नतमस्तक मोदक की नाजायज औलादें (8)
प्रश्न- आप गालियां क्यों देते हैं?
उत्तर- तुम्हारी गां*** में क्यों दर्द होता है बे। तुम नहीं देते क्या
प्रश्न- कहा जाता है गाली वो देते हैं जो पढ़े लिखे नहीं होते। क्या आप पढ़े लिखे नहीं हैं?
उत्तर- पूरे दो लाख में डिग्री खरीदी है। पैसा हराम में नहीं आता।
प्रश्न- पर पैसे से क्या पढ़ना लिखना आता है?
उत्तर- साले मेरी डिग्री पे शक करते हो हमको पता है कैसे तुमने अपनी प्रेमिका से पैसे लेकर पत्तरकारिता पढ़ी
प्रश्न- गालियां खुद ब खुद आपके मुंह से निकलती हैं या जानबूझकर देते हैं?
उत्तर- मुल्ले हरामियों को देखकर तो खुद ब खुद निकल जाती है, नहीं भी निकलती है तो जानबूझकर निकाल देते हैं
प्रश्न- पर समाज में गालियां तो अच्छी नहीं मानी जातीं?
उत्तर- हमने कभी कहा कि तुम्हारी बीवी छिनाल है
प्रश्न- गालियां देने के बाद आपको कैसा लगता है?
उत्तर- जैसे पाद मारने के बाद आपको लगता है
प्रश्न- सुना है आप बकरी और गधों पर भी गालियां बना देते हैं?
उत्तर- सुना है कि तुम्हारी बहन तारिक के साथ घूम रही थी
प्रश्न- कोई ऐसा दिन गुजरा, जिस दिन आपने किसी को गाली न दी हो
उत्तर- कोई ऐसा दिन गुजरा, जब इन हरामी मुल्लों ने मांस ना खाया हो?
प्रश्न- गालियों का मुस्लिमों से क्या मतलब?
उत्तर- अब सही सवाल पूछा। ये ही तो हैं जो गालियों के हिसाब से चलते हैं
प्रश्न- वो कैसे?
उत्तर- अब एक गाली है- बहन****। तुम्हारी गां*** में दम हो तो मुल्लों से पूछो इसका मतलब।
प्रश्न- तो क्या इसीलिए आप गालियां देते हैं?
उत्तर- वो साले गाली खाने लायक ही हैं
प्रश्न- पर आप तो राहुल गांधी को भी गाली देते हैं?
उत्तर- वो भी मुल्ले की औलाद है साला
प्रश्न- आपकी नजर में किसे गाली नहीं देना चाहिए?
उत्तर- जो भी सच्चा हिंदू होगा, वो कभी किसी से गाली नहीं खाएगा।
प्रश्न- तो क्या करेगा
उत्तर- जो भी गाली देगा, उसकी मां **** देगा।
प्रश्न- क्या सच्चा हिंदू ही गालियां देता है?
उत्तर- अधर्म के नाश के लिए गालियां जरूरी हैं। अधर्मियों को दूसरी भाषा समझ में नहीं आती।
प्रश्न- दूसरी भाषा कौन सी?
उत्तर- सुना तुम्हारी कुतिया बच्चा देने वाली है, एक हमें भी देना
प्रश्न- गालियां आपने कहां से सीखीं?
उत्तर- सरस्वती शिशु मंदिर से नहीं सीखीं।
प्रश्न- कहां से सीखीं?
उत्तर- भो*** के बता रहे हैं ना कि शिशु मंदिर में श्लोक रटाए जाते थे
प्रश्न- क्या पाठ्यक्रम में गालियों पर भी एक पाठ होना चाहिए?
उत्तर- बिलकुल। गालियां हमारे समाज का अहम हिस्सा हैं तो पाठ्यक्रम में क्यों नहीं हो सकतीं।
प्रश्न- पर पाठ्यक्रम में तो संस्कृत लाई जा रही है?
