Sunday, April 15, 2007

मै अब मरती हू ...३

पहले से आगे ..
ये वो दिन था जब दफ़्तर मे मुझे लेकर काफ़ी सारी भावनाएँ उत्पन्न हुईं . संपादकीय मे मुझे जलन से देखा गया तो मार्केटिंग मे ठीक ठाक़ सा लड़का . इसके बाद तो मेरी पूरे दफ़्तर से ही अच्छी दोस्ती हो गयी . हम लोग अक्सर आपस मे हँसी मज़ाक करते , आख़िर हमेशा काम तो नही ही हो सकता है ना . इसी मज़ाक मे अक्सर वह मुझसे पूछ लेती कि आत्महत्या करने का कोई आसान तरीक़ा मेरे दिमाग़ मे आया कि नही ? और मैं भी इसे मज़ाक समझ कर अक्सर हँस के टाल देता था . एक दिन हम यूँ ही बैठे थे और बस यूँ ही दुनिया जहान क़ी और एक दूसरे के बॉयफ़्रेंड और गर्लफ़्रेंड क़ी बातें कर रहे थे . प्रियंका ने मुझे बताया कि उसकी शादी हो चुकी है . मैं जानता था कि वो शादीशुदा नही है और उसका बॉयफ़्रेंड अक्सर उसे दफ़्तर से थोड़ी दूर पर छोड़ कर चला जाता था . दफ़्तर मे अक्सर लोग मज़ाक भी किया करते थे कि उसने तो करवा चौथ का व्रत भी रखा और चंद्र देव को जल भी चड़ाया . ख़ैर उसने कहा कि एक दिन वो उसको मुझसे मिलवाएगी . उसने मुझसे भी पूछा तो मैने भी उसे अपने बारे मे बताया . दरअसल अब तक हम दोनो अच्छे दोस्त बन चुके थे और जैसे ही टाइम मिलता दोनो काफ़ी सारी बातें एक दूसरे से शेयर करते . लेकिन एक चीज़ जो मुझे अक्सर ख़टकने लगी थी वो ये कि हमारी बात चाहे ज़हाँ से शुरू हो , ख़त्म पता नही कैसे आत्महत्या पर ही होती थी . ख़ैर उस टाइम हमारी बस इतनी ही बात हुई और हम काम मे लग गये . इस बीच मुझे पता चला कि उसे लेकर बॉस किसी होटल मे गये और वही सब किया जो आमतौर पर ऐसे दफ़्तरों मे बॉस लोग करना अपना हक़ समझते हैं बाद एक और ख़बर मिली कि ये सब उसके लिए अपनी नौकरी का ही एक हिस्सा बन गया . वह कमज़ोर होती जा रही थी , उसे अक्सर चक्कर भी आने लगे थे कमज़ोरी की वजह से . इसका ज़िक्र वो अक्सर मुझसे करती थी . लेकिन मैं हँस के टाल देता था . उसका काम भी ठीक से नही चल पा रहा था और इसलिए उसे बॉस की डाँट अक्सर ही सुनने के लिए मिल जाती थी .

1 comment:

Divine India said...

आपके ब्लाग पर पहली दफा आया और ख़ासकर "बजार" शब्द ने मुझे खिंचा अच्छा
लगा पढ़कर यह भी अभिव्यक्ति का माध्यम
होना चाहिए था…दुनियाँ जिसे बजार लगे वह
शायद सबसे सही स्थान पर चोट करना जानता है…।
धन्यवाद!!