Sunday, April 15, 2007

मुठ्ठी भर रेत

मुठ्ठी भर रेत
मुठ्ठी मे उठाई
देखा
तो रेत नज़र भी आई
मिलाया उसमे थोड़ा सीमेंट
और
एक नींव बनाई
फिर पता चला
कि अभी तो और है ज़रूरत
कई सारी मुठ्ठीयों की
और फिर से
मुठ्ठी भर रेत
मुठ्ठी मे उठाई

4 comments:

Udan Tashtari said...

वाह, बड़ी गहराई है रचना में. बधाई.

Mohinder56 said...

फिर अभी नींव बनी कि नहीं... हा हा

Rising Rahul said...

नींव बन जाएगी महाराज !! बस सब लोग ऐसे ही एक एक मुठ्ठी रेत दे दें और सीमेंट का कोटे से जुगाड़ करवा दें

ankurindia said...

well written