उन दिनों
उन दिनों
जब सारे नास्तिक
सुबह से लेकर शाम तक व्यस्त होंगे
एक ना करने के पीछे
मैं एक स्वेटर बुनूंगा
जिसे पहन के मेरा बच्चा कहेगा
हां पप्पा,
ये एकदम फिट है।
उन दिनों
जब सारे कवि
सुबह से लेकर शाम तक व्यस्त होंगे
एक कविता कहने में
मैं चबूतरे पर बैठकर
टुकुर टुकुर ताका करूंगा
स्कूल की बिल्डिंग के पीछे छिपता सूरज।
उन दिनों
जब सारे प्रेमी और प्रेमिकाएं भी
सुबह से शाम तक व्यस्त होंगे
प्रेम करने में
मैं उनसे पूछा करूंगा
मैं प्रेम कैसे करूं
उन दिनों
जब आप सब लोग
सुबह से शाम तक व्यस्त होंगे
मुझपर हंसने में
मैं बुनता रहूंगा
हंसने के नए नए तरीके।
उन दिनों
जब किसी की बुक शेल्फ में होगी
खून से सने पैसों से आई कोई किताब
और वो सुबह से शाम तक व्यस्त होगा
खून के धब्बे हटाने में
मैं पूछूंगा
कि मैं लाश कैसे बनूं।
उन दिनों
जब सबके पास वक्त ही वक्त होगा
सुबह से शाम तक सब व्यस्त होंगे
खाली वक्त गुजारने में
मैं सोचता रहूंगा
नए
फिल इन द ब्लैंक्स।
जब सारे नास्तिक
सुबह से लेकर शाम तक व्यस्त होंगे
एक ना करने के पीछे
मैं एक स्वेटर बुनूंगा
जिसे पहन के मेरा बच्चा कहेगा
हां पप्पा,
ये एकदम फिट है।
उन दिनों
जब सारे कवि
सुबह से लेकर शाम तक व्यस्त होंगे
एक कविता कहने में
मैं चबूतरे पर बैठकर
टुकुर टुकुर ताका करूंगा
स्कूल की बिल्डिंग के पीछे छिपता सूरज।
उन दिनों
जब सारे प्रेमी और प्रेमिकाएं भी
सुबह से शाम तक व्यस्त होंगे
प्रेम करने में
मैं उनसे पूछा करूंगा
मैं प्रेम कैसे करूं
उन दिनों
जब आप सब लोग
सुबह से शाम तक व्यस्त होंगे
मुझपर हंसने में
मैं बुनता रहूंगा
हंसने के नए नए तरीके।
उन दिनों
जब किसी की बुक शेल्फ में होगी
खून से सने पैसों से आई कोई किताब
और वो सुबह से शाम तक व्यस्त होगा
खून के धब्बे हटाने में
मैं पूछूंगा
कि मैं लाश कैसे बनूं।
उन दिनों
जब सबके पास वक्त ही वक्त होगा
सुबह से शाम तक सब व्यस्त होंगे
खाली वक्त गुजारने में
मैं सोचता रहूंगा
नए
फिल इन द ब्लैंक्स।
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