Saturday, March 15, 2014

यहां जानें कैसे ब्राह्म्‍णों ने कि‍या था होलि‍का का गैंगरेप

जरा ठंडे दि‍माग से बगैर उत्‍तेजि‍त हुए इसे सोचने की कोशि‍श करें।
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1- हि‍रण्‍य कश्‍यप। एक दलि‍त/बौद्ध राजा। यानि कि ब्राह्म्‍णों का परम शत्रु।

2- प्रह्लाद। ब्राह्म्‍णों द्वारा फुसलाया गया बच्‍चा। एक बौद्ध बच्‍चे से सनातन धर्म की पूजा कराया जाना।

3- होलि‍का। प्रह्लाद से प्रेम करने वाली और बौद्ध धर्म में पूरी आस्‍था रखने वाली एक सुंदर दलि‍त महि‍ला।

4- होली। एक उत्‍तर आधुनि‍क त्‍योहार। लूट-खसोट, नशा-पत्‍ती, चोरी और लंपटई पर आधारि‍त। गले लगकर कालि‍ख पोतने की प्रथा।

अब जैसा कि मैं देख पा रहा हूं कि क्‍यों ब्राह्म्‍णों ने होलि‍का का बलात्‍कार करके उसे जला दि‍या और क्‍यों हि‍रण्‍यकश्‍यप की हत्‍या कर दी, मेरे सभी दलि‍त भाई भी चीजों को साफ साफ समझ रहे होंगे।

पि‍छले कई वर्षों से चली आ रही ब्राह्म्‍णवादी कहानी का तार्किक खंडन इस तरह से है। इस कहानी का तार्किक खंडन ही हो सकता है क्‍योंकि ये सिर्फ कहानी ही है, सच नहीं।

महत्‍वाकांक्षी होना कोई पाप नहीं। सभी होते हैं, हि‍रण्‍यकश्‍यप भी थे। अपने राज्‍य और बौद्ध धर्म का वि‍स्‍तार कर रहे थे। जहां तक वि‍भि‍न्‍न ग्रंथों में उसकी प्रजा की बात मि‍लती है, तो प्रजा पूरी तरह से अपने राजा के साथ थी। हो भी क्‍यों न, राजा ने पूरी सतर्कता के साथ ब्राह्म्‍णों को अपना काला खेल खेलने से रोक जो रखा था। महि‍लाओं का तो इतना सम्‍मान था कि कोई भी महि‍ला आधी रात को राज्‍य में कहीं भी जा सकती थी। ऐसे में ब्राह्म्‍णों ने सोची समझी रणनीति से प्रह्लाद को अपने चंगुल में लि‍या। उसे सनातनी देवताओं की महि‍मामय कहानी सुनाई गई। अबोध बालक के अबोध मन पर ब्राह्म्‍णों का काला जादू चल गया। जब यह खबर राजा हि‍रण्‍यकश्‍यप को हुई तो पहले उन्‍होंने अबोध बालक को समझाने की कोशि‍श की पर पथभ्रष्‍ट होते देख घर से नि‍काल दि‍या। घर से नि‍काले जाने के बाद प्रह्लाद उन्‍हीं लंपट ब्राह्म्‍णों की मंडली में बैठने लगा और उनके साथ नशा करने लगा। हालांकि बुआ होलि‍का का प्रेम अपने भतीजे के लि‍ए यथावत बना रहा और वह गाहे बगाहे छुप कर उसे भोजन और धन देती रही। उस रात पूरे चांद की रात थी। होलि‍का ने बौद्ध धर्म की एक वि‍शेष पूजा की थी जि‍समें श्‍वेत वस्‍त्र धारण करते हैं। अयोध्‍या के भंते करुणाशील बताते हैं कि उनके अध्‍ययन में पता चला कि होलि‍का बहुत ही सुंदर थी और उस रात श्‍वेत वस्‍त्रों में तो वह अप्‍सरा लग रही थी। हि‍रण्‍यकश्‍यप से छुपकर उस चांदनी की काली रात प्रह्लाद को भोजन देने गई। प्रह्लाद अपनी नशेड़ी ब्राह्म्‍ण मंडली के साथ नशे में लीन था। जब उसी ब्राह्म्‍ण मंडली ने इतनी सुंदर युवती को आते देखा, तो सभी लोगों ने होलि‍का के साथ दुराचार कि‍या। अपराध घटि‍त होने के बाद जब उन्‍हें अपराध की गंभीरता का पता चला तो आनन फानन में आसपास के मकानों से जलाने लायक सामान चोरी कि‍या गया। उसी रात होलि‍का को जला दि‍या गया और कहानी बनाई गई कि होलि‍का तो हि‍रण्‍यकश्‍यप के कहने पर प्रह्लाद को जलाने आई थी और उसके पास आग से बचने वाला शॉल था। इसके बाद पूरी सोची समझी नीति से एक ऐसे उत्‍सव का आयोजन कि‍या, जि‍समें दुश्‍मन को रंग लगाकर गले मि‍लने का प्रस्‍ताव रखा गया। ये दुश्‍मन वही सारे बौद्ध और दलि‍त थे, जि‍नके राजा को मारने की साजि‍श के तहत यह उत्‍सव मनाया जा रहा था। जब यह मामला राजा हि‍रण्‍यकश्‍यप तक पहुंचा तो उन्‍होंने उस वक्‍त भी सदाशयता दि‍खाते हुए सभी को कुछ दंड देकर छोड़ दि‍या। आगे की कहानी साजि‍शों से भरी है और सभी जानते हैं कि कि‍स तरह धोखे से राजा हि‍रण्‍यकश्‍यप की हत्‍या ब्राह्म्‍णों ने कराई।


