पीर उठे जो जावैं राम, घाव रिसे जो आवैं राम
पीर उठे जो जावैं राम
घाव रिसे जो आवैं राम
चोट के ई का चक्कर है
हमका भी समझावैं राम।
कनक बिहारी के होय आरती
सबका सुबे जगावैं राम
हम तो कबसे जागा बैइठा
हमका भी त सोवावैं राम।
काट करेजवा देहे हो भइया
बकिया त अब बचावैं राम
गुड़ के डली ससुराल चली
दिल त अब धड़कावैं राम।
धोय रगड़ के साफ करी हम
छिन छिन गंद मचावैं राम
हर सुफेद मा करिया धब्बा
यहि बिधि देस देखावैं राम।
मना करे जौ मान जांय यै
कइसे फिर कहिलावैं राम
कवि कै मन कब स्थिर होए
फिरि-फिरि चंवर डोलावैं राम।
घाव रिसे जो आवैं राम
चोट के ई का चक्कर है
हमका भी समझावैं राम।
कनक बिहारी के होय आरती
सबका सुबे जगावैं राम
हम तो कबसे जागा बैइठा
हमका भी त सोवावैं राम।
काट करेजवा देहे हो भइया
बकिया त अब बचावैं राम
गुड़ के डली ससुराल चली
दिल त अब धड़कावैं राम।
धोय रगड़ के साफ करी हम
छिन छिन गंद मचावैं राम
हर सुफेद मा करिया धब्बा
यहि बिधि देस देखावैं राम।
मना करे जौ मान जांय यै
कइसे फिर कहिलावैं राम
कवि कै मन कब स्थिर होए
फिरि-फिरि चंवर डोलावैं राम।
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