संदीप कुमार
जिस गांव की मिट्टी ने
पढ़ाया-लिखाया
वहां के लिए नाकाबिल निकला
इस अनजान महानगर ने
दो टके की नौकरी क्या दी
सारा दिन खून जलाना पड़ता है
तब जाकर चूल्हा जल पाता है
दो जून की रोटी
नसीब हो पाती है।
दुकानें पद्य के कोने, संदीप की रेहङी at 10:29 PM
अशोक नरायन गुजरात के गृह सचिव रहे हैं। 2002 के दंगों के दौरान सूबे के गृह सचिव वही थे। नरायन रिटायर होने के बाद अब गांधीनगर में रहते हैं।...
1 comment:
एक बहुत ही अलग दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है आपने | यह कविता तारीफ़-ए-काबिल है | बहुत ही नयापन दिखा इसमें |
- रवि कुमार
हिंदी मैं लिखें, अब quillpad.in से
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