Sunday, August 24, 2014

Love Jihad- Myth and Facts: मुझे नहीं चाहि‍ए ऐसा खूंखार देश

अगर मेरा देश कुछ ऐसा हो जाए तो- बड़ी बड़ी लाल सूखी आंखें जि‍नमें से गुस्‍सा टपक रहा हो। कंधों पर जानवरों जैसे बाल, बड़े बड़े दांत, एक हाथ में तलवार और एक हाथ में नाड़ा। और ऐसे देश के सामने एक औरत खड़ी हो जि‍सके सि‍र पर धर्म, लाज, हया के साथ साथ हर वो धार्मिक चीजें लदी हों। एक तरफ देश नरसंहार करना चाहता हो तो दूसरी तरफ बलात्‍कार। अगर देश की सूरत ऐसी हो तो? मुझे ये चीज परेशान कर रही है क्‍योंकि जि‍स देश को मैं अपना खून पसीना दि‍माग, सब कुछ दे रहा हूं, मैं बि‍लकुल भी उसे इस शक्‍ल में नहीं देखना चाहूंगा।

केंद्र की भाजपा सरकार के समर्थन के साथ जि‍स तरह से राष्‍ट्रीय स्‍वंय सेवक संघ लव जि‍हाद के नाम से मेरे देश में एक व्‍यापक हिंसा का इंतजाम कर रहा है, उसकी योजना उस हाथ में नाड़ा लि‍ए देश्‍ा से भी ज्‍यादा भयावह लग रही है। लव जि‍हाद पि‍तृसत्‍ता को मजबूत करने की वो लाठी है, जि‍से संघ के लोग अपने साथ रखकर चल रहे हैं। इस लाठी में कि‍तना दम है, आप खुद जाकर अपने अपने जि‍ले की स्‍थि‍ति पता कर सकते हैं, जैसे कि मैनें मेरठ की पता की। 30 लाख की आबादी वाला ये शहर कई सारे दंगों और सांप्रदायि‍क ध्रुवीकरण से गुजर चुका है। इतनी आबादी में स्‍पेशल मैरि‍ज एक्‍ट के तहत हिंदू मुस्‍लि‍म शादि‍यां औसतन 50 प्रति‍वर्ष से ज्‍यादा नहीं हो पातीं। ये मेरठ का लव जि‍हाद है। ये सालाना होने वाली 50 शादि‍यां आने वाले दि‍नों में मेरठ का कायाकल्‍प कर देंगी, ऐसा मेरठ के आरएसएस या इसकी शाखाओं से जुड़े लोगों का मानना है।

दरअसल लव जि‍हाद का मूल मकसद सिर्फ दो ही है। पहला हिंदू मुस्‍लि‍म एकता और सद्भाव को खंडि‍त करना और दूसरा स्‍त्री को पि‍तृसत्‍ता के चंगुल में कैद कि‍ए रखना। मोहल्‍लों और गांवों तक चल रहा आरएसएस का यह अभि‍यान स्‍वतंत्र भारत के मुंह पर कालि‍ख ही पोत रहा है, क्‍योंकि जब भी हिंसा होगी, मेरा देश दुनि‍या में उसी बलात्‍कारी हैवान की तरह देखा जाएगा और पता नहीं कि तब उसके हाथ में नाड़ा होगा या नहीं, या फि‍र पैजामा उतर चुका होगा। वहीं जब बात की जाती है स्‍त्रि‍यों को बराबरी का आरक्षण देने की, संपत्‍ति में बराबरी का हि‍स्‍सा दि‍ए जाने की, शि‍क्षा-स्‍वास्‍थ्‍य और वेतन के अलावा प्रेम की तो आरएसएस के लोगों को सांप सूंघ जाता है और वो कहने लगते हैं कि महि‍ला को तो धार्मिक होना चाहि‍ए, चुप रहना चाहि‍ए, मंदि‍र जाना चाहि‍ए, पैर छूना चाहि‍ए। बाकी जो है, सब उसी का तो है। हां, शादी के पहले रि‍श्‍तेदारों से तो शादी के बाद पति से चुपचाप बलात्‍कार जरूर कराते रहना चाहि‍ए। (वो थोड़ा घुमाके बोलेंगे, ये मैनें सीधे बोल दि‍या।)

