हम पुरुषों का स्पेस
हम पुरुषों का भी एक स्पेस होता है। पता नहीं महिलाएं इस स्पेस के बारे में कितना समझती होंगी और कितने पुरुष इसे स्वीकार करते हुए भी अस्वीकार करना चाहेंगे, पर हकीकत यही है कि हम पुरुषों का भी एक स्पेस होता है। हम उस स्पेस में अपने दोस्तों के साथ कभी गा रहे होते हैं या दूसरे के रोने पर जरा सा स्त्रैण होकर उसके सिर को अपना कंधा और पीठ को हथेलियों की गर्माहट दे रहे होते हैं। उस स्पेस में हम साथ साथ नशा करके एक साथ जोर का ठहाका लगा रहे होते हैं और ठहाकों में मगन हमें इस बात का भी ध्यान नहीं रहता कि अगल बगल के लोग हमें अजीब नजरों से देख पागल सा कुछ समझ रहे होते हैं। उस स्पेस में कभी कभी रात यूं चुटकी में गुजर जाती है कि दिन का होना ही अखरने लगता है। वहां हम पहाड़ों के तीखे मोड़ों पर एक दूसरे के पीछे बाइक लेकर भाग रहे होते हैं या मैदानों में कार के डैशबोर्ड पर पैर टिकाए कुछ गुनगुना रहे होते हैं। ये इस दीन दुनिया से थोड़ा दूर होता है, पर इतना दूर भी नहीं कि दो बोतल बियर के साथ एक पनीर टिक्का 20 मिनट में न मिल सके। हम थोड़े से स्वार्थी होते हैं, थोड़े से लालची होते हैं और थोड़े से नकलची भी। थोड़ी देर के लिए अकल का इस्तेमाल मुल्तवी करके हर किसी के बारे में एकदम पुरुषों की तरह बात करते हैं, हर किसी को एकदम पुरुषों की तरह बरतते हैं। असल में इस स्पेस के खत्म होने तक हम सब बेतरतीब नशे में सरोबार होते हैं। शायद इसलिए कि एक बार फिर से हमें अपने स्पेस के खत्म होने के दुख के साथ उस सुख भरे समय के वापस लौटने का इंतजार करना होता है। जो फिर पता नहीं कब मिलता है, पर मिलता है कभी कभी।
और जब फिर से ये स्पेस मिलता है तो हम जल्दी जल्दी पहले तो नए ट्रैक सुनाने लगते हैं, अपनी नई पुरानी गर्लफ्रेंड्स के किस्से तो जैसे कि हमारी जबान पर होते हैं। ठीक है, कई लोग शादीशुदा होते हैं पर दुनिया ऐसे नहीं न चलती आई है ना। एक जीवन में हर पुरुष के हर किसी से संबंध होते हैं और हर संबंध अपनी अलग तरह की व्याख्याएं लिए रहते हैं। हम एक दूसरे के साथ शेयर करके एक तरह से खुद को पापमुक्त करने की दिलासा सा दे रहे होते हैं। पता नहीं कितनी पापमुक्ति कराते हैं हम इस स्पेस में, कभी गिनती न हो पाएगी। पहले पैग में तीन तो दूसरे में पांच और पांचवे में हर सिप पर चियर्स करते हैं, ठहाका लगाते हैं, थोड़ी सी अश्लील बातें भी करते हैं। और थोड़ी देर बाद अश्लील बातें ही करते हैं। फिर हम तरह तरह के लोगों की बुराइयां करते हैं और उन्हें जमकर गालियां देते हैं, ये भूलकर कि हम उजाले में नारीवाद की बातें करते हैं या उसका विरोध करने वालों का विरोध करते हैं। हमारा ये स्पेस या फिर स्पेस का नशा हमें बहुत ही सुविधाजनक और स्वार्थी मोड में ले आता है, जो कि ईमानदारी से, हर कोई होना चाहता है। इस स्पेस में हम पकोड़े से लेकर आधी जली सिगरेट तक की कसम खाकर और निभाकर भी दिखाते हैं। हर जगह आराम से खुजा सकते हैं और जहां हाथ न पहुंच रहा हो, वहां खुजाने को भी कह सकते हैं।
