(पार्ट ऑफ डस्टबिन)
पता नहीं इसे सीरीज में जगह देनी चाहिए या नहीं।
प्रश्न- आप रायपुर साहित्य महोत्सव में गई थीं?
उत्तर- तुमसे मतलब?
प्रश्न- प्लीज सवाल का जवाब दें, क्या आप वहां गई थीं?
उत्तर- जान ना पहचान, बड़ी बी सलाम? जवाब दे मेरी जूती।
प्रश्न- देखिए, जवाब आपको देना पड़ेगा, आप मेरे शो में बातचीत करने ही आई हैं..
उत्तर- खबरदार जो मुझसे बातचीत करने की कोशिश की।
प्रश्न- खैर, हमें पता है कि आप वहां गई थीं। आपके जाने पर लोग सवाल उठा रहे हैं..
उत्तर- तो उठाते रहें, जवाब देगी मेरी जूती। मैने तो पड़ोस की श्रीवास्तव आंटी को कभी जवाब नहीं दिया।
प्रश्न- आप खुद को वामपंथी नारीवादी पोज करती हैं, इसपर भी लोग सवाल उठा रहे हैं...
उत्तर- वो तो मैं हूं और अपने दम पर हूं। पंकज भैया से पूछ लो
प्रश्न- पर वो आयोजन तो भाजपा का था?
उत्तर- तो क्या लोकलहर वाले या लिबरेशन वाले मुझे 25 हजार देते?
प्रश्न- मतलब आपको कोई भी पैसे देगा तो आप कोई सा भी काम कर लेंगी?
उत्तर- तू मेरा घर चलाने आता है ना?
प्रश्न- लोग यह भी कह रहे हैं कि..
उत्तर- चुप साले। पहले सुट्टा मारने दे
प्रश्न- लोगों का कहना है कि आप असल में वो नहीं, जैसा आप दिखाती हैं?
उत्तर- लोग चूतिये हैं साले
प्रश्न- और आप?
उत्तर- और मैं क्या? अकेली स्त्री का दर्द ये हरामी मर्द क्या जानें? इसीलिए तो इन्हें अपनी जूती पर रखती हूं।
प्रश्न- मतलब आप पैसे के लिए कुछ भी कर लेंगी?
उत्तर- उल्लू के पट्ठे, जिंदा रहने की कोशिश डिप्लोमेसी है।
प्रश्न- जिंदा तो जानवर भी रह लेते हैं, लोग इसीलिए बोल रहे हैं क्योंकि खुद आपने अपनी एक इमेज बनाई हुई थी
उत्तर- तुम बेसिकली एक विवेकहीन बुलडोजर हो जो किसी को भी कुचल सकता है।
प्रश्न- देखिए बात एक नृशंस समारोह और उसमें आपके जाने की हो रही है.
उत्तर- बात इसकी हो रही है कि हर आदमी कुत्ता होता है
प्रश्न- आप मेरी बात का सीधा जवाब क्यों नहीं देतीं?
उत्तर- तुम्हें मुझसे सवाल पूछने का हक किसने दिया? किस अधिकार से तुम ये सवाल कर रहे हो?
प्रश्न- देखिए, ये एक पब्लिक गुफ्तगू है, जिसमें एक पक्ष सवाल करता है, दूसरा जवाब
उत्तर- गू है तुम मर्दों के दिमाग में। मैं पूछती हूं कि किसी महिला ने क्यों नहीं उठाए सवाल?
प्रश्न- महिलाओं ने भी उठाए हैं सवाल, जभी सवाल पूछे जा रहे हैं.
उत्तर- वो उन तिवारी आंटी या मिश्रा मौसी जैसी महिलाएं होंगी। खूब जानती हूं ऐसी औरतों को।
प्रश्न- नहीं, सबसे ज्यादा सवाल तो उनने उठाए हैं, जो सड़क पर महिलाओं के हक के लिए लड़ रही हैं.
उत्तर- ये तुम नहीं, तुम्हारा मरदाना अहंकार बोल रहा है।
प्रश्न- फिर भी, सबसे बड़ा सवाल यही है कि आपने एक सम्मानित बैकग्राउंड से होते हुए ऐसे समारोह में शिरकत की, जो फासिस्टों का तो था ही, जिसपर मासूमों के खून के दाग लगे थे?
उत्तर- तुम और तुम्हारी नजर मेरी जूती पर। भाड़ में जाओ।
प्रश्न- सुना उस समारोह में वामपंथियों के जड़ से खात्मे पर भी विचार विमर्श हुआ?
उत्तर- मुझे वामपंथ ना सिखाओ। मैने बचपन से देखा है वामपंथियों की बीवियों की हालत
प्रश्न- क्या आपने उस विचार विमर्श में हिस्सा लिया?
उत्तर- साला गली का कुत्ता भी 'मेल' होता है तो सफाई मांगता है। तुम मर्दों को किसने हक दिया सफाई मांगने का? भाड़ में जाओ
प्रश्न- आपको क्या लगता है, क्या आपका ये कृत्य सैद्धांतिक रूप से सही था?
उत्तर- दरअसल मुझे जो सम्मान मिला है, उससे मर्दाना अहंकार आहत हुआ है। लेकिन आप ये मानेंगे नहीं। मुझे हासिल करने के सारे सपनों पर कुठाराघात जो हो गया। मर्द कैसे बरदाश्त करे?
