Monday, March 5, 2007

तालिबान और आर एस एस मे समानता

पहली :- तालिबान और आर एस एस ड्रेस कोड को मानते हैं .

दूसरी :- दोनो फासीवादी हैं .

तीसरी :- दोनो ही एक ख़ास समुदाय का क़त्ल करते हैं .

चौथी :- दोनो औरतों पर विशेष वक्र दृष्टि रखते हैं .

पाँचवी :- दोनो ही ख़ुद को धर्म का ठेकेदार मानते हैं .

7 comments:

अनुनाद सिंह said...

आदमी और गधे में समानता:

१) दोनो के मुंह होते हैं।

२) दोनो खाना खाते हैं।

३) दोनो पानी पीते हैं।

४) दोनो सांस लेते हैं।

५) दोनो के शरीर में खून होता है।

पंकज बेंगाणी said...

मैने सोचा था आप मेरे सवालों के जवाब तथ्यों सहित उजागर कर मेरे ज्ञान बढाएंगे, आप तो बेतुकेपने पर उतर आए!!


पहला: ड्रेस कोड? यह क्या तुक है?? ड्रेस कोड तो स्कूलों में भी होता है, कोंग्रेस सेवादल का नही है क्या?


दुसरा: फासीवाद? क्या फासीवाद यार? फिर दक्षिणवाद, साम्यवाद, दायाँवाद, बायाँवाद यह क्या होता है?


तीसरा: कौन सा समुदाय? साक्ष्य?


चौथी: यानि आर.एस.एस. भी औरतों के खिलाफ फतवे निकालता है, मारता पीटता है? साक्ष्य देवें.


पाँचवा: तालिबान किस राष्ट्र के प्रति समर्पित हैं?

पंकज बेंगाणी said...

अनुनादजी ने सही लिखा है. ;-)

आइना तो आप रोज देखते होंगे, कभी गौर करिएगा क्या दिखता है?

Anonymous said...

अब भारत में भी आर एस एस को हटाने के लिए अमेरिका आएगा जैसे तालिबान को हटाया था। भारत में तो आर एस एस का ही राज है ना। यदि आर एस एस, तालिबान जैसा होता तो आप ऐसा नहीं लिख सकते थे। ड्रेस कोड! वाह बेचारी भारतीय सेना और पुलिस का क्या होगा और विद्यार्थी? आस एस एस ने स्त्रियों पर प्रतिबंध लगा रखे हैं यह तो आपसे ही मालूम हुआ

Pramendra Pratap Singh said...

धन्‍य हो आप और धन्‍य हो आपकी सोच!

आपको राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ और तालिबान मे अन्‍तर नही दिखता है। जितनी तुच्‍छ सोच वाम पंथियों की है उसकी धू‍ल तक संघ मे नही है। जिसे पेशा को आप पत्रकारिता करते है उसे आप जैसे लोगों ने धन्‍धा बना दिया है। पहले पत्रकारिता का अर्थ सच्‍चाई होता था अब आप जैसों ने पत्रकारिता को नया रूप दे दिया है जो बिके वही सच्‍चाई।
देश मे खास तौर पर बंगाल, केरल और पूर्वोत्‍तर भारत मे जितना आंतक वामपंथियों का है। सरे राह कोई इनके विपरीत विचारधारा का व्‍यक्ति सुरक्षित नही है। अपनी विचार धारा को थोपने से पहले दूसरे की विचार धारा का सम्‍मान जरूरी होता है, जो संघ हमेशा ही करता है। पर आप जैसे लोग तथा का्ग्रेस, वामपंथी तथा कथा‍कथित सेक्‍यूलर पार्टियॉं नही करती। तभी तो ये सरस्‍वती वंन्‍दना और बन्‍देमातरम का विरोध करती है।

Anonymous said...

तुम हो एक कुत्ते के पिल्ले, इससे ज़्यादा कुछ भी नही ।

Anonymous said...

son of a bitch... tumhare jaise bete ho jis desh ke use dushmano ki kya jarurat...