नंदीग्राम नही , हमे तो पैसे से मतलब है ..
मैं ख़ुद ..
हमे नही पता कि नंदीग्राम मे कितने लोग मारे गये . फ़िलहाल जो भी मारे गये , कम से कम वो वापस लौट कर नही आने वाले . हमे ये भी बहस नही करनी कि सरकार ने क्या किया या फिर लाल क्रांति का सपना लेकर सत्ता सुख भोगने वालों ने वहाँ क्या किया . हमे ये भी बहस नही करनी कि क्या यही लाल की लाली है जो अब पूरी तरह से काली है . लेकिन हौले हौले जो हम पता लगा रहे हैं और जो भी माध्यम हमारे सामने हैं उन माध्यमों पर हम कैसे भरोसा करें ? अगर देश कि सरकारी मीडिया कि सुने तो वो कहती है कि सिर्फ़ 6 लोग मारे गये . अब आते हैं निजी मीडिया पर . एन डी टी वी कहता है कि 14 मारे गये और दैनिक जागरण कहता है कि 12 मारे गये , बी बी सी कहता है कि 7 मारे गये वहीं अमर उजाला कहता है कि 11 मारे गये . टाइम्स कहता है कि 11 मारे गये वही हिंदुस्तान टाइम्स कहता है कि 11 मारे गये . सबके पास मरने वालो कि अलग अलग संख्या और सूची है . सब बेच रहे हैं मरने वालों को क्योंकि ... क्योंकि क्या ? अरे भाई लाल निढाल हो रहा है इसलिए . और ये कथित लाल अब पूरी तरह से केसरिया से मिल ही नही गया है बल्कि उसके रंग मे रंग गया है . लेकिन मुझे इससे क्या ? लाल जाए तो जाए चूल्हे भाड़ मे . अपन तो बस ऐसे ही मरने वालों कि संख्या देखते रहेंगे और ब्लॉग पर पोस्टिंग करते रहेंगे . हमारे आदमी मरते हैं तो अपनी बला से . हमे इससे क्या लेना देना ? हमारी तो न्यूज़ बन रही है ना और जितना हमे कहा जाता है , हम उतना ही तो बताएँगे . सभी सेटिंग है ना ..
2 comments:
बहुत सही कहा आपने,
खासतौर से यह लाइन
"अरे भाई लाल निढाल हो रहा है इसलिए . और ये कथित लाल अब पूरी तरह से केसरिया से मिल ही नही गया है बल्कि उसके रंग मे रंग गया है ."
पश्चिम बंगाल की सरकार चला रहा लाल पान की पीक है. अच्छा है कि मैं पान नहीं खाता और पीक से मेरी तरह कई लोगों को परेशानी होती है.
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