Tuesday, March 13, 2018

इस मर्द को दर्द कहां होता है जी?

वैसे तो मर्द बनता है लेकिन बात बॉलीवुड की हो तो यहां मर्द बनती है। खैर, बात तबकी है, जब मर्द बननी थी। मर्द बनाने वाले अपने मर्द के लिए औरत की तलाश में थे। पूछते-घूमते कैफी की लड़की के पास पहुंचे और उसी से पूछा कि क्या तुम हमारे मर्द की औरत बनोगी? बताने वालों ने बेचारों को ये तो बताया था कि लड़की कैफी की है, पर शायद ये नहीं बताया था कि बेटे- कैफी क्या हैं?
मर्द बनाने वालों ने जब कैफी की लड़की से पूछा कि 'बताओ भई, हमारे मर्द की औरत बनने का क्या लोगी' तो लड़की बोली- 'एक चवन्नी भी न लूंगी।' मर्द बनाने वाले चौंके। मन में भी लड्डू फूटे। फूटते लड्डुओं को चुपके से गटकते हुए बोले- 'ऐसा भी कहीं होता है?' लड़की बोली- 'जैसा मर्द आप बना रहे हो, वैसा मर्द भी कहीं होता है?' मर्द बना ही देने के पीछे पड़े लोगों ने बोला- 'फिर भी, कुछ तो लीजिए ना।'
लड़की बोली- 'देखिए, पैसे तो हमें एक भी न चाहिए। बस जिसे मर्द बनाया है, उसे औरत बना दीजिए। ...और मुझे मर्द।' मर्द बनाने वाले मरा मुंह लेकर वापस हो गए। उन्होंने लड़की को मर्द बनाने से अच्छा मर्द जैसी दिखती लड़की को मर्द में औरत बना दिया।
ये बात मुझे कैसे याद आई? ऐसे कि जब किसान मुंबई में थे तो पूरी मुंबई उनकी सेवा में लगी थी। हर कोई अपने-अपने स्तर से जो कर पा रहा था, कर रहा था। मगर अपना ये बॉलीवुडिया मर्द नामर्दों की तरह घर में छुपा बैठा था। ऐसा नहीं कि किसी ने इसके घर के बाहर आवाज नहीं लगाई। खूब लगाई। पर इस मर्द को दर्द कहां होता है जी?

कोई पता लगाके बताए कि क्या इसके हाथ पर अभी भी 'मेरा बाप चोर है' गुदा है और सीने पर अभी भी 'मर्द' खुदा है? अल्लारखा तो उड़ गया, मैंने उड़ते देखा।

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