बात बुझाता नहीं, कान सुनाता नहीं
तस्वीर के जनक: निधीश त्यागी |
फूल फरता नहीं।
गमला बढ़ता नहीं।
बिजली आती नहीं।
ठंड जाती नहीं।
सरसों फूलती नहीं।
मछली पिचकती नहीं
प्रेम होता नहीं
बात बुझाता नहीं
कान सुनाता नहीं
आंख देखाता नहीं
गाल फुलाता नहीं
मुंह बिचकाता नहीं
समोसा चलता नहीं
कबूतर पलता नहीं
दिल मचलता नहीं
सुख मिलता नहीं
नशा हिलता नहीं
गालिब छिलता नहीं
बोतल गाती नहीं
मय हिलाती नहीं
बयार आती नहीं
दरार जाती नहीं
ठीक होता नहीं
बोल सोता नहीं
नींद मुड़ती नहीं
मुंडेर चढ़ती नहीं
दुख होता नहीं
रात छिलती नहीं
बात मिलती नहीं
तुमको बुझाता नहीं
हमको समझाता नहीं
कोई मनाता नहीं
मन सनाता नहीं।
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