Monday, January 11, 2010

इसके लिए मंच नहीं, मन चाहिए....

इनके लिए मेरे पास कहने के लिए शब्द नहीं हैं, खुद देखिये और शब्द गढ़िये....

3 comments:

अफ़लातून said...

देखा.

Udan Tashtari said...

क्या शब्द गढ़ें...

Rising Rahul said...

ऊडन तश्तरी जी, यही तो मुझे भी नही सूझी... सूझती तो कहता ही नही