फेसबुक के फ्रॉड- 3
फेसबुक कह रहा है कि भारत में उसके बहुत ज्यादा यूजर्स हैं, इसलिए फ्री बेसिक्स का अधिकार उसे मिलना चाहिए। अंबानी अंकल का हाथ है तो पैसे की कोई कमी नहीं। फ्री बेसिक्स के लिए फेसबुक ने भारत में जो एड कैंपेन चलाई, उसपर सौ करोड़ रुपये (सोर्स-द वायर) से भी ज्यादा खर्च किया जा चुका है और अभी और भी खर्च होंगे। ये सारा का सारा पैसा भारतीयों को सिर्फ उल्लू बनाने के लिए खर्च हो रहा है। क्या इतनी सी बात किसी को सोचने पर मजबूर नहीं करती कि आखिर वो कौन सा फ्री प्लेटफॉर्म होगा, जिसके विज्ञापन पर एक अरब रुपए से ज्यादा खर्च कर दिया गया है और जिसकी लाइन बनाने बिछाने में अरबों रुपए खर्च होंगे? और इतने खर्च के बाद वो कौन सा धर्म होगा, जिसके खाते में सारा पुण्य बटोरने की कोशिश की जा रही है? रही बात यूजर्स की तो कुछ कम ज्यादा के साथ देश में फेसबुक के तकरीबन 125 मिलियन यूजर्स हैं जबकि गूगल के 354 मिलियन। गूगल तो फ्री की मांग नहीं कर रहा।
जाहिर है कि ये हार्डकोर बिजनेस है। बड़ा बिजनेस प्लान है तो बड़ी पूंजी भी लगाई जा रही है। बड़े बिजनेस मैन भी इसमें अपनी टांग अड़ा रहे हैं। जानकारी के लिए, दुनियाभर में इंटरनेट पर जितनी भी कंपनियां जितने तरह का धंधा कर रही हैं, डाटा यूजेस के आधार पर उनका सारा धंधा पेड होते हुए भी फ्री है। सरल शब्दों में समझें कि जब हम गूगल खोलें या विकीपीडिया, हम समान डाटा प्रयोग करते हैं और अपने प्रयोग के आधार पर उसके पैसे देते हैं। फेसबुक चाहता है कि ये डाटा का प्रयोग उसके लिए फ्री हो और बाकी के लिए पेड।
इस फ्री प्लेटफॉर्म पर फेसबुक दुनिया भर के विज्ञापन दिखाने जा रहा है। इन विज्ञापनों को देखना पूरी तरह से फ्री होगा क्योंकि डाटा डाउनलोडिंग का कोई चार्ज नहीं लगेगा। अगर किसी ने भूले से भी इन विज्ञापनों पर क्लिक करके कुछ ज्यादा जानने की कोशिश की तो अंबानी अंकल का प्लान इस स्टेप के आगे काम करने वाला है। अंबानी चच्चा ने ट्राइ को जो प्लान दिया है, उसमें गूगल के अलग तो फ्लिपकार्ट के लिए अलग डाटा यूजेस तो फलां के लिए अलग तो ढिमके के लिए अलग चार्ज करने वाले हैं। सुख की सांस लीजिए कि ट्राइ ने इसे मना कर दिया है।
कुछ समझे? मने फ्री बेसिक्स के नाम पर बाकी सारी चीजों के डाटा यूजेस के रेट डिस्बैलेंस किए जाने वाले हैं।
(जारी...)
जाहिर है कि ये हार्डकोर बिजनेस है। बड़ा बिजनेस प्लान है तो बड़ी पूंजी भी लगाई जा रही है। बड़े बिजनेस मैन भी इसमें अपनी टांग अड़ा रहे हैं। जानकारी के लिए, दुनियाभर में इंटरनेट पर जितनी भी कंपनियां जितने तरह का धंधा कर रही हैं, डाटा यूजेस के आधार पर उनका सारा धंधा पेड होते हुए भी फ्री है। सरल शब्दों में समझें कि जब हम गूगल खोलें या विकीपीडिया, हम समान डाटा प्रयोग करते हैं और अपने प्रयोग के आधार पर उसके पैसे देते हैं। फेसबुक चाहता है कि ये डाटा का प्रयोग उसके लिए फ्री हो और बाकी के लिए पेड।
इस फ्री प्लेटफॉर्म पर फेसबुक दुनिया भर के विज्ञापन दिखाने जा रहा है। इन विज्ञापनों को देखना पूरी तरह से फ्री होगा क्योंकि डाटा डाउनलोडिंग का कोई चार्ज नहीं लगेगा। अगर किसी ने भूले से भी इन विज्ञापनों पर क्लिक करके कुछ ज्यादा जानने की कोशिश की तो अंबानी अंकल का प्लान इस स्टेप के आगे काम करने वाला है। अंबानी चच्चा ने ट्राइ को जो प्लान दिया है, उसमें गूगल के अलग तो फ्लिपकार्ट के लिए अलग डाटा यूजेस तो फलां के लिए अलग तो ढिमके के लिए अलग चार्ज करने वाले हैं। सुख की सांस लीजिए कि ट्राइ ने इसे मना कर दिया है।
कुछ समझे? मने फ्री बेसिक्स के नाम पर बाकी सारी चीजों के डाटा यूजेस के रेट डिस्बैलेंस किए जाने वाले हैं।
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