नतमस्तक मोदक की नाजायज औलादें (26)
प्रश्न- शेर-ओ-शायरी का शौक रखते हैं आप?
उत्तर- हम खुद शेर हैं।
प्रश्न- शायरी उर्दू के बड़े ही रोमानी अंदाज में लिखी जाती है, मन को छू जाने वाली। कभी पढ़ी है आपने?
उत्तर- बिलकुल पढ़ी है। तुम क्या समझते हो, तुम्ही पढ़ते लिखते हो?
प्रश्न- किनकी शायरी पढ़ी है आपने?
उत्तर- तुलसीदास की पढ़ी है।
प्रश्न- तुलसीदास शायरी लिखते थे?
उत्तर- नहीं तो क्या भो**** के मस्तराम लिखते थे?
प्रश्न- मैने पूछा था कि उर्दू की कोई शायरी पढ़ी है आपने?
उत्तर- झां**** भो*** के, संस्कृति तो आई ना हमें, उर्दू तो वैसे भी पाप है पढ़ना
प्रश्न- पाप कैसे?
उत्तर- हरामी कटुओं की बोली है बे, ऐसे।
प्रश्न- लगता है शायद इसीलिए मेरे घरवालों ने मुझे भी उर्दू सीखने नहीं दी..
उत्तर- तुम्हरे घरवाले तुमसे कहीं ज्यादा समझदार हैं।
प्रश्न- खैर, उर्दू तो हिंदुओं की भाषा रही है?
उत्तर- तुम आखिरी बार अपनी मम्मी से कब मिले थे?
प्रश्न- गालिब के बारे में सुना है?
उत्तर- बिलकुल सुना है
प्रश्न- क्या सुना है?
उत्तर- बहुत बड़े कवी हुए हैं हमारे देश के
प्रश्न- कवि कैसे, वो तो शायर हुए हैं?
उत्तर- यही तो उन मुल्ले माद**** और स्टालिन की नाजायज औलादों की साजिश है
प्रश्न- कैसी साजिश?
उत्तर- गालिब थे गुलाब राय। कवित्त कहा करते थे चांदनी चौक में जमुना घाट किनारे
प्रश्न- चांदनी चौक में यमुना घाट कहां से आया?
उत्तर- जो जामा मस्जिद है, वो असल में जमुना घाट है
प्रश्न- और यमुना कहां से बहती थी?
उत्तर- बीच से
प्रश्न- किसके बीच से?
उत्तर- लालकिले के बीच से
प्रश्न- और वहां से निकलके वो जाती कहां थी?
उत्तर- मुल्लों की गां*** में जाती थी भो**** के। बस इतना जान लो कि जमुना घाट पे गुलाब राय बैठ के कवित्त कहा करते थे।
प्रश्न- फिर उनके कवित्त कहां गए?
उत्तर- माद***** मुल्लों ने सब जला दिए
प्रश्न- फिर शायरी कहां से आई?
उत्तर- भो**** वालों ने पूरा ट्रांसलेट करा लिया उर्दू में
प्रश्न- गालिब मने गुलाब राय की कोई जयंती मनाते हैं?
उत्तर- तुम फिर शुरू कर दिए?
प्रश्न- क्या शुरू कर दिए?
उत्तर- न जाने हमें ऐसा क्यों लग रहा है कि उठें, औ उठके तुम्हारी गां**** पे पचास लात लगाएं।
प्रश्न- मैने जयंती के बारे में सवाल पूछा है?
उत्तर- किसी कटुए की जयंती हम नहीं मनाते
प्रश्न- अच्छा गुलाब राय का कोई कवित्त ही सुना दीजिए?
उत्तर- भो**** के, एक बार बता दिए कि सारा जला दिया मुल्ले माद**** ने। तुम साले मुसलमान बन जाओ
प्रश्न- गालिब की कोई शायरी याद है?
उत्तर- ......
प्रश्न- याद तो होगी जरूर?
उत्तर- रुको भो**** के, याद करने दो
प्रश्न- याद आई?
उत्तर- हां, सुनो- मौत का एक दिन मुतमइय्यन है गालिब, नींद क्यूं रात भर नहीं आती।
प्रश्न- भई वाह, क्या बात है.. पहली बार आपके इस कहे के लिए दाद है
उत्तर- सुनो भो**** के, अभी तो तुम्हीं हमको दाद बनते लग रहे हो
प्रश्न- मतलब?
