चिरकुट शब्द संधान
मैं चिरकुट शब्द का हर तरफ से संधान करना चाहता हूं। संधान की ये सद्इच्छा मुझे कहां लेकर जाएगी, कहीं जाएगी भी या अगले तीन चार साल पूरी चिरकुटई से संसद में बैठी रहेगी, इसकी भविष्यवाणी करने का हकदार मैं खुद को नहीं मानता। हर तरफ फैले इस शोर में सिर्फ एक चिरकुट ही है तो हीही करता दांत दिखाता हर मंच से हाथ नचाता देखा जा रहा है। मानो शोर उसी चिरकुट के लिए है और हंसी उसकी चिरकुटई का हथियार। सब देखते हुए भी अगर हम सोचते हैं कि चिरकुट में कुछ चेतना आएगी तो मैं इस मासूम चंपक सोच को भी अपने संधान में जरूर शामिल करना चाहता हूं।
वैसे शब्द विच्छेद करने पर मुझे ज्ञात होता है कि चिर कुट मतलब ऐसा व्यक्ति जो चिरकाल तक कूटा जाता रहे। जैसे कोई कहे कि कांग्रेस पुरानी चिरकुट है तो मुझे उसपर बिलकुल भी आश्चर्य नहीं होगा। या फिर कोई कहे कि केंद्र में चिरकुट की सरकार है तो उसपर भी मुझे उतना ही भरोसा है जितना मुझे धन देख बरसने वाली बरखा पर। पिछले डेढ़ दशक में ये महादेश जिस चिरकुटावस्था को प्राप्त हो रहा है मैनें कई सारी चीज़ों पर यकीन करने की आदत डाल ली है। है तो ये चिरकुट आदत लेकिन देश काल के हिसाब से मुझे भी अपनी आदतों में परिवर्तन करने की इज़ाजत मिलनी चाहिए।
वैसे जिस तरह से आताताई की कोई सर्वमान्य परिभाषा नहीं बन पाई है, चिरकुट की बनने दी जाएगी, कहना मुश्किल है। कभी कभी मुझे ये चिरकुट शब्द बड़ा मासूम लगता है जब वो अपने न समझने वालों के बीच जाकर उनके बच्चों के गाल खींचता है या राग का ग भी न जानते हुए भी डंडा लेके ढोल पीटने लगता है। चिरकुट मैली मासूमियत के सहारे महानता की सीढ़ी चढ़ना चाहता है और यकीन मानिए.. एक सच्चा और ईमानदार चिरकुट ही ऐसा चाह सकता है। इस तरह से चिरकुट स्वयं को सिद्ध करता है।
जो व्यक्ति या शब्द स्वयंसिद्ध हो, उसका संधान बहुत ही जोख़िम का काम है। इसमें मेरी जान भी जा सकती है अगर चिरकुटों के झुंड में मैं फंस गया। परंतु सत्य की साधना और चिरकुट संधान हमेशा से संसार को समाधान देते आए हैं तो जान जाती है तो जाए, चिरकुटई तो सामने आए। हालांकि कई स्त्रैण चाल वाले अर्द्धचिरकुटेश्वर मेरे मित्र हैं जो मेरे संधान के विरोध में चालीस बातें करेंगे, पर इस वक्त यही सद्मार्ग है, ऐसा साक्षात भगवान राम मेरे सपने में आकर कान में फुसफुसाकर कह गए हैं। अब ये धर्म का मार्ग है और कोई मुझे धर्म के मार्ग से डिगा नहीं सकता।
आ रहा हूं चिरकुट (चिरकुटों)
वैसे शब्द विच्छेद करने पर मुझे ज्ञात होता है कि चिर कुट मतलब ऐसा व्यक्ति जो चिरकाल तक कूटा जाता रहे। जैसे कोई कहे कि कांग्रेस पुरानी चिरकुट है तो मुझे उसपर बिलकुल भी आश्चर्य नहीं होगा। या फिर कोई कहे कि केंद्र में चिरकुट की सरकार है तो उसपर भी मुझे उतना ही भरोसा है जितना मुझे धन देख बरसने वाली बरखा पर। पिछले डेढ़ दशक में ये महादेश जिस चिरकुटावस्था को प्राप्त हो रहा है मैनें कई सारी चीज़ों पर यकीन करने की आदत डाल ली है। है तो ये चिरकुट आदत लेकिन देश काल के हिसाब से मुझे भी अपनी आदतों में परिवर्तन करने की इज़ाजत मिलनी चाहिए।
वैसे जिस तरह से आताताई की कोई सर्वमान्य परिभाषा नहीं बन पाई है, चिरकुट की बनने दी जाएगी, कहना मुश्किल है। कभी कभी मुझे ये चिरकुट शब्द बड़ा मासूम लगता है जब वो अपने न समझने वालों के बीच जाकर उनके बच्चों के गाल खींचता है या राग का ग भी न जानते हुए भी डंडा लेके ढोल पीटने लगता है। चिरकुट मैली मासूमियत के सहारे महानता की सीढ़ी चढ़ना चाहता है और यकीन मानिए.. एक सच्चा और ईमानदार चिरकुट ही ऐसा चाह सकता है। इस तरह से चिरकुट स्वयं को सिद्ध करता है।
जो व्यक्ति या शब्द स्वयंसिद्ध हो, उसका संधान बहुत ही जोख़िम का काम है। इसमें मेरी जान भी जा सकती है अगर चिरकुटों के झुंड में मैं फंस गया। परंतु सत्य की साधना और चिरकुट संधान हमेशा से संसार को समाधान देते आए हैं तो जान जाती है तो जाए, चिरकुटई तो सामने आए। हालांकि कई स्त्रैण चाल वाले अर्द्धचिरकुटेश्वर मेरे मित्र हैं जो मेरे संधान के विरोध में चालीस बातें करेंगे, पर इस वक्त यही सद्मार्ग है, ऐसा साक्षात भगवान राम मेरे सपने में आकर कान में फुसफुसाकर कह गए हैं। अब ये धर्म का मार्ग है और कोई मुझे धर्म के मार्ग से डिगा नहीं सकता।
आ रहा हूं चिरकुट (चिरकुटों)
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