लव जि‍हाद की एक छोटी सी और टेस्‍टिंग की मैनें। इसकी असलि‍यत क्‍या है, इसमें अक्‍सर स्‍मार्टफोन यूज करने वाले मुस्‍लि‍म युवाओं का नाम लि‍या जाता है, तो देखना चाहा कि आखि‍र कौन लोग हैं जो मोबाइल/एसएमएस/एफबी से लव जि‍हाद ऑपरेट करते हैं। आसान सी टेस्‍टिंग है, आप भी कर सकते हैं। मैनें एफबी पर एक हिंदू तो दूसरी मुस्‍लि‍म लड़की की डमी आईडी बनाई। तीन हफ्तों तक बाकायदा उन्‍हें ऑपरेट कि‍या। हिंदू लड़की की आईडी पर 85 प्रति‍शत हिंदू आए और टोटल फ्रेंड नंबर 800 से ज्‍यादा नहीं जा पाया। मुस्‍लि‍म लड़की की आईडी पर भी हिंदू लड़कों का यही प्रति‍शत रहा और फ्रेंड्स नंबर 2500 क्रॉस कर गए। इनमें से कई हिंदू लड़के तो ऐसे भी रहे जि‍न्‍होंने सीधे सेक्‍स करने का ऑफर भेजा।  नंबर्स मुस्‍लि‍म आईडी पर ज्‍यादा रहे और 90 फीसद से ज्‍यादा मुस्‍लि‍मों ने दोनों ही आईडी पर तमीज से बात की शुरुआत की। बात का जवाब नहीं मि‍ला तो पलटकर गालि‍यां नहीं दी।

कुल मि‍लाकर बात इतनी है कि अगर आप इनसे ये कहेंगे कि महंगाई तो ये कहेंगे धर्मांतरण। आप कहेंगे रोजगार तो ये कहेंगे बलात्‍कार। आप कहेंगे अर्थव्‍यवस्‍था तो ये कहेंगे पाकि‍स्‍तान मुर्दाबाद। लव जि‍हाद भी कुछ ऐसा ही है। दि‍लीप मंडल की बात याद आती है कि आपमें दम हो तो आप प्रेम यज्ञ कीजि‍ए। प्रेम करने के लि‍ए कहीं ज्‍यादा बहादुर होना होता है। क्‍या एक ऐसे देश की परि‍कल्‍पना नहीं की जा सकती जि‍सके सभी नि‍वासी प्रेम करते हों। लेकि‍न.. पूंजीवाद और फासीवाद का ये गठजोड़...जबतक इसका सड़कों सहि‍त हर घर की चौखट पर इसका वि‍रोध नहीं होगा, तब तक शांति के ये हत्‍यारे गांव गांव जाकर अशांति का बीज बोते रहेंगे। (कमीने लाल रंग का धागा भी बांध रहे हैं।)

इनका यही इलाज है कि इन्‍हें दरवाजे से ही बगैर सुने चलता कर दें। अपने आसपास के लोगों को शांति, प्रेम और भाईचारे का फ्रेंडशि‍प बैंड बांधें। शांति को नजर लग गई है। देश के कई हि‍स्‍से घायल हैं। कराह रहे हैं।

Tuesday, August 19, 2014

बेटा, गाली दे

बेटा 
गाली दे 
काली काली दे 
गालों को लाली दे 
बेटा 
गाली दे 

सारी दुनि‍या दि‍ल्‍ली ठैरी 
बेशर्मी की इल्‍ली ठैरी 
जलती सुर्ख कुबातों से 
मां की आंख सवाली दे 
बेटा 
गाली दे 

पटक मजूर मार दे लड़की 
तेरे कि‍ए से जनता भड़की 
मरते जलते इस गांव को 
लंपट एक मवाली दे 
बेटा 
गाली दे 

लाल कमाल पे मार दे अंडा 
भगवा ओढ़ लगा ले बंटा 
और नशे में करके वार 
जहरीले फूलों का माली दे 
बेटा 
गाली दे

रोली चंदन की लगा दुकान 
ति‍लक त्रि‍शूल को बता महान 
ठोंक के ताल ले ले जान 
टोपी वे ठप्‍पा जाली दे 
बेटा 
गाली दे 

गोंज गोंज के बना दे गाजा 
गि‍रा दे बम औ पी जा माजा 
देख पराई पेप्‍सी 
धर ताली पे ताली दे 
बेटा 
गाली दे 

छेड़ दे लड़की करा दे दंगा 
फाड़ दे कपड़ा, कर दे नंगा 
देश गांव को कर भि‍खमंगा 
कट्टा हाथ भुजाली दे 
बेटा 
गाली दे 

हिंदुस्‍तान की फाड़ के लुंगी 
पहन ले साफा बन जा संघी
कलम हो काफि‍र बनके जंगी 
खून सून की लाली दे 
बेटा 
गाली दे

