Thursday, December 31, 2015

फेसबुक के फ्रॉड- 8

हम लोगों सहि‍त सरकार को भी उल्‍लू बनाने में लगा फेसबुक जि‍स बेशर्मी से ये कह रहा है कि 32 लाख लोगों ने ट्राइ को फ्री बेसि‍क्‍स के लि‍ए मैसेज भेजा है, उसमें भी झोल है। स्‍कॉर्ल ने इस मामले में दाहि‍ने बाएं देखा तो ये आंकड़ा पूरी तरह से भ्रामक है। अपने यहां कुल 30 करोड़ लोग इंटरनेट यूज करते हैं और इसमें से कुल साढ़े बारह करोड़ लोग ही फेसबुक यूज करते हैं। साढ़े सत्रह करोड़ ऐसे हैं जो फेसबुक यूज नहीं करते हैं। ट्राइ को जि‍न 32 लाख लोगों से फेसबुक ने फ्रॉड करके मैसेज कराया है, वो इंटरनेट पर मौजूद आबादी का कुल 1.06 फीसद हैं। इंटरनेट पर मौजूद 98.4 फीसद लोग फेसबुक का समर्थन नहीं करते हैं। और तो और, खुद फेसबुक यूजर्स का 97.44 फीसद हि‍स्‍सा फेसबुक के फ्री बेसिक्‍स का समर्थन नहीं करता है और न ही इसने ट्राइ को इस समर्थन में कोई मैसेज भेजा है। ये साधारण गणि‍त है जो रूपेंद्र ने करके दि‍खा दी। फि‍र भी सीना इनका ठीक वैसे ही फूला है, जैसे 30 फीसद वोट पाने के बाद भक्‍तों का फूला था।

मैं बार बार फ्रॉड शब्‍द यूज करता हूं तो इसलि‍ए क्‍योंकि जो चार सौ बीसी हुई है, वो मुझे साफ साफ दि‍खाई दे रही है। इसे आसानी से ऐसे समझा जा सकता है। मैं प्रोफेशनली फेसबुक यूज करता हूं और कुछ पेज हैंडल करता हूं। जैसे फेसबुक ने ट्राइ वाली कैंपेन चलाई, मैं भी दि‍न में कई बार ये कैंपेन चलाता हूं। मेरी कैंपेन ऐसी नहीं होती कि कि‍सी के फेसबुक खोलते ही अचानक मेरी पोस्‍ट का पॉपअप आ जाए। वो नॉर्मली पोस्‍ट के साथ ही आती है जो मेरे पेजों पर की जाती है और इसी का प्रावधान है, पॉपअप का नहीं। फेसबुक ने अपनी कैंपेन के लि‍ए खुद अपने बनाए नि‍यम तोड़ दि‍ए। इतना ही नहीं, सारे फेसबुक यूजर्स की प्रोफाइल पर जो पॉपअप जबरदस्‍ती दि‍खाए गए, वो भ्रामक थे क्‍योंकि उसमें कहीं भी ये साफ नहीं लि‍खा था कि इंटरनेट पर सि‍वाय फेसबुक के और कुछ भी फ्री नहीं होगा। पहली बात तो ये कि इंटरनेट ही नहीं होगा, जो होगा वो फेसबुक ही होगा और फेसबुक के जो सौ दलाल हैं, वो होंगे। मतलब कि वि‍ज्ञापन के जो भी एथि‍क्‍स फेसबुक ने सबके लि‍ए बनाए थे, सबसे पहले उसने अपना वि‍ज्ञापन/धोखाधड़ी करने के लि‍ए तोड़े। अब बेशर्मी से इंटरनेट डॉट ओआरजी का वाइस प्रेसीडेंट कहता है कि हमारी साइट है, हम कुछ भी करें। अब इस बात पर तो कोई चार सौ बीसी का मुकदमा दर्ज कराओ भाई। सबकुछ फेसबुक की वि‍ज्ञापन पॉलि‍सी में लि‍खा हुआ है।

हम लोग, जो नेट न्‍यूट्रैलि‍टी के पैरोकार हैं, हमने अभी तक ट्राइ को 2 लाख ईमेल भेजी हैं जो साफ कहती हैं कि फेसबुक को ऐसी कोई पाइपलाइन नहीं दी जा सकती। फेसबुक डाटा प्रोवाइडर नहीं है। अगर फेसबुक डाटा प्रोवाइडर है तो सारी वेबसाइट्स डाटा प्रोवाइडर हैं। और अगर सारी वेबसाइट्स डाटा प्रोवाइडर हैं तो जि‍तनी भी मोबाइल कंपनि‍यां हैं, उन्‍होंने बोरे में भरकर सरसों का तेल बेचने का धंधा कर लि‍या है और भारत सरकार के कम्‍युनि‍केशन डि‍पार्टमेंट ने तेल की मंडी लगानी शुरू कर दी है। इंटरनेट फ्री करना है, नहीं करना है, कि‍तना फ्री करना है, कि‍तनी स्‍कीम लानी है, कि‍स हि‍साब से टैरि‍फ लगना है, ये काम है ट्राइ का न कि फेसबुक का। अब मैं पूरे यकीन से कहना चाहता हूं कि अमेरि‍का में पि‍छले दि‍नों भांग की बि‍क्री पर से जो रोक हटाई गई, उसका असर मार्क पर अच्‍छे से दि‍खाई दे रहा है।

(जारी...)

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