सोचने से बंद करने के सलीकों पर...
1
सोचता हूं..
न सोचूं तुम्हें,
न सोचूं किसी और को,
न सोचूं खुद को,
न सोचूं न हो कोई सोच, पर...
सोचता हूं
2
सोचता हूं
न सोचूं उस भीड़ को,
न सोचूं उस लोहे को,
न सोचूं उस पीतल को,
न सोचूं, पर ये सोच..
सोचने पर मजबूर करती है..
3
सोचता हूं
न सोचूं उन रास्तों को
जो वापस आने में करते हैं मदद
न सोचूं उन तरीकों को..
जो करते हैं नॉर्थ और साउथ पोल का
काम
और ये सारे पोल मिलकर..
सोच को जोड़ते रहते हैं, मुसलसल..
मुझे नहीं पता कि अमित को ये फोटो कहां से मिली, पर उनके साधू कलेक्शन देखने लायक हैं। |
सोचता हूं
गाल दबाकर उन न सोचने के
तरीकों पर
कि न सोचूं सोचने से बंद करने
के सलीकों पर
पर क्या करें..इस सोच का
न जाने क्या क्या
सोचता
हूं..5
वैसे तो सोच को होना चाहिए
लंबा, मुसलसल और...
सोचने पर,
पर फिर भी इससे इतर
सोचता हूं,
कि क्यों सोचता हूं।
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