Friday, May 15, 2015

इस वक्त में सब हैं सही सही

सही होने की टेंढ़ी गर्दन
सही सही सब सही

तुम्हारी बात सही
सिर पे पड़ती लात सही
तम्हारा आना सही
जाना भी सही

तुम्हारा पहनना सही
ओढ़ना सही, लोटना सही
छुपाना सही, बताना सही
राम सही, हनुमान सही

सब सहें सही सही
देश सही, काल सही
सबपे टपकती राल सही
हजम हुए सब सही सही
बचे हुए सब सही सही

मालिक, तुम्हारा सही
कवि और पुलिस भी सही
कलम, लाठी, जेब भी सही
पैर पैर पाज़ेब सही

सही तुम्हारे सारे राग
सही तुम्हारी सारी रीत
सही तुम्हारे सारे नखरे
सही तुम्हारी हंसती प्रीत।

इस वक्त में सब हैं सही सही
बाहर हैं जो थे नहीं सही
खुश हैं वो जिनने सबकी सही
कहते रहिए सब सही सही
करते रहिए सब सही सही।

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