प्रश्न- आप रायपुर साहित्य महोत्सव में गई थीं?
उत्तर- तुमसे मतलब?
प्रश्न- प्लीज सवाल का जवाब दें, क्या आप वहां गई थीं?
उत्तर- जान ना पहचान, बड़ी बी सलाम? जवाब दे मेरी जूती।
प्रश्न- देखिए, जवाब आपको देना पड़ेगा, आप मेरे शो में बातचीत करने ही आई हैं..
उत्तर- खबरदार जो मुझसे बातचीत करने की कोशिश की।
प्रश्न- खैर, हमें पता है कि आप वहां गई थीं। आपके जाने पर लोग सवाल उठा रहे हैं..
उत्तर- तो उठाते रहें, जवाब देगी मेरी जूती। मैने तो पड़ोस की श्रीवास्तव आंटी को कभी जवाब नहीं दिया।
प्रश्न- आप खुद को वामपंथी नारीवादी पोज करती हैं, इसपर भी लोग सवाल उठा रहे हैं...
उत्तर- वो तो मैं हूं और अपने दम पर हूं। पंकज भैया से पूछ लो
प्रश्न- पर वो आयोजन तो भाजपा का था?
उत्तर- तो क्या लोकलहर वाले या लिबरेशन वाले मुझे 25 हजार देते?
प्रश्न- मतलब आपको कोई भी पैसे देगा तो आप कोई सा भी काम कर लेंगी?
उत्तर- तू मेरा घर चलाने आता है ना?
प्रश्न- लोग यह भी कह रहे हैं कि..
उत्तर- चुप साले। पहले सुट्टा मारने दे
प्रश्न- लोगों का कहना है कि आप असल में वो नहीं, जैसा आप दिखाती हैं?
उत्तर- लोग चूतिये हैं साले
प्रश्न- और आप?
उत्तर- और मैं क्या? अकेली स्त्री का दर्द ये हरामी मर्द क्या जानें? इसीलिए तो इन्हें अपनी जूती पर रखती हूं।
प्रश्न- मतलब आप पैसे के लिए कुछ भी कर लेंगी?
उत्तर- उल्लू के पट्ठे, जिंदा रहने की कोशिश डिप्लोमेसी है।
प्रश्न- जिंदा तो जानवर भी रह लेते हैं, लोग इसीलिए बोल रहे हैं क्योंकि खुद आपने अपनी एक इमेज बनाई हुई थी
उत्तर- तुम बेसिकली एक विवेकहीन बुलडोजर हो जो किसी को भी कुचल सकता है।
प्रश्न- देखिए बात एक नृशंस समारोह और उसमें आपके जाने की हो रही है.
उत्तर- बात इसकी हो रही है कि हर आदमी कुत्ता होता है
प्रश्न- आप मेरी बात का सीधा जवाब क्यों नहीं देतीं?
उत्तर- तुम्हें मुझसे सवाल पूछने का हक किसने दिया? किस अधिकार से तुम ये सवाल कर रहे हो?
प्रश्न- देखिए, ये एक पब्लिक गुफ्तगू है, जिसमें एक पक्ष सवाल करता है, दूसरा जवाब
उत्तर- गू है तुम मर्दों के दिमाग में। मैं पूछती हूं कि किसी महिला ने क्यों नहीं उठाए सवाल?
प्रश्न- महिलाओं ने भी उठाए हैं सवाल, जभी सवाल पूछे जा रहे हैं.
उत्तर- वो उन तिवारी आंटी या मिश्रा मौसी जैसी महिलाएं होंगी। खूब जानती हूं ऐसी औरतों को।
प्रश्न- नहीं, सबसे ज्यादा सवाल तो उनने उठाए हैं, जो सड़क पर महिलाओं के हक के लिए लड़ रही हैं.
उत्तर- ये तुम नहीं, तुम्हारा मरदाना अहंकार बोल रहा है।
प्रश्न- फिर भी, सबसे बड़ा सवाल यही है कि आपने एक सम्मानित बैकग्राउंड से होते हुए ऐसे समारोह में शिरकत की, जो फासिस्टों का तो था ही, जिसपर मासूमों के खून के दाग लगे थे?
उत्तर- तुम और तुम्हारी नजर मेरी जूती पर। भाड़ में जाओ।
प्रश्न- सुना उस समारोह में वामपंथियों के जड़ से खात्मे पर भी विचार विमर्श हुआ?
उत्तर- मुझे वामपंथ ना सिखाओ। मैने बचपन से देखा है वामपंथियों की बीवियों की हालत
प्रश्न- क्या आपने उस विचार विमर्श में हिस्सा लिया?
उत्तर- साला गली का कुत्ता भी 'मेल' होता है तो सफाई मांगता है। तुम मर्दों को किसने हक दिया सफाई मांगने का? भाड़ में जाओ
प्रश्न- आपको क्या लगता है, क्या आपका ये कृत्य सैद्धांतिक रूप से सही था?
उत्तर- दरअसल मुझे जो सम्मान मिला है, उससे मर्दाना अहंकार आहत हुआ है। लेकिन आप ये मानेंगे नहीं। मुझे हासिल करने के सारे सपनों पर कुठाराघात जो हो गया। मर्द कैसे बरदाश्त करे?
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