रचनात्मकता नाम की कोई चीज़ नही है।
एक आदमी , जिसने पहली बार ज्ञान और बोध को अस्तित्व की न्यूरो बायोलोजिकल अवस्था के रुप मे देखा। जिसने कहा कि इसका धार्मिक , मनोवैज्ञानिक या रहस्यवादी आशयों से कोई संबंध नही है। यह एक बिकुल नयी अवधारणा है , "प्रबुध्धता" जैसी चीज़ के प्रति वास्तव मे एक बिल्कुल नया रवैया है। गम्भीर और पवित्र मानी जानेवाली चीजो के प्रति , धर्म के प्रति और विशेष रुप से प्रबुध्धता की सारी अवधारणा के प्रति यू जी का पूरा ज्ञान उस व्यक्ति से बेहतर नही है जो आत्म वंचना मे जिंदा रहता है। लेकिन वास्तविक ज्ञान और बोध की तलाश करने वालों के लिए यू जी के तमाम कथन बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। यू जी न तो व्याख्यान देते थे और न ही उन्होने कोई किताब लिखी। वे जोर देकर कहते थे "यदि आप परम ज्ञान की खोज मे मेरे पास आये हैं तो आप गलत आदमी के पास आ गए हैं। " यू जी और अन्य लोगों के बीच समय समय पर जो वार्ता लाप हुए उन्हें रिकॉर्ड कर लिया गया। या प्रश्नोत्तर और आगे आने वाले प्रश्नोत्तर इसी वार्ता के आधार पर लिखे गए हैं।
सृजनशीलता या रचनात्मकता विषय पर काफी कुछ कहा जा चुका है। आप इस संदर्भ मे क्या कहना चाहेंगे ?
रचनात्मकता नाम की कोई चीज़ नही है। लोग पहले से ही विद्यमान इस या उस चीज़ की नक़ल करने की कोशिश करते हैं। रचनात्मकता तो उस समय मानी जायेगी जब आप किसी को आदर्श या "मॉडल" के रुप मे इस्तेमाल नही करते। यह भी जरूरी है कि आपकी भावी कृतियों के लिए आपकी यह पूर्व कृति खुद "मॉडल" न बन जाय। बस, बात यहीं ख़त्म हो जाती है। यदि आप दो व्यक्तियों के चेहरों या दो पत्तों के तरफ देखें तो पाएंगे कि कोई भी दो चहरे या दो पत्ते एक ही तरह के नही दिखाई देते।
यू जी - यू जी कृष्णमूर्ति
1 comment:
क्या आध्यात्म / दार्शनिक से हो रहे है ।
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