काल की चपेट मे महाकाल ?
प्रदीप सिंह
अमरनाथ , एक पवित्र गुफा , जिसकी खोज या प्रथम दर्शन सबसे पहले मुस्लिम चरवाहों को हुआ । लेकिन इससे हिंदू श्रद्धालुओं की आस्था कम नही हुई अपितु शंकर की महिमा और व्यक्तित्व और विलक्षण बन गया । ऎसी हिम्मत भोले शंकर ही कर सकते थे कि प्रथम दर्शन दूसरे धर्म के लोगो को दें। तभी तो वो महादेव कहलाते हैं। देश के अन्य तीर्थ स्थल तक दूसरे धर्म के लोग सिर्फ माला और प्रसाद बेचने तक सीमित हैं , वहीँ इस पवित्र गुफा की व्यवस्था तंत्र मे भी मुसलमान भाईयों का अहम योगदान रहता है। फिलहाल ये तो आपसी समझदारी का मामला है। समाचार के विभिन्न माध्यमों से मिली सूचना से हमारा ह्रदय काँप उठा। समाचार अपने नग्न रुप मे यह बयाँ कर रह है कि पवित्र गुफा मे बाब भोले का दैवीय लिंग अचानक गल गया है । तर्क-वितर्क , धर्म-विज्ञानं से इस अनहोनी घटना के कारणों का परीक्षण शुरू हो गया है। वैज्ञानिक अपनी धृष्टता से बाज नही आये और इस घटना को सीधे सीधे ग्लोबल वार्मिंग का दुष्परिणाम मान रहे हैं। जो गुफा तक जाने वाली सड़क , गुफा के पास लैंड होने वाले हवाई जहाज , भारी संख्या मे पंहुचने वाले तीर्थ यात्रियों के द्वारा फैलाये गए कूड़े कचरे से हुए प्रदूषण के कारण वहाँ का तापमान बढ जाने से हुआ माना जा रहा है। धार्मिक नेता और संत महंत इसे मानव जाति पर आसन्न संकट का संकेत ही बताएँगे , इसके आगे वो कुछ सोच भी नही सकते। अभी तक शंकर की कुंडली किसी ज्योतिषी के हाथ नही लगी , नही तो ये ग्रह और नक्षत्रों की गणना करके उम्र के इस पड़ाव मे उनके ऊपर आये इस संकट का ज्योतिषीय समाधान बताते। हर समस्या पर तत्काल अपनी राय देने वाले को क्या हो गया है ? इसे क्या कहा जाय ? ज्योतिषियों की आलस्य , भगवन के प्रति अनादर या ज्योतिष की सीमा ? कुछ भी समझा जा सकता है। ज्योतिष का कोई वीर बालक इस अनोखी घटना का विश्लेषण नही कर रहा है....ऐसा क्यों ? लेकिन जो बात पकड़ मे आई उससे साफ पता चल गया कि गुफा मे सीमा की रक्षा करने वाले भारतीय सेना के कुछ जवान शिवलिंग से अनधिकृत और अनपेक्षित छेड़ छाड़ कर रहे थे । लिंग से छेड़ छाड़ करने की या पहली घटना नही है। आपको याद होगा , अबु गरेब जेल मे अमेरिकी सैनिकों ने किस तरह से इराकी बंदियों के लिंग से छेड़ छाड़ कर रहे थे। भारतीय सेना अमेरिकी सेना के साथ संयुक्त युध्ध्भ्यास कर चुकी है । छेड़ छाड़ का यह तरीका उसने अमेरिकी सैनिकों से सीखा ? फिलहाल हम इसपर कुछ नही कहेंगे। भारतीय सेना पर प्रश्न चिन्ह लगाना किसी देश द्रोह से कम नही है। मेघा राजदान की (हत्या - आत्महत्या ) भी हमे कुछ छेड़ छाड़ का ही नतीजा है। फिलहाल श्रधालुओं के मन मे भय , संशय और आक्रोश है। भगवान शिव हिंदू पौराणिक आख्यानों मे आदि देवता माने जाते हैं। जो कालातीत हैं । भूत-वर्तमान-भविष्य तीनो कालों मे उनका अस्तित्व विद्यमान माना जाता है । हिंदू देवी देवताओं मे शिव का लिंग ही इतना पवित्र है कि जो हमेशा से पूज्यनीय है । और ये संहारकर्ता के रुप मे प्रसिद्ध हैं । चाहे पृथ्वी पर अधर्म बढ जाने के कारण संहार, सर्व शक्तिमान प्रभु की अपनी इच्छा अथवा अपनी लीला के अनुसार संहार करना पडे। सर्व शक्तिमान ,संहार कर्ता आदि पुरुष का शिव लिंग का अचानक गल जाना समझ से परे है। इसे क्या कहा जाय ? इसे परम पुरुष और प्रकृति का संघर्ष माना जाय या भगवान् की लीला मानकर छोड़ उसकी जाय ? वह प्रदेश हमेशा से ही सुर्ख़ियों मे बाना रहता है। कभी पैगम्बर का बाल ग़ायब हो जाता है तो कभी कुछ और। लेकिन बाल अचानक मिल भी गया था। अगर शिवलिंग के साथ ऐसा कुछ नही होता है तो पैगम्बर बाजी मार लेंगे। उनका करिश्मा और चमत्कार भारी पड़ेगा। फिलहाल किसकी बात मानी जाय ? धर्म की या विज्ञानं की ? विज्ञानं का कारण भी विनाशकारी ही मालुम पड़ता है। धार्मिक कारण भी मानव समाज के लिए और ही विनाश का संकेत देता है। श्रद्धालुओं के मन मे कई सवाल उमड़ रहे हैं। उन्हें अपनी और अपने उसकी चिन्ता सता रही है। क्या जगत नियंता इतना कमजोर है ? या ये विनाश का प्राकृतिक संकेत है ?
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