Wednesday, March 5, 2014

हम चले पतंग उड़ाने

मैडम, जैसे आपका मलमल का लाल (फि‍क्‍स नहीं है, मने आप अपनी पसंद का भी रंग चूज कर सकती हैं।) दुपट्टा उड़ता जाता है, वैसे ही हमारी पतंग भी उड़ती है। आपके दुपट्टे की तरह हमारी पतंग का भी रंग फि‍क्‍स नहीं है। बल्‍कि‍ हम तो ये भी शर्त लगाने के लि‍ए तैयार हैं कि हमारी पतंग में कि‍सी भी देश के दुपट्टे, स्‍कार्फ, बुर्के से ज्‍यादा रंग हैं। कि‍तनी तो रंगीन है हमारी पतंग...ठीक  उतनी ही जि‍तना कि उड़ना होता है, जि‍तना कि उड़ते हुए को थामना होता है। याद है मैडम...एक बार आपने कहा था कि यू ड्राइव मी क्रेजी। हम उसी वक्‍त समझ गए थे कि आपका मन पतंग हो रहा है, पर जींस दूसरे से कंट्रोल कि‍ए जाने के हैं तो पतंग ही हो रहा है, गौरया का नहीं। सेल्‍फ ड्राइव का मोड नहीं बन पाया ना आपका। बहरहाल, आप कीजि‍ए सेल्‍फ ड्राइव मोड में आने  की प्रैक्‍टिस औ हम चले पतंग उड़ाने


अब देखि‍ए ना, हमारे पास एक नहीं, बल्‍कि दो दो पतंगें हैं। एक बड़ी त दूजी छोटी। मजे की बात तो ये कि दोनों बड़ी तेज उड़ती हैं। कोई कि‍सी से मजाल कि राई रत्‍ती कम हो जाएं। एक पुरानी उड़ाका, न जाने आसमान में कि‍तनी पतंगें काट के आई है त दूजी नई उड़ाका जि‍सके तो ठीक से कन्‍ने भी न बंधे। एक मि‍नट, जरा बड़ी वाली उतार लें, कैसी तो लंफ लंफ के नाच रही है आसमान में कि दूसरी वाली सही से टि‍क भी नहीं पा रही है। अब दूसरी वाली का कन्‍ना वन्‍ना ठीक से बांध लें तो दोनों को उड़ाएंगे। हां, सही सुन रही हैं मैडम, दोनों को उड़ाएंगे। आखि‍र दो दो हाथ हैं न हमारे। यकीन मानि‍ए, हम इंसाफ में यकीन रखते हैं तो एक को जि‍तना ऊंचा ले जाएंगे, हम वादा करते हैं कि दूसरी भी उतनी ही ऊंची उड़ेगी।

हम कन्‍ना बांध दि‍ए हैं कायदे से छोटी वाली पतंग का। अब देखते हैं कि कैसे बड़की पतंग इससे ज्‍यादा हरहराती है।