बना धरम का जाली नोट 
फोड़ दे बम औ डाल दे वोट 
गंगा सीना यमुना चोट 
बनाके इनको नाली दे 
बेटा 
गाली दे 

(फेसबुक पर समय की वॉल से साभार)

Friday, August 15, 2014

Letter to the mike of Red Fort: लालकि‍ले के माइक को पत्र

प्रि‍य लालकि‍ले के माइक,

 आज तुम्‍हें देखा। कि‍तने दुबले हो गए हो तुम। एकदम मेरे देश की तरह कुपोषणग्रस्‍त। हो सकता है तकनीक ने तुम्‍हें ऐसा बना दि‍या हो, वैसे भी तकनीक हम लोगों में से 30 फीसद लोगों को कुपोषणग्रस्‍त बना ही चुकी है। चाहे वो दि‍मागी कुपोषण ही रहा हो जि‍सने आज तुम्‍हारी ये हालत कर दी। आज तुम अपने पूरे कुनबे के साथ लालकि‍ले पर दि‍खे तो लगा कि चलो, कि‍सी के तो 2020 तक जिंदा रहने की उम्‍मीद है, भले ही वो तुम हो। वैसे तो हमारे प्रधानमंत्री महोदय के भक्‍तगण गली गली हर बैठकी में यह कहते देखे-सुने जा सकते हैं कि 2020 तक वो ''हिंदुस्‍तान'' से कि‍सी एक नस्‍ल को संपूर्ण रूप से मि‍टा देने वाले हैं। उम्‍मीद थी कि आज बरास्‍ते तुम उस योजना का भी खुलासा वो भगवान कर देते, जि‍ससे कि यह सारी घोषणाएं उनके भक्‍तगण कर रहे हैं, लगातार करते जा रहे हैं। 

माइक, कि‍तनी अच्‍छी बात है (डोंट मांइड माइकजी प्‍लीज) कि तुम बोल नहीं सकते। बोल सकते होते तो आज कम से कम हमें उस लफ्फाजी से तो नि‍जात मि‍लती जो बुद्ध की भूमि नेपाल बता रही थी। पता नहीं क्‍यों मेरे मन के तार बार बार इस बात से जुड़ रहे हैं कि जो बुद्ध को मानते हैं, उनका देश नेपाल होने का फतवा बहुत जल्‍द आने वाला है। अल्‍लाह को मानने वालों का फतवा तो नरेंद्र मोदी के कारिंदे कई बार दे ही चुके हैं कि उनका देश पाकि‍स्‍तान/बांग्‍लादेश है। मेरे सामने से इति‍हास का वह मंजर हूबहू गुजर रहा है जब दक्षि‍ण भारत के रामानंद संप्रदाय के लोगों ने बौद्ध धर्म को मानने वालों को उत्‍तर भारत से काफी दूर खदेड़ दि‍या था। माना कि उस वक्‍त भारत वारत का कोई अस्‍ति‍त्‍व नहीं था, पर बात क्षेत्र के मौजूदा भौगोलि‍क पहचान की है। यानि कि अगर बार बार बुद्ध की भूमि नेपाल बोली जा रही है, तो मैं से लंबी अवधि की साजि‍श (लांग टर्म कांस्‍पि‍रेसी) मान सकता हूं। माइक, सच्‍ची कहता हुं, तुम उस वक्‍त थोड़ा सा तो खराब हुए होते। मगर ये तकनीक मुई जो है ना, ये तुम्‍हारा खून चूसकर ही मानेगी, ठीक वैसे ही, जैसे कि देश के 35 साल के लोगों का चूस रही है। उन्‍हें कुपोषि‍त बना रही है।

