Tuesday, May 19, 2015

कवि, कुरता संभाल

कवि
कुरता संभाल
गि‍रती थी पहले भी
अब गि‍र गई तेरी
कवि‍ता की डाल

कवि
सुना कुछ हाल
अगली जेब में रखी
नेटवर्क में आते ही अपलोड करने वाली
कविता नि‍काल

कवि
और तेरे जंजाल
कुरता संभाल
पहन पीला या हरा भी
कबतक पहनेगा
कुरता लाल। 

शुभम श्री की कवि‍ता: रि‍सर्च स्‍कॉलरों का गीत

(बाबा नागार्जुन की पुरानी जूतियों का कोरस से प्रेरित होकर)
खेतिहर रिसर्चर
गोभी के सब फूल कट गए
भिंडी और बैंगन बोना है
आमों के मौसम में अबकी
फिर मचान पर सोना है
थीसिस लिखनी थी कॉर्बन पर, गाइड गया जापान
केमिस्ट्री का रिसर्च स्कॉलर,  हलक में अटके प्राण

कुक रिसर्चर
एक टीन गुझिया बनवाया
तीज हो गया पार
जितिया पर अब फेना घोलो
कैसा अत्याचार
हिस्ट्री में पीएचडी ब्याह आइएएस से करना था
गाइड के कीचन में देखा ये सुंदर सपना था

छोटे शहर का रिसर्चर
तीन बजे भोर से लगा है लाइन में
आठ बजे तत्काल कहां
फिजिक्स के रिसर्चर की
कहां, है मुक्ति कहां ?
गाइड का दामाद आ गया, टीसन से लाना है
बेटी का भी इस असाढ़ में गौना करवाना है

जुगाड़ू रिसर्चर
मेरिट का भंडार पड़ा है
माल रहे भरपूर
पचास हजार में थीसिस लिखाओ
माथा रक्खो कूल
राहर खूब हुआ अबकी सोयाबीन भी लगवाएंगे
ए जी, याद दिलाना कॉलेज तनखा लाने जाएंगे

धोखा खाया हुआ रिसर्चर
चार साल तक झोला ढोए
गाइड निकला धोखेबाज
हमसे पॉलीटिक्स कराके
अपना किया विभाग पर राज
नहीं परमानेंट चलो एड हॉक सेट हो लेंगे
वर्ना उस चूतिए के नाम पर ब्लाउज पीस बेचेंगे

कॉमरेड रिसर्चर
कम्युनिस्ट समझ कर इसके अंडर में आया था
साला संघी निकला सबको धोखे में डाला था
नवरात्रि का व्रत, माथे पर तारापीठ की भस्म
विचारधारा का प्रश्न है साथी, अब पीएचडी बंद

शोषित रिसर्चर
एम ए से ही नंबर देता, स्माइल पास करता था
पीएचडी में आकर जाना क्यों इतना मरता था
डिग्री के चक्कर में चुप हूं, मुफ़्त एक बदनामी
रिटायरमेंट के समय गाइड को चढ़ गई नई जवानी
बच्चे हैं यूएस में इसके, बीवी है गांधारी
रेप केस की धमकी इसको दे-देकर मैं हारी

गाइड प्रेमी रिसर्चर
धन्य धन्य मेरे गाइड का फिर से हुआ प्रोमोशन
किंगफिशर घटिया है अबकी फ्रेंच वाइन देंगे हम
सर ने बोला सोमवार सो इंटरव्यू देना है
टॉप सीक्रेट मित्र यहां पर मेरा ही होना है
सर खुद हैं पैनल में प्रिंसिपल से कर ली है सेटिंग
देखें कैसे रोड़ा अटकाती है सेकिंड डिविजिन

भाग्यहीन रिसर्चर
पहला गाइड कामधेनु था पर हो गया सस्पेंड
दूजे ने फिर दुनिया छोड़ी, हुआ था एक्सीडेंट
अब तो बंजर धरती जैसी गाइड संग रोना है
हाय शनि महाराज मेरे साथ और क्या होना है
कॉलेज की उम्मीद नहीं अब बीएड करना होगा
नई कविता के ज्ञाता को कारक रटना होगा

Friday, May 15, 2015

इस वक्त में सब हैं सही सही

सही होने की टेंढ़ी गर्दन
सही सही सब सही

तुम्हारी बात सही
सिर पे पड़ती लात सही
तम्हारा आना सही
जाना भी सही

तुम्हारा पहनना सही
ओढ़ना सही, लोटना सही
छुपाना सही, बताना सही
राम सही, हनुमान सही

सब सहें सही सही
देश सही, काल सही
सबपे टपकती राल सही
हजम हुए सब सही सही
बचे हुए सब सही सही

मालिक, तुम्हारा सही
कवि और पुलिस भी सही
कलम, लाठी, जेब भी सही
पैर पैर पाज़ेब सही

सही तुम्हारे सारे राग
सही तुम्हारी सारी रीत
सही तुम्हारे सारे नखरे
सही तुम्हारी हंसती प्रीत।

इस वक्त में सब हैं सही सही
बाहर हैं जो थे नहीं सही
खुश हैं वो जिनने सबकी सही
कहते रहिए सब सही सही
करते रहिए सब सही सही।