उत्तर- तो तुम्हारी गां**** में क्यों दर्द हो रहा है। अच्छा तो है कि हमारे बच्चे संस्कृत सीखेंगे। संस्कृत में गालियां देंगे।
उत्तर- तुम्हारी गां*** में क्यों दर्द होता है बे। तुम नहीं देते क्या
प्रश्न- कहा जाता है गाली वो देते हैं जो पढ़े लिखे नहीं होते। क्या आप पढ़े लिखे नहीं हैं?
उत्तर- पूरे दो लाख में डिग्री खरीदी है। पैसा हराम में नहीं आता।
प्रश्न- पर पैसे से क्या पढ़ना लिखना आता है?
उत्तर- साले मेरी डिग्री पे शक करते हो हमको पता है कैसे तुमने अपनी प्रेमिका से पैसे लेकर पत्तरकारिता पढ़ी
प्रश्न- गालियां खुद ब खुद आपके मुंह से निकलती हैं या जानबूझकर देते हैं?
उत्तर- मुल्ले हरामियों को देखकर तो खुद ब खुद निकल जाती है, नहीं भी निकलती है तो जानबूझकर निकाल देते हैं
प्रश्न- पर समाज में गालियां तो अच्छी नहीं मानी जातीं?
उत्तर- हमने कभी कहा कि तुम्हारी बीवी छिनाल है
प्रश्न- गालियां देने के बाद आपको कैसा लगता है?
उत्तर- जैसे पाद मारने के बाद आपको लगता है
प्रश्न- सुना है आप बकरी और गधों पर भी गालियां बना देते हैं?
उत्तर- सुना है कि तुम्हारी बहन तारिक के साथ घूम रही थी
प्रश्न- कोई ऐसा दिन गुजरा, जिस दिन आपने किसी को गाली न दी हो
उत्तर- कोई ऐसा दिन गुजरा, जब इन हरामी मुल्लों ने मांस ना खाया हो?
प्रश्न- गालियों का मुस्लिमों से क्या मतलब?
उत्तर- अब सही सवाल पूछा। ये ही तो हैं जो गालियों के हिसाब से चलते हैं
प्रश्न- वो कैसे?
उत्तर- अब एक गाली है- बहन****। तुम्हारी गां*** में दम हो तो मुल्लों से पूछो इसका मतलब।
प्रश्न- तो क्या इसीलिए आप गालियां देते हैं?
उत्तर- वो साले गाली खाने लायक ही हैं
प्रश्न- पर आप तो राहुल गांधी को भी गाली देते हैं?
उत्तर- वो भी मुल्ले की औलाद है साला
प्रश्न- आपकी नजर में किसे गाली नहीं देना चाहिए?
उत्तर- जो भी सच्चा हिंदू होगा, वो कभी किसी से गाली नहीं खाएगा।
प्रश्न- तो क्या करेगा
उत्तर- जो भी गाली देगा, उसकी मां **** देगा।
प्रश्न- क्या सच्चा हिंदू ही गालियां देता है?
उत्तर- अधर्म के नाश के लिए गालियां जरूरी हैं। अधर्मियों को दूसरी भाषा समझ में नहीं आती।
प्रश्न- दूसरी भाषा कौन सी?
उत्तर- सुना तुम्हारी कुतिया बच्चा देने वाली है, एक हमें भी देना
प्रश्न- गालियां आपने कहां से सीखीं?
उत्तर- सरस्वती शिशु मंदिर से नहीं सीखीं।
प्रश्न- कहां से सीखीं?
उत्तर- भो*** के बता रहे हैं ना कि शिशु मंदिर में श्लोक रटाए जाते थे
प्रश्न- क्या पाठ्यक्रम में गालियों पर भी एक पाठ होना चाहिए?
उत्तर- बिलकुल। गालियां हमारे समाज का अहम हिस्सा हैं तो पाठ्यक्रम में क्यों नहीं हो सकतीं।
प्रश्न- पर पाठ्यक्रम में तो संस्कृत लाई जा रही है?
उत्तर- तो तुम्हारी गां**** में क्यों दर्द हो रहा है। अच्छा तो है कि हमारे बच्चे संस्कृत सीखेंगे। संस्कृत में गालियां देंगे।
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