तुम्‍हें प्रि‍य लि‍खना मेरी कोई मजबूरी नहीं है, सिर्फ इसलि‍ए तुम्‍हें प्रि‍य लि‍खा क्‍योंकि तुम्‍हें प्रि‍य न लि‍खने का मेरे पास कोई ठोस कारण नहीं था और आमतौर पर मैं चीजों को प्रेम के साथ ही शुरू करना चाहता हूं, शुरू करता भी हूं। और प्रेम करना भी चाहि‍ए। मैनें सुना माइक कि तुमने भी सुना कि महि‍लाओं की घटती संख्‍या पर तुम्‍हारे मुंह में अपनी आवाज ठूंसने वाला पि‍तृसत्‍तात्‍मक फासि‍स्‍ट चिंति‍त था। मुझे इस चिंता ने और भी चिंता में डाल दि‍या है क्‍योंकि मैं जानता हूं कि संघ की सनातनी पि‍तृसत्‍ता कैसे काम करती है। इसी तरह से मां बेटि‍यों बहुओं बेटों में उलझाकर कि‍स तरह से ब्‍लैकमेल करती है महि‍लाओं को, यह समझना कोई मुश्‍कि‍ल काम नहीं है। चिंता ने चिंता जताई पर हि‍स्‍सा देने से पूरी तरह निश्‍चिंत रही। अगर आज बजरि‍ए तुम, मुझे यह सुनने को मि‍लता कि देश की आधी आबादी को उसका हक मि‍लेगा और वो जीरो टॉलरेंस के लेवल पर मि‍लेगा तो शायद मेरी चिंता को और चिंता नहीं होती पर चूंकि चिंता ये नहीं थी, इसलि‍ए हो रही है। एक तरफ महि‍लाओं के प्रेम के खि‍लाफ आरएसएस और भाजपा अभि‍यान चलाती हैं, खाप पंचायत का समर्थन करती हैं, लव जि‍हाद जैसे फर्जी नारे देकर दंगे कराए जाते हैं जि‍समें कि‍तनी महि‍लाओं की अस्‍मत लूट जाती है और दूसरी तरफ उनकी रक्षा की जो लफ्फाजी की जाती है... तुम फि‍र से क्‍यूं नहीं खराब हो गए थे माइक। क्‍या तुम्‍हें उस वक्‍त जसोदा बेन की भी याद न आई।

माइक, तुमको तब भी खराब होना था, जब आतंकवादि‍यों और माओवादि‍यों को एक तराजू में तौला जा रहा था और उनके द्वारा की जाने वाली हत्‍याएं निर्दोषों की हत्‍याएं कही जा रही थीं। क्‍या महेंद्र कर्मा निर्दोष थे। ठीक है, मैं मानता हूं कि कानून व्‍यवस्‍था का शासन होना चाहि‍ए, पर क्‍या सिर्फ एकपक्षीय। क्‍या सिर्फ 35 वर्ष के टैलेंटेड युवाओं की ही बात होनी चाहि‍ए, क्‍या सिर्फ मेड इन इंडि‍या की ही बात होनी चाहि‍ए। कि‍तना बड़ा तबका तो ऐसा है जो अनप्रोफेशनल है। पर तुम्‍हारे मुंह में बोलने वाले को शायद यह नहीं पता क्‍योंकि वह जहां से आए हैं, उसकी खि‍ड़की फेसबुक और ट्वि‍टर पर भी खुलती है। और यहां से अगर वो हमें इति‍हास बताती है तो सिर्फ वैदि‍क काल का इति‍हास बताती है। वैदि‍क काल में भी वह बड़े चूजी हैं। अब काल की बात चली है तो काश तुम बताते कि तुम कि‍स काल से आए हो। कहीं चुनाव के ठीक पहले वाले उस काल के नहीं जब बड़े बड़े प्‍लास्‍टि‍क के लालकि‍ले बनाए जाते थे?

वैसे कहने को तो बहुत कुछ मन कर रहा है माइक अंकल, पर चूंकि साहेब ने तुम्‍हारे एक बच्‍चे का सि‍र वहीं मौके पर ही कलम कर दि‍या था तो मैं समझ सकता हूं कि तुम गमजदा होगे। इसलि‍ए चलते चलते उन लोगों के लि‍ए कबीर का ये एक दोहा कहे जा रहा हूं जो लोग अब गुस्‍से में लाल पीले होंगे-
''यह कलि‍युग आयो अबै, साधु न मानै कोय।
कामी क्रोधी मसखरा, ति‍नकी पूजा होय।।''

तुम्‍हारा तो कभी नहीं
खाद भंडार वाला राहुल 

Thursday, August 14, 2014

Letter to Red Fort: लालकि‍ले को एक पत्र

प्रि‍य लालकि‍ला, 

इससे पहले कि तुम कल 15 अगस्‍त को भगवा कि‍ला बनकर एक फासि‍स्‍ट सरकार के नुमाइंदे को अपनी छत पर चढ़कर वि‍कास के चाचा बनने की इजाजत दो, आज स्‍वतंत्रता दि‍वस पर मैं तुमसे चंद बातें करना चाहता हूं। आज ही ये बातें इसलि‍ए कर लेना चाहता हूं, क्‍योंकि कल के बाद मुझे तुमसे कोई खास उम्‍मीद नहीं रहेगी। अपने इति‍हास के चलते तुम मुझे प्रि‍य जरूर रहोगे, लेकि‍न इस प्रेम में कसूरवार मेरी अतीतजीवी होने की आकांक्षा का ही है, यकीन मानो, इसमें तुम्‍हारा जरा सा भी दोष नहीं है। 

