Wednesday, October 29, 2014

पत्रकार नहीं बनि‍या हैं, चार आने की धनि‍या हैं।

पत्रकार नहीं बनि‍या हैं
चार आने की धनि‍या हैं।
खबर लाएं बाजार से
करैं वसूली प्‍यार से
लौंडा नाच नचनि‍या हैं
पत्रकार नहीं, ये बनि‍या हैं।
चार आने की धनि‍या हैं।
करैं दलाली भरकर जेब
जेब में इनकी सारे ऐब
दफ्तर पहुंचके पकड़ैं पैर
जय हो सुनके होवैं शेर
नेता की रखैल रनि‍या हैं,
पत्रकार नहीं ये बनि‍या हैं,
चार आने की धनि‍या हैं।


- राइजिंग राहुल (अवध बीज भंडार, हरिंग्‍टनगंज मि‍ल्‍कीपुर खजुरहट वाले)

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