फेसबुक के फ्रॉड- 1
बराबरी का एक ही मतलब होता है दस नहीं। कान के नीचे खींच के रहपट धरे जाने का काम कर रहे फेसबुक के मालिक मार्क ज़करबर्ग से पूछेंगे तो वो सत्तर और मतलब बता देंगे कि बराबरी ये भी होती है, वो भी होती है और जो कुछ भी वाया फेसबुक हो, वही होती है। बराबरी के सत्तर गैरबराबर कुतर्क जिसे वो फ्री बेसिक्स का नाम देकर हमपर थोपना चाह रहे हैं, उसके लिए वो हर किसी के बराबर से इतना गिर गए हैं कि उन्हें नीच कहना नीचता को मुंह चिढ़ाना होगा।
मार्क अब तक भारत के 32 लाख लोगों को धोखा दे चुके हैं। धोखा ऐसे कि उन्होंने 32 लाख फेसबुक यूजर्स के सामने फ्री बेसिक्स का पॉपअप जबरदस्ती दिखाया। हर चीज फ्री में चाहने के अंधे हम लोग उसपर क्लिक करते गए। ये हमने जानने की कोशिश ही नहीं की कि फ्री में हमें ये चीजें कैसे मिलेंगी और जो चीजें फ्री में मिलेंगी, वो कैसी होंगी। वैसे भी बछिया भले बांझ हो, लेकिन दान में मिलती है तो घंटा कोई उसका दांत गिनेगा।
ट्राइ ने फ्री बेसिक्स के पॉपअप पर रोक लगाई, बोला कि बंद करो ये लंतरानी, ये यहां काम नहीं आनी। उसके बावजूद ये अभी तक कायम है, जिसपर कानूनी कार्रवाई बनती है, करेगा कौन ये सामने आना बाकी है। रोक के बाद मार्क ने इसे सड़क की लड़ाई बना हजारों बोर्डिंग्स लगा दिए, करोड़ों रुपए विज्ञापन में बहा दिए। 32 लाख लोगों काे उल्लू बनाने के बाद जब लोगों ने विरोध करना शुरू किया तो मार्क कहते हैं कि ये बात उनकी समझदानी से बाहर है कि लोग विरोध क्यों कर रहे हैं।
अगर भारत में कुछ फ्री होना ही है तो वो जो पहले से ही इंटरनेट पर मौजूद है, जैसे सरकार से जुड़े सभी विभागों की साइट न कि फेसबुक। स्वास्थ्य और सुरक्षा से जुड़े सारे सरकारी एप्स फ्री होने हैं न कि फेसबुक का एप। माना कि हम भारतीय बहुत बड़े वाले बकचोद हैं लेकिन इतने भी नहीं कि हमेशा यही किया करें और सिर्फ फेसबुक पर ही किया करें।
(जारी...)
मार्क अब तक भारत के 32 लाख लोगों को धोखा दे चुके हैं। धोखा ऐसे कि उन्होंने 32 लाख फेसबुक यूजर्स के सामने फ्री बेसिक्स का पॉपअप जबरदस्ती दिखाया। हर चीज फ्री में चाहने के अंधे हम लोग उसपर क्लिक करते गए। ये हमने जानने की कोशिश ही नहीं की कि फ्री में हमें ये चीजें कैसे मिलेंगी और जो चीजें फ्री में मिलेंगी, वो कैसी होंगी। वैसे भी बछिया भले बांझ हो, लेकिन दान में मिलती है तो घंटा कोई उसका दांत गिनेगा।
ट्राइ ने फ्री बेसिक्स के पॉपअप पर रोक लगाई, बोला कि बंद करो ये लंतरानी, ये यहां काम नहीं आनी। उसके बावजूद ये अभी तक कायम है, जिसपर कानूनी कार्रवाई बनती है, करेगा कौन ये सामने आना बाकी है। रोक के बाद मार्क ने इसे सड़क की लड़ाई बना हजारों बोर्डिंग्स लगा दिए, करोड़ों रुपए विज्ञापन में बहा दिए। 32 लाख लोगों काे उल्लू बनाने के बाद जब लोगों ने विरोध करना शुरू किया तो मार्क कहते हैं कि ये बात उनकी समझदानी से बाहर है कि लोग विरोध क्यों कर रहे हैं।
अगर भारत में कुछ फ्री होना ही है तो वो जो पहले से ही इंटरनेट पर मौजूद है, जैसे सरकार से जुड़े सभी विभागों की साइट न कि फेसबुक। स्वास्थ्य और सुरक्षा से जुड़े सारे सरकारी एप्स फ्री होने हैं न कि फेसबुक का एप। माना कि हम भारतीय बहुत बड़े वाले बकचोद हैं लेकिन इतने भी नहीं कि हमेशा यही किया करें और सिर्फ फेसबुक पर ही किया करें।
(जारी...)
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