Sunday, May 20, 2007

हरी पाठक और चैनल के रिपोर्टर का आना

शुक्ला ने उसे ऊपर से नीचे तक चार बार देखा। मलिक की हालत और खराब। शुक्ला बोला , ' पचास ' । मालिक ने कहा , ' क्या !! ' अब तो शुक्ला ने मालिक तो डपट लिया। झिड़क कर फुन्फ्कारते हुए बोला, साले !! पचास का मतलब नही समझता ? ' इतना माल दबाकर रखा है , अगर हम ले जाएँ तो कितना बनेगा ? ' मालिक कुछ नही बोला। शुक्ला फिर बोला, 'पचास करोड़ से एक पाई भी कम नही और वो भी अभी , इसी जगह। नगद। ' मालिक ने नम ही मन हिसाब लगाया तो उसे पचास करोड़ मे सस्ता माल छूटता नजर आया। मालिक ने हाँ बोलने के लिए जैसे ही मुँह खोला तभी सामने दरवाज़े पर एक चैनल की ओ बी वैन रुकी। दरअसल शुक्ला के साथ आये यादव जी ने शुक्ला को अकेले डीलिंग करते देख अपने जातभाई खबेश चौधरी को फोन कर दिया था। वह एक चैनल मे रिपोर्टर था। चौधरी वैन से बाहर निकला। दुकान को ऊपर से नीचे तक देखा और ऐसे सांस भरी जैसे अभी अभी नहा के आया हो और दुकान के अन्दर घुस गया। उसे देखते ही यादव जी लपक कर आये और उसे एक कोने मे ले गए। दोनो दो मिनट तक पता नही क्या काना फूसी करते रहे। अब चौधरी अपनी छोटी छोटी आंखें नचाते हुए उस तरफ बढ़ा जिस तरफ कि शुक्ला और मालिक खडे थे। जैसे ही चौधरी शुक्ला के पास पंहुचा , उसने लपक कर शुक्ला के पैर छुए। शास्टांग किया। शुक्ला ने किसी तरह खुद को संभाला और उसे खीसें निपोरते हुए उसे आशीर्वाद दिया। अब चौधरी की बारी थी। बोला क्या पंडित जी ? सब अकेले अकेले ? अरे हम भी तो आप ही के भक्त हैं। शुक्ला बोला क्या अकेले अकेले , इनका फार्म ३१ रह गया था , वही पूरा करवाने आये हैं। चौधरी ने एक उडती सी निगाह त्रिवेदी और दुबे पर डाली जो तहखाने के दरवाज़े पर हकबकाये से कभी शुक्ला को देखते तो कभी चौधरी को। मालिक उनकी निगाहों के मरकज़ से दूर हो गया था। अब चौधरी बोला , अपने मालिक को एक्स्क्लुसिव के लिए बोल के आया हूँ और आपके साब का नंबर , ये देखिए री डायलिंग पर लगा हुआ है। शुक्ला ने मालिक की तरफ देखा। अब त्रिवेदी और दुबे भी मालिक कि ही तरफ देखने लगे। मालिक का सर हिला और हाँ मे ही हिला। यानी कि अभी तक उसका हिसाब सही चल रहा था। अब शुक्ला चौधरी से मुखातिब हुआ , पूछा,'कितना?' ही ही करते हुए चौधरी बड़ी ही मुलायमियत से बोला , बस आपका आधा। शुक्ला का चेहरा लाल हो गया। "!! साले !! मेरी बराबरी करता है !! "

1 comment:

चंद्रभूषण said...

Tax raid ka yah prakaran bahut jinda hai. Dialogue thode aur hon to jyada maja Ayega.