उत्तर- अब निकल लो, इससे पहले तुम्हरी गां*** में केंवाच लगाएं, फूट लो।
- प्रेरणास्रोत भाई सुयश सुप्रभ
उत्तर- हम खुद शेर हैं।
प्रश्न- शायरी उर्दू के बड़े ही रोमानी अंदाज में लिखी जाती है, मन को छू जाने वाली। कभी पढ़ी है आपने?
उत्तर- बिलकुल पढ़ी है। तुम क्या समझते हो, तुम्ही पढ़ते लिखते हो?
प्रश्न- किनकी शायरी पढ़ी है आपने?
उत्तर- तुलसीदास की पढ़ी है।
प्रश्न- तुलसीदास शायरी लिखते थे?
उत्तर- नहीं तो क्या भो**** के मस्तराम लिखते थे?
प्रश्न- मैने पूछा था कि उर्दू की कोई शायरी पढ़ी है आपने?
उत्तर- झां**** भो*** के, संस्कृति तो आई ना हमें, उर्दू तो वैसे भी पाप है पढ़ना
प्रश्न- पाप कैसे?
उत्तर- हरामी कटुओं की बोली है बे, ऐसे।
प्रश्न- लगता है शायद इसीलिए मेरे घरवालों ने मुझे भी उर्दू सीखने नहीं दी..
उत्तर- तुम्हरे घरवाले तुमसे कहीं ज्यादा समझदार हैं।
प्रश्न- खैर, उर्दू तो हिंदुओं की भाषा रही है?
उत्तर- तुम आखिरी बार अपनी मम्मी से कब मिले थे?
प्रश्न- गालिब के बारे में सुना है?
उत्तर- बिलकुल सुना है
प्रश्न- क्या सुना है?
उत्तर- बहुत बड़े कवी हुए हैं हमारे देश के
प्रश्न- कवि कैसे, वो तो शायर हुए हैं?
उत्तर- यही तो उन मुल्ले माद**** और स्टालिन की नाजायज औलादों की साजिश है
प्रश्न- कैसी साजिश?
उत्तर- गालिब थे गुलाब राय। कवित्त कहा करते थे चांदनी चौक में जमुना घाट किनारे
प्रश्न- चांदनी चौक में यमुना घाट कहां से आया?
उत्तर- जो जामा मस्जिद है, वो असल में जमुना घाट है
प्रश्न- और यमुना कहां से बहती थी?
उत्तर- बीच से
प्रश्न- किसके बीच से?
उत्तर- लालकिले के बीच से
प्रश्न- और वहां से निकलके वो जाती कहां थी?
उत्तर- मुल्लों की गां*** में जाती थी भो**** के। बस इतना जान लो कि जमुना घाट पे गुलाब राय बैठ के कवित्त कहा करते थे।
प्रश्न- फिर उनके कवित्त कहां गए?
उत्तर- माद***** मुल्लों ने सब जला दिए
प्रश्न- फिर शायरी कहां से आई?
उत्तर- भो**** वालों ने पूरा ट्रांसलेट करा लिया उर्दू में
प्रश्न- गालिब मने गुलाब राय की कोई जयंती मनाते हैं?
उत्तर- तुम फिर शुरू कर दिए?
प्रश्न- क्या शुरू कर दिए?
उत्तर- न जाने हमें ऐसा क्यों लग रहा है कि उठें, औ उठके तुम्हारी गां**** पे पचास लात लगाएं।
प्रश्न- मैने जयंती के बारे में सवाल पूछा है?
उत्तर- किसी कटुए की जयंती हम नहीं मनाते
प्रश्न- अच्छा गुलाब राय का कोई कवित्त ही सुना दीजिए?
उत्तर- भो**** के, एक बार बता दिए कि सारा जला दिया मुल्ले माद**** ने। तुम साले मुसलमान बन जाओ
प्रश्न- गालिब की कोई शायरी याद है?
उत्तर- ......
प्रश्न- याद तो होगी जरूर?
उत्तर- रुको भो**** के, याद करने दो
प्रश्न- याद आई?
उत्तर- हां, सुनो- मौत का एक दिन मुतमइय्यन है गालिब, नींद क्यूं रात भर नहीं आती।
प्रश्न- भई वाह, क्या बात है.. पहली बार आपके इस कहे के लिए दाद है
उत्तर- सुनो भो**** के, अभी तो तुम्हीं हमको दाद बनते लग रहे हो
प्रश्न- मतलब?
उत्तर- अब निकल लो, इससे पहले तुम्हरी गां*** में केंवाच लगाएं, फूट लो।
- प्रेरणास्रोत भाई सुयश सुप्रभ
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