Saturday, July 9, 2016

गुजरात फाइल्‍स: 'हिंदू-मुसलमान को लड़ाना ही नरेंद्र मोदी की असल पहचान'

‘आप जानती हैं ये हरेन पांड्या मामला एक ज्वालामुखी की तरह है। एक बार सच्चाई सामने आने का मतलब है कि मोदी जी को घर जाना पड़ेगा। वो जेल में होंगे’। इस आखिरी किश्त में पढ़िए हरेन पांड्या हत्याकांड का सच। इसके अलावा तब के गुजरात के डीजीपी के चक्रवर्ती और मुख्यमंत्री के चहते अफसर पीसी पांडे से राना अयूब की बातचीत के कुछ अंशः
गुजरात फाइल्‍स- चौथी कि‍स्‍त

इसे भी पढ़ें- गुजरात फाइल्स पार्ट-1,  गुजरात फाइल्स पार्ट-2,  गुजरात फाइल्स पार्ट-3



के चक्रवर्ती, पूर्व डीजीपी गुजरात
प्रश्नः क्या वो (सीएम मोदी) सत्ता का भूखा है?
उत्तरः हां
प्रश्नः तो क्या प्रत्येक चीज और हर व्यक्ति पर विवाद है वो दंगे हों या कि एनकाउंटर?
उत्तरः हां, हां। एक गृहमंत्री भी गिरफ्तार हुआ था।
प्रश्नः सभी अफसर उसे नापसंद करते थे?
उत्तरः हां, हां। प्रत्येक व्यक्ति उससे नफरत करता था। अमित शाह को बचाने के लिए पूरा संगठित प्रयास किया जा रहा था। इस काम में नरेंद्र मोदी के साथ तब के राज्य सभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने 27 सितंबर 2013 को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को एक पत्र लिखा था-
“अपनी गिरती लोकप्रियता के चलते कांग्रेस की रणनीति बिल्कुल साफ है। कांग्रेस बीजेपी और नरेंद्र मोदी से राजनीतिक तौर पर नहीं लड़ सकती है। उसको हार सामने दिख रही है। खुफिया एजेंसियों के बेजा इस्तेमाल के जरिये वो गलत तरीके से गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी तब के गृहमंत्री अमित शाह और दूसरे बीजेपी नेताओं को गलत तरीके से फंसाने की कोशिश कर रही है।”


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पीसी पांडे, 2002 में पुलिस कमिश्नर, अहमदाबाद, मौजूदा समय में डीजीपी, गुजरात

प्रश्नः लेकिन देखिये, मोदी को मोदी दंगों ने बनाया। यह सही बात है ना?
उत्तरः हां, उसके पहले मोदी को कौन जानता था? मोदी कौन था? वो दिल्ली से आए। उसके पहले हिमाचल में थे। वो हरियाणा और हिमाचल जैसे मामूली प्रदेशों के प्रभारी थे।
 प्रश्नः यह उनके लिए ट्रंप कार्ड जैसा था। सही कहा ना?
उत्तरः बिल्कुल ठीक बात....अगर दंगे नहीं होते वो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नहीं जाने जाते। उसने उन्हें मदद पहुंचाई। भले नकारात्मक ही सही। कम से कम उन्हें जाना जाने लगा।
 प्रश्नः तो आप इस शख्स को पसंद करते हैं?
उत्तरः मेरा मतलब है हां, इस बात को देखते हुए कि 2002 के दंगों के दौरान मैं उनके साथ था। इसलिए ये ओके है। 

वाई ए शेख, हरेन पांड्या हत्या मामले में मुख्य जांच अधिकारी

-आप जानती हैं ये हरेन पांड्या मामला एक ज्वालामुखी की तरह है। एक बार सच्चाई सामने आने का मतलब है कि मोदी जी को घर जाना पड़ेगा। वो जेल में होंगे।
प्रश्नः इसका मतलब है कि सीबीआई ने अपनी जांच नहीं की?
उत्तरः उसने केवल मामले को रफा-दफा किया। उसने गुजरात पुलिस अफसरों के पूरे सिद्धांत पर मुहर लगा दी।
-सीबीआई अफसर सुशील गुप्ता ने गुजरात पुलिस की नकली कहानी पर मुहर लगा दी। गुप्ता ने सीबीआई से इस्तीफा दे दिया। अब वो सुप्रीम कोर्ट में वकालत कर रहे हैं। वो रिलायंस के वेतनभोगी हैं। उनसे पूछिए उन्होंने क्यों सीबीआई से इस्तीफा दिया। वो सुप्रीम कोर्ट में बैठते हैं। उनसे मिलिए।

प्रश्नः क्या ये एक राजनीतिक हत्या है?
उत्तरः प्रत्येक व्यक्ति शामिल था। आडवानी के इशारे पर मामले को सीबीआई के हवाले कर दिया गया था। क्योंकि वो नरेंद्र मोदी के संरक्षक थे। इसलिए उन्हें पाक-साफ साबित करने के लिए सीबीआई का इस्तेमाल किया गया। मेरा मतलब है कि लोग स्थानीय पुलिस की कहानी पर विश्वास नहीं करेंगे। लेकिन सीबीआई की कहानी पर भरोसा कर लेंगे।
 प्रश्नः उसमें किसकी भूमिका थी? बारोट या वंजारा?
उत्तरः सभी तीनों की। बारोट कहीं और था और चुदसामा को डेपुटेशन पर ले आया गया था। उन्हें चुदसामा मिल गया था। इस एनकाउंटर में पोरबंदर कनेक्शन भी है। ये एक ब्लाइंड केस है।
प्रश्नः सीबीआई ने इसको क्यों हाथ में लिया?
उत्तरः सीबीआई ने इस केस में मोदी को बचाने का काम किया।
साभारः गुजरात फाइल्स, अनुवाद- महेंद्र मि‍श्र / 
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1 comment:

Anonymous said...

वेरी गुड इंटरव्यू