लालकि‍ले, पि‍छले दस सालों में मैं सैकड़ों बार तुम्‍हारे सामने से गुजरा। हमेशा तुम्‍हें वहीं खड़ा पाया, जहां कि तुम पि‍छले कई सौ सालों से खड़े हो। पर आज शाम पता नहीं क्‍यों ऐसा लग रहा है कि जैसे कल तुम पहले जैसे नहीं रहोगे। जैसा कि मैनें अपनी चि‍ट्ठी की शुरुआत में ही कहा, तुम भगवा होने जा रहे हो। इस भगवे का तुम्‍हारे ऊपर लहराने वाले ति‍रंगे वाले भगवे से भी कोई खास मतलब नहीं है। इस भगवे का तुम्‍हारे सामने के मंदि‍र और गुरुद्वारे से भी कोई खास मतलब नहीं है। इस भगवे का अगर कि‍सी से कुछ मतलब है तो उन लफंगों से जो हाहा हूती करके कल तुम्‍हारे सीने पर मूंग दलने आ रहे हैं। 

तो क्‍या मैं ये सोचूं लालकि‍ला, कि कल से मेरे मन में तुम्‍हारे लि‍ए इज्‍जत कम होने जा रही है। क्‍या मैं ये समझूं कि कल से मैं अगर तुम्‍हारे सामने से गुजरा तो तुम भरभराकर मेरे ऊपर गि‍र भी सकते हो। पता नहीं क्‍यों मुझे ऐसा लग रहा है जैसे कि मेरे अंदर चचा बहादुर शाह का कोई अंश आ गया है और मैं पता नहीं कि‍तनी दूर से तुम्‍हें देख रहा हूं और अपने मन को बार बार बेचैनी से मल रहा हूं। मुझे तुमसे प्रेम था लालकि‍ले, अब भी है, पर जब तुम कल भगवा हो जाओगे, तो... तो का तो कोई जवाब ही नहीं होता। 

मुझे पता है लालकि‍ला कि कल तुम्‍हारी छत से वि‍कास का तूफान चलेगा। अब ये दीगर बात है कि लालकि‍ला से चलकर ये तूफान चावड़ी बाजार या मीना बाजार में ही कहीं गुम हो जाएगा। कल एक बार फि‍र से तुम्‍हारी छत से अच्‍छे दि‍न का हवाई लॉलीपाप दि‍खाया जाएगा। कल एक बार फि‍र से देश को समझाया जाएगा कि देश के वि‍कास के लि‍ए देश को बेचना जरूरी है, न कि देश के सभी लोगों को एक साथ लेकर चलना या उनके लि‍ए कैसा भी या कहीं भी रोजगार उपलब्‍ध कराना, या उसके मौके देना। कल एक बार फि‍र से तुम्‍हारी छत से एक अदृश्‍य पतंग उड़ाई जाएगी जो या तो वि‍कास के पप्‍पा को दि‍खेगी या फि‍र उनके भी पप्‍पा अंकल ओबामा को। 

एक वक्‍त था लालकि‍ले, जब तुम अपनी सेना देखते थे। पर अब कल से एक बि‍की हुई सेना, भले ही आधी बि‍की हुई, पर बि‍की हुई सेना देखोगे। क्‍या मुझे तुमपर तरस खाना चाहि‍ए या तुम्‍हारे लि‍ए दुख में आंसू बहाने चाहि‍ए। बोलो लालकि‍ला। पर तुम क्‍या बोलोगे। तुम्‍हारी बोलती तो तभी बंद हो गई थी, जब तुम्‍हारी छत पर अवैध कब्‍जे के लि‍ए देश में जगह जगह प्‍लास्‍टि‍क के लालकि‍ले बना दि‍ए गए और उसपर चढ़कर तुमपर चढ़ने की बद्तमीज हुंकार भरी गई। आज स्‍वतंत्रता दि‍वस की पूर्वसंध्‍या पर मैं तुम्‍हें बात देना चाहता हूं लालकि‍ला कि कल से तुम आधे बि‍के हुए होगे। कोई आश्‍चर्य नहीं कि अगले साल तुम पूरे बि‍क जाओ। मुझे तुमसे सहानभूति है लालकि‍ला। मैं अकेला हूं और अकेले बैठकर तुम्‍हारी एक एक ईंट भगवा होते देख रहा हूं, एक एक महराब बि‍कते देख रहा हूं। 

तुम्‍हारा पुराना आशि‍क 
बीज भंडार वाले राहुल