍त हम अपने सबसे पास कि‍से देखना चाहते हैं। दरअसल हम तय न करने की स्‍टेज में हमेशा होते हैं। तय न करने देना खुद को थोड़ा सा और ढीला छोड़ना है, मरने से पहले एक जरा सा आराम करना है, एक लंबी सांस होता है ये तय न करना। सांस नि‍कली और दम छोड़ा। हर सांस के बाद की मृत्‍यु और हर सांस से पहले का जीवन हमें एक ऐसे कुंए में बैठाए रखता है, जहां बस हम ही हम होते हैं। और फि‍र हम कि‍तना भी तय कर लें, कि‍तना भी प्रेम कर लें, कि‍तनी भी घृणा कर लें, कि‍तने भी दुखी हो लें, कि‍तना भी रो लें, कुंए में अकेले पड़े हम खुद को अंतत: जिंदा ही पाते हैं। शायद कि‍सी के पास जवाब हो कि क्‍या सांस चलने का नाम ही जीवन है। शायद कोई ये बता दे कि मुक्‍ति कहां है और इसी एक शायद का जवाब पाने के लि‍ए कहां कहां नहीं भटकते। ज्‍यादा परेशान होते हैं तो कि‍सी मन वाले से बात करके दि‍लासा देते हैं कि हम बोल रहे हैं, हमसे आवाज नि‍कल रही है, हम जिंदा हैं। और ज्‍यादा परेशान हुए तो मनपसंद जगह पर जाकर फि‍र एक बार दि‍लासा देते हैं कि वो पेड़ सुंदर है, पहाड़ सजीव है और फूल महकता है, इसलि‍ए हम जिंदा हैं। पर क्‍या वाकई हमारी दि‍लासा हमको लगती है। क्‍या वाकई दि‍लासा नाम की कोई चीज होती है। क्‍या वाकई जीवन नाम की कोई चीज हम जीते हैं...

महानगरों की दीवारों के बीच कैद हुए हम अपनी टूटी चप्‍पल और जूते के छेद को नि‍हारते हुए बस गुमसुम जिंदगी काटने को जि‍स तरह से अभि‍शप्‍त हैं, वो शाप रोज होने वाली मौतों से भी नहीं टूटता। दीवारें हैं कि चारों तरफ से खि‍सकती हुई खुद को खुद में चुनने के लि‍ए आगे भी नहीं बढ़तीं, उनके आगे बढ़ने के लि‍ए नशे की दरकार होती है। और फि‍र नशे के बाद वही दीवारें काटने को दौड़ती हैं, लहूलुहान कर देती हैं जहां इससे भी कोई फर्क नहीं पड़ता कि वो लाल हैं या सफेद या क्रीम कलर की। फर्श धुली हो या गंदी हो, कांच की जो कि‍रचें रोज ब रोज चुभती हैं, उनसे नि‍जात पाने के लि‍ए उन्‍हें चुनचुन कर हटाने की जद्दोजहद कि‍तना घायल कर जाती है, इसे समझने में पूरी एक जिंदगी नि‍कल जाती है और हमें उन्‍हें न समझने के लि‍ए, न सोच पाने के लि‍ए कि‍तने केमि‍कल अपने अंदर डालने होते हैं कि पूरी जिंदगी ही केमि‍कल का लोचा बन जाती है। सुंदरता के सुख को पाने के लि‍ए हम रोज कि‍तने धोखे देने के लि‍ए तैयार रहते हैं, कि‍तने धोखों के जाले अपने दि‍माग में बनाते हैं, इसका कोई पार ही नहीं है। कोई हंसता है, कोई ठठाकर हंसता है, कोई पार्क जाकर हंसता है, कोई यमुना कि‍नारे जाकर हंसता है, बस यही नहीं समझ में आता कि हम हंस रहे हैं या चि‍ल्‍ला रहे हैं। वैसे हंसी आती है तब, जब पता चलता है कि हम अपनी रोज की मौतों से उतना परेशान नहीं होते हैं, जि‍तना दूसरे की लंगड़ी चाल देखकर खुश होते हैं। अजीब हैं हम लोग.. एकदम अजीब। 

चोरन के भाग जागा, चीकटन के राज जागा

चोरन के भाग जागा, चीकटन के राज जागा
थैली बचावा भइया,    पि‍परे के भूत भागा।
लुच्‍चन के देस काल,  लफंगन के सारा माल
सील फील हेराय गै,   जहर से सनेह लागा।
रामचंदर   हेरैं कोना,   हनूमान लगावैं दोना
अस्‍सी से दोहराघाट,   बि‍सनाथ चलावैं तांगा।
सरजू कै घाट अबलेक     वइसेन गंधान बा
कनक भवन आरती, महंत लड़ैं दुई दुई हाथा।
गोड़ तूड़ि‍न देस कै,   पि‍ठि‍या पे हाथ दि‍हि‍न,
सीख दि‍हि‍न रामराज,   नास होए तोर राजा।
गंधि‍यो का लूट लि‍हि‍न, पटेलौ नरभसान बाटे
हंसि‍या कोने परी बा, हथौड़ा के कवन आसा।
गांव जंगल बेच भए,           खेतौ बि‍कान बा
केतना गि‍नाई भइया, केतना कि‍हि‍न अपराधा।
.
.


- राइजिंग राहुल (अवध बीज भंडार, हरिंग्‍टनगंज मि‍ल्‍कीपुर खजुरहट वाले)