कश्मीर अपना है तो कश्मीरी क्यों नहीं?
कश्मीर में हालात वाकई भयावह हैं। कन्हैया अब कह रहा है, मैंने तो जबसे फेसबुक पर लिखना शुरू किया है, तबसे कह रहा हूं कि सेना वहां अमानवीय कुकर्मों में जुटी हुई है। गूगल पर ह्यूमन राइट वॉयलेशन इन कश्मीर सर्च करने पर 4,19,000 रिजल्ट आते हैं और हर स्टोरी सेना की नंगई तो दिखाती ही है, स्टेट की बद्तमीजी भी नुमायां करती है। इसी गूगल पर रेप बाइ सीक्योरिटी फोर्सेस इन कश्मीर सर्च करने पर 9,93,000 इतने रिजल्ट्स आते हैं। लेकिन ये सुविधाजनक सच है जिसे कभी लिया जाता है तो कभी नहीं।
ऐसा नहीं है कि ऐसा करने पर इन सैनिकों पर कार्रवाई न हुई हो। फिर भी, ये असलियत साथ साथ बरकरार है कि जितने पकड़े जाते हैं, उससे कहीं ज्यादा छूट जाते हैं। ये सब करने के लिए तर्क यह गढ़ा जाता है कि वो लोग करते हैं तो हम लोग भी करेंगे। कौन लोग हैं वो और किसके खिलाफ वहां सेना खड़ी है? कश्मीरियों के? क्यों? कश्मीर अपना है तो कश्मीरी क्यों नहीं?
कौन हैं वो लोग जो करते हैं और क्या करते हैं? क्या ये छुपा है कि आतंकवादी सीमापार से डांककर सबकुछ करने आता है? क्या ये छुपा है कि कश्मीर का नौजवान आज अशिक्षा, बेरोजगारी और अपनी जान बचाने से लेकर सैन्य गुलामी से जूझ रहा है? अगर ये सच नहीं है तो फिर सच क्या है?
डल झील सच है। बाग बागान सच हैं। ठंडी हवा सफेद बर्फ सच है। लबादे के अंदर जलती अंगीठी और उसकी आंच भी सच है। चिकारे सच हैं। पहाड़ सच हैं। बस जो सच नहीं है तो ये कि कश्मीर में इंसान को जीने के लिए जो चाहिए होता है वो नहीं मिलता। कहां से ये झूठ फैल रहा है? कौन फैला रहा है ये झूठ?
कुनान में आर्मी 23 कश्मीरी महिलाओं के साथ गैंगरेप करती है, लेकिन आप उसे सच क्यों मानेंगे? यूएन तक में इसके और इसके बाद के सैकड़ों रेप केसेस दर्ज हैं, लेकिन आपने सिर रेत में गाड़ रखा है तो देख नहीं पाएंगे। सोफियां में 22वें ग्रेनेडियर्स की पूरी रेजीमेंट गैंगरेप करती है, बिलकुल मत मानिए इसे सच।
इतनी नफरत कि सैनिक कश्मीरी महिलाओं की बच्चेदानी तक फाड़ डालते हैं.. ये निगलना काफी असुविधाजनक लग रहा होगा ना और बदलें में हम क्या बोलते हैं - साले करेंगे तो भरेंगे ही। कोई एक सिंगल कश्मीरी दिखा दीजिए जो पटना में आकर बलात्कार करता हो और थिरुवनंतपुरम में जाकर डकैती। बजाए इसके कि अनुशासन भंग करती सेना को कंट्रोल करने की कोई कवायद हो.. उठाइये लाठी और पड़ जाइये कन्हैया के पीछे उसे कंट्रोल करने को!!
क्यों.. क्योंकि वो आपका सबसे असुविधाजनक सत्य बोलता है!
#jnurow #kanhaiyakumar
ऐसा नहीं है कि ऐसा करने पर इन सैनिकों पर कार्रवाई न हुई हो। फिर भी, ये असलियत साथ साथ बरकरार है कि जितने पकड़े जाते हैं, उससे कहीं ज्यादा छूट जाते हैं। ये सब करने के लिए तर्क यह गढ़ा जाता है कि वो लोग करते हैं तो हम लोग भी करेंगे। कौन लोग हैं वो और किसके खिलाफ वहां सेना खड़ी है? कश्मीरियों के? क्यों? कश्मीर अपना है तो कश्मीरी क्यों नहीं?
कौन हैं वो लोग जो करते हैं और क्या करते हैं? क्या ये छुपा है कि आतंकवादी सीमापार से डांककर सबकुछ करने आता है? क्या ये छुपा है कि कश्मीर का नौजवान आज अशिक्षा, बेरोजगारी और अपनी जान बचाने से लेकर सैन्य गुलामी से जूझ रहा है? अगर ये सच नहीं है तो फिर सच क्या है?
डल झील सच है। बाग बागान सच हैं। ठंडी हवा सफेद बर्फ सच है। लबादे के अंदर जलती अंगीठी और उसकी आंच भी सच है। चिकारे सच हैं। पहाड़ सच हैं। बस जो सच नहीं है तो ये कि कश्मीर में इंसान को जीने के लिए जो चाहिए होता है वो नहीं मिलता। कहां से ये झूठ फैल रहा है? कौन फैला रहा है ये झूठ?
कुनान में आर्मी 23 कश्मीरी महिलाओं के साथ गैंगरेप करती है, लेकिन आप उसे सच क्यों मानेंगे? यूएन तक में इसके और इसके बाद के सैकड़ों रेप केसेस दर्ज हैं, लेकिन आपने सिर रेत में गाड़ रखा है तो देख नहीं पाएंगे। सोफियां में 22वें ग्रेनेडियर्स की पूरी रेजीमेंट गैंगरेप करती है, बिलकुल मत मानिए इसे सच।
इतनी नफरत कि सैनिक कश्मीरी महिलाओं की बच्चेदानी तक फाड़ डालते हैं.. ये निगलना काफी असुविधाजनक लग रहा होगा ना और बदलें में हम क्या बोलते हैं - साले करेंगे तो भरेंगे ही। कोई एक सिंगल कश्मीरी दिखा दीजिए जो पटना में आकर बलात्कार करता हो और थिरुवनंतपुरम में जाकर डकैती। बजाए इसके कि अनुशासन भंग करती सेना को कंट्रोल करने की कोई कवायद हो.. उठाइये लाठी और पड़ जाइये कन्हैया के पीछे उसे कंट्रोल करने को!!
क्यों.. क्योंकि वो आपका सबसे असुविधाजनक सत्य बोलता है!
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