Wednesday, April 18, 2007

'काम' पर क्रोध !! आख़िर क्यों?

श्रुति मिश्र



श्रुति ने अभी लिखना शुरू किया है। ज्यादा घुमाव फिराव में न जाकर एकदम सीधा सोचती हैं और काफी सोच ले जाती हैं । जिन्दगी और उसे जीने के इनके अपने अंदाज हैं और खुद के अन्दाजों के इतर नए अन्दाजों मे भी इनकी काफी दिलचस्पी रहती है। नया सा तो हो जाये लेकिन ऐसा भी नही कि वो पुराने को खतम कर दे। कुछ ऐसा ही इनके दिमाग मे चलता रहता है। बजार के लिए इन्होने पहला विषय यौन शिक्षा चुना। स्वागत !! पहली बार बजार मे श्रुति का।



आज सेक्स शिक्षा के नाम पर जो झूठा बवाल मचाया जा रहा है यह कहीँ से भी उचित नही। मेरे विचार से सेक्स शिक्षा एक माध्यम है आज के बच्चों को सही दिशा दिखाने का। आख़िर कौन उन्हें इस सब के बारे में बतायेगा। घर का माहौल अभी उतना आधुनिक नही हुआ है कि माता पिता अपने बच्चों को इसके बारे मे बताये। आपस में भाई बहनो के बीच इस बात की चर्चा करने मे झिझक होती है तो आखिरकार कौन आगे आयेगा ? और ये सबसे बड़ी सच्चाई भी है कि बच्चे इस बारे में सबसे ज्यादा जानने के लिए उत्सुक रहते हैं। ऎसी स्थिति में बजार मे मिलने वाली सस्ती पत्रिकाएं उनकी मदद करती हैं। लेकिन शिक्षा देने में नही बल्कि उन्हें गुमराह करने में। क्योंकि इनमे सिर्फ उत्तेजना का तो जिक्र होता है लेकिन उसके परिणामों का नही। और फिर जो रास्ता खुलता है , वह गलत राह और मंजिल की तरफ ही लेकर जाता है। ज़्यादातर तो अपने ही दोस्तो से कई सारी गलत बातें सीखकर उस राह की तरफ अग्रसर होते हैं। इन सारी चीजों से समाज मे विकृति पैदा होती है। लोगों के अन्दर एक जूनून सवार हो जाता है और यही वह प्रस्थान बिन्दु होता है जहाँ पर समाज के बनाए गए सारे नियम टूट जाते हैं और संबंध किरिचों मे टूटते रहते हैं।


वहीँ दूसरी तरफ अगर वैज्ञानिक तरीके से स्कूलों में इसकी शिक्षा दी जाये तो कम से कम यह स्थिति नही आएगी। यौन अपराध भी कम होंगे। बच्चों को समझाना होगा कि सुख का सही तरीका क्या है। विभत्सता से चीज़ें सिर्फ विकृत होती हैं। आज के दौर में सेक्स शिक्षा अनिवार्य हो गयी है। जहाँ लोगों के द्वारा लगातार अनियंत्रित व्यवहार किये जा रहे हैं और जिसका भुगतान न जाने कितनी मासूम बच्चियों को अपनी जान देकर करना पड़ रहा है। कम उम्र बच्चो से ही उनकी इस जिज्ञासा को शांत करने की कोशिश शुरू कर दीं जे तो कम से कम उनका व्यवहार तो नियंत्रित रहेगा ही। और इसी तरह से इनमे अपने साथी के प्रति प्रतिबद्धता की भावना भी जागृत होगी। अगर समाज को विकृत होने से बचाना है और एक अच्छी और संतुलित फसल तैयार करनी है तो सेक्स की शिक्षा बहुत जरूरी है। सेक्स की चर्चा करने मे लोग शर्म महसूस करते हैं लेकिन जब गलतियाँ करते हैं और अपने अनियंत्रित व्यवहार के कारण समाज मे असंतुलन पैदा करते हैं तो क्या यह ज्यादा शर्म की बात नही ?

1 comment:

रंजू भाटिया said...

अच्छी कोशिश है ...