Thursday, March 8, 2007

ये बज़ार है

वैसे तो हम सब इस बज़ार के अंग हैं और रहते भी इसी के इर्द गिर्द हैं इसी मे रोज़ हम कुछ ख़रीदते हैं और बेचते हैं लोगो को देखते हैं और उनसे मिलते भी हैं हँसी तहाके लगते हैं और कभी कभी इसी बाज़ार मे गला फाड़कर रोते हैं ये बाज़ार है यहाँ सभी रंग हैं एक दूसरे से मिलते हुए रंग, सबमे सिमते हुए रंग, बे-रंगो से रंग और रंगो जैसे रंग, ये बज़ार है.....स्वागत है आपका मेरे ब्लॉग बाज़ार में,रंगो के बाज़ार में,और हाँ..बे-रंगों के भी बज़ार मे....

1 comment:

Udan Tashtari said...

--स्वागत है हिन्दी चिट्ठाजगत में. लिखते रहें!!