हिंदुत्व का यह चेहरा
हिंदू धर्म में भी कभी कभी कट्टरता को बढावा देने वाली घटनाएं घटती हैं,जैसी कि महज दो दिन पहले केरल के एक मंदिर मे देखी गयी। केंद्रीय मंत्री व्यालार रवि अपने बेटे और नवजात पोते के साथ मंदिर मे दर्शन के लिए गए थे। उनके लौटने के बाद मंदिर प्रबंधन ने परिसर को धोकर पवित्र किया। इस वरिष्ठ राजनेता के साथ ऐसा सुलूक पहली बार नही हुआ है। कुछ वर्ष पहले गुरुवायुर मंदिर मे अपने बेटे की शादी का समारोह आयोजित करने के बाद भी प्रबंधन ने मंदिर को शुद्ध किया था। लेकिन तब व्यालार रवि की इसाई पत्नी साथ थी, हालांकि तब भी उस कृत्य का समर्थन नही किया जा सकता था। पर इस बार तो उनकी पत्नी साथ नही थी। मंदिर प्रबंधन के इस व्यवहार ने इस परिवार को ही नही, उदार सोच रखने वाले दूसरे लोगो को भी क्षुब्ध किया है। जो हिंदू धर्म अन्य मतावलंबियों के प्रति उदारता के लिए प्रसिद्ध रह है , उस धर्म मे आख़िर ये क्या हो रहा है ? पुरी के प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर के प्रबंधन ने महात्मा गांधी को दलितों के साथ और विनोबा भावे को मुस्लिमों के साथ प्रवेश करने से रोका था । और तो और , प्रबंधन ने एक समय तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी को मंदिर मे प्रवेश नही करने दिया क्योंकि उन्होने पारसी से शादी की थी। लेकिन आज के दौर मे कुछ दशक पहले जैसी कट्टरता को आख़िर क्या कहेंगे ? आख़िर इसी दौर मे कुछ मंदिरों के दरवाज़े निचली जातियों के लिए खुले भी हैं। इसके पक्ष मे कई जगह सामाजिक आन्दोलन हुए हैं। लेकिन इसका दूसरा उदास करने वाला पक्ष यह है कि गुरुवायुर मंदिर के दरवाज़े येसुदास जैसे भक्त गायकों के लिए आज भी बंद हैं। व्यालार रवि को इसाई से शादी करने का दंश बार बार मंदिर मे झेलना पड़ता है। धार्मिक कट्टरता मे पंजाब इसी तरह गर्क हो जता है कि म्यान से तलवारें निकल जाती हैं।
अमर उजाला से साभार
4 comments:
जो गलत है वह गलत है । अरे, घर आए मेहमान का स्वागत किया जाता है न कि उसका अनादर । फिर मंदिर तो भगवान का घर कहलाता है । इस सबको रोकने का एक ही तरीका है कि जिस भी मंदिर में ऐसा व्यवहार हो वहाँ कोई भी वह व्यक्ति जो इसे गलत मानता है न जाए, या फिर जाए तो ऐसे लोगों के साथ जाए जिनके कारण मंदिर को धोकर पवित्र किया जाता है । और बार बार जाया जाए, देखें मंदिर कितनी बार धुलता है ?
घुघूती बासूती
कृपया ऐसे समाचार लोगों तक पहुचाते रहें. सच को सामने आना ही चाहिए.
जिस धर्म में सर्वाधिक कट्टरता है, उसे उदार कहा जाता है.
ऐसे लोग मंदिर धोने की बजाए पहले अपने दिलो को धोये तो ज़्यादा अच्छा होगा ..
kya aap apane aatmako sparsha kar sakate hai ? agar kar sakate ho to mandir me jake murtiko sparsha karo.
Post a Comment