इस स्पेस में हम दुनिया की सभी वर्जित चीजें करने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र होते हैं। हमें पता है कि लोगबाग हमारे इस स्पेस से जलते भुनते और कुढ़ते हैं, पर हमारी ये जगह हमें उनपर भी हंसने ठहाका लगाने पर मजबूर कर देती है, जो ऐसा करते हैं। कुछ लोगों के जीवन में ये स्पेस मंगलवार को भी आता है तो कुछ लोग इसे हर गुरुवार में तलाशते हैं। हमें पता होता है कि हम इस स्पेस की एक बड़ी कीमत चुकाएंगे, इस पाप को हम ही भुगतेंगे, फिर भी चूंकि बेसिकली हम सब पापी ही हैं, तो हम पाप करते हैं। हमें पता होता है कि जीवन में ये स्पेस न हर मंगलवार आना होता है और न हर गुरुवार। फिर भी हम दिन का इंतजार करते हैं। हम हर दिन अपने उसी स्पेस के इंतजार में सिगरेट के धुंए के छल्ले उड़ा रहे होते हैं, या मेरी तरह पान खा रहे होते हैं। पापी स्पेस का इंतजार, पाप करने के लिए।
और जब फिर से ये स्पेस मिलता है तो हम जल्दी जल्दी पहले तो नए ट्रैक सुनाने लगते हैं, अपनी नई पुरानी गर्लफ्रेंड्स के किस्से तो जैसे कि हमारी जबान पर होते हैं। ठीक है, कई लोग शादीशुदा होते हैं पर दुनिया ऐसे नहीं न चलती आई है ना। एक जीवन में हर पुरुष के हर किसी से संबंध होते हैं और हर संबंध अपनी अलग तरह की व्याख्याएं लिए रहते हैं। हम एक दूसरे के साथ शेयर करके एक तरह से खुद को पापमुक्त करने की दिलासा सा दे रहे होते हैं। पता नहीं कितनी पापमुक्ति कराते हैं हम इस स्पेस में, कभी गिनती न हो पाएगी। पहले पैग में तीन तो दूसरे में पांच और पांचवे में हर सिप पर चियर्स करते हैं, ठहाका लगाते हैं, थोड़ी सी अश्लील बातें भी करते हैं। और थोड़ी देर बाद अश्लील बातें ही करते हैं। फिर हम तरह तरह के लोगों की बुराइयां करते हैं और उन्हें जमकर गालियां देते हैं, ये भूलकर कि हम उजाले में नारीवाद की बातें करते हैं या उसका विरोध करने वालों का विरोध करते हैं। हमारा ये स्पेस या फिर स्पेस का नशा हमें बहुत ही सुविधाजनक और स्वार्थी मोड में ले आता है, जो कि ईमानदारी से, हर कोई होना चाहता है। इस स्पेस में हम पकोड़े से लेकर आधी जली सिगरेट तक की कसम खाकर और निभाकर भी दिखाते हैं। हर जगह आराम से खुजा सकते हैं और जहां हाथ न पहुंच रहा हो, वहां खुजाने को भी कह सकते हैं।
इस स्पेस में हम दुनिया की सभी वर्जित चीजें करने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र होते हैं। हमें पता है कि लोगबाग हमारे इस स्पेस से जलते भुनते और कुढ़ते हैं, पर हमारी ये जगह हमें उनपर भी हंसने ठहाका लगाने पर मजबूर कर देती है, जो ऐसा करते हैं। कुछ लोगों के जीवन में ये स्पेस मंगलवार को भी आता है तो कुछ लोग इसे हर गुरुवार में तलाशते हैं। हमें पता होता है कि हम इस स्पेस की एक बड़ी कीमत चुकाएंगे, इस पाप को हम ही भुगतेंगे, फिर भी चूंकि बेसिकली हम सब पापी ही हैं, तो हम पाप करते हैं। हमें पता होता है कि जीवन में ये स्पेस न हर मंगलवार आना होता है और न हर गुरुवार। फिर भी हम दिन का इंतजार करते हैं। हम हर दिन अपने उसी स्पेस के इंतजार में सिगरेट के धुंए के छल्ले उड़ा रहे होते हैं, या मेरी तरह पान खा रहे होते हैं। पापी स्पेस का इंतजार, पाप करने के लिए।
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