Once upon a time: एक समय की बात है
एक समय की बात है। दुनिया के एक पिछड़े देश को और न पिछड़ने देने की जिद लेकर छोटे से एक शहर का लड़के ने उस देश की राजधानी जाने की सोची। लड़के के मन में था कि वह राजा से मिलेगा और देश को कैसे आगे बढ़ा सकते हैं, उसपर बनाई अपनी त्रिकालजयीयोजना को विस्तार से राजा को बताएगा। राजा खुश होगा और लड़के को ढेर सारी अशरफियां ईनाम में देकर तुरंत उसके लिए कार्यालय से लेकर योजना को कार्यान्वयित किए जाने के लिए कर्मचारी भर्ती कर देगा। लड़के ने उस समय के अंतरजाल पर पता किया तो पता चला कि राजा को अपनी बनाई त्रिकालजयी योजना बताने के लिए उसे कुछ खास डिग्रियों की जरूरत है। उन डिग्रियों के बगैर उसकी योजना में राजा तो दूर, उसका दरबान तक रुचि नहीं लेगा। लड़के ने दिन रात मेहनत की, बेईमानी भी की और किसी तरह से अंतरजाल पर बताई गई डिग्रियों में से एक को लेने में कामयाब हो गया। इतना सब करने के बाद लड़का राजधानी पहुंचा और राजधानी से सटे एक गांव में दो बटा दो के एक कमरे में रहने लगा। हमेशा खुले या बड़ी जगहों पर रहने के आदी इस लड़के को वह दो बटा दो का कमरा सोचने से मना करने लगा। अपनी सोच को वह दाएं लेकर जाता तो दो कदम पर दीवार आ जाती, बाएं लेकर जाता तो फिर से दीवार। यह दीवार उसकी सोच को दुनिया से नहीं जुड़ने दे रही थी। यहां तक कि रसोई में भी वह खुलकर अंगड़ाई न ले पाता तो उसकी सोच सरसों के तेल के गरम झाग से कहीं ऐसी जगह जाकर गुम हो जाती, फिर तो उसे अपनी सोच को तलाशने में ही कई दिन लग जाते। लोग कहेंगे कि रसोई में अंगड़ाई लेने का क्या तुक है तो लोगों को समझना होगा कि लड़का गरीब भी हो सकता है और गरीब की आंख खुलती है तो वह सबसे पहले रसोई में बच रहे दाने तलाशती है न कि बगल में रखी बेड टी की चुस्की। कई सालों तक अपनी सोच को दो बटा दो के कमरे की दीवारों में टकराने के बाद जब आखिरकार झन्नाहट निकली तो लड़का भागा। भागते भागते वह राजधानी पहुंच गया। हालांकि वह कमोबेश राजधानी में ही था, पर राजधानी के उन इलाकों में था जो अक्सर अंधेरे में डूबे रहते थे। इस बार लड़के ने सोच रखा था कि न तो अंधेरे में सोचेगा, बल्कि कहीं की दीवारें उसकी सोच को प्रभावित नहीं कर सकेंगी। काफी जिद करने के बाद, कई दिन तक अपने आश्रयदाता की नाक में दम करने के बाद लड़के को उसके आश्रयदाता ने राजधानी में रहने वाली अपनी एक बहन के पास भेजा। वहां लड़के को बहुत बड़ा घर मिला। पिछले घर में तो सोच तो दीवारों से कैद होती ही थी, शौच वगैरह के लिए भी बस दो कदम चलना होता था। मगर इस बार, इस नए घर में सोच के लिए हमेशा दरवाजा खुला रहता था। हालांकि इस बार नित्यक्रिया के लिए लड़के को छाता लेकर निकलना होता था, क्योंकि अगर बरसात होती तो नित्यक्रिया स्थल तक पहुंचते पहुंचते लड़का पानी से तर बतर हो जाता। नए घर में लड़के की सोच को न सिर्फ आसमान मिला, बल्कि एक बड़ा सा आंगन भी मिला जो उसे रोज बगैर सोचे समझे साफ करना पड़ता था। इसी बीच उस देश में बड़ा तूफान आया। पानी नहीं बरसा, आंधी नहीं चली, पेड़ नहीं उखड़े, बस एक बड़ा तूफान आया और पुराने राजा को अपने साथ उड़ा ले गया। नया राजा आया जो न सिर्फ खराब और डरावना दिखता था, बल्कि पड़ोसियों ने लड़के को यह भी बताया कि नया राजा कहीं दक्खिन-पश्चिम में भयानक नरसंहार करके आया है। हालांकि आते वक्त राजा ने मशहूर तोइबातेई मसुनलेई स्नान कर लिया था जिससे उसके शाही वस्त्रों पर से लगे खून के धब्बे तो हट गए थे, पर उसके पास जाने से सड़ी गली लाशों की बदबू आती है। पड़ोसियों ने लड़के को यह भी बताया कि नया राजा रोज दो कटोरा खून पीकर दो कटोरा जहर निकालता है और उस जहर को उसके खास सेवक देश के उत्तरी हिस्सों में तेजी से फैला रहे हैं। नए राजा के बारे में इतनी भयानक बातें सुनकर लड़के को इतना दुख हुआ कि वह आए दिन पेड़ लगाने लगा। पहले उसने अपना आंगन भरा, छत भरी और अपना नया बड़ा कमरा और नई बड़ी रसोई भी भर डाली। इसके बाद तो जहां भी उसे खाली जगह दिखे, टप से एक पेड़ लगा दे। एक दिन राजधानी की एक मशहूर जगह पर वह पेड़ लगा रहा था कि उसे एक लड़की मिली। लड़की ने उसे देखा, फिर अपनी फटी फ्रॉक को देखा, फिर उसे देखा और मुस्कुरा दी। लड़के ने लड़की को देखा, मिट्टी से सने अपने हाथों को देखा और फिर लड़की की मुस्कुराहट को देखा तो लपक कर उसके पास पहुंचा। उसने लड़की को बताया कि जबसे नया राजा आया है, उसका घर में मन नहीं लगता है। उसने अपने पूरे घर में सैकड़ों पौधे लगा डाले, तब भी उसका मन घर में नहीं लगा। अब वह बाहर पौधे लगा रहा है क्योंकि बचपन में जब वह कब्रिस्तान के बगल से अपने बाबू के साथ गुजरता था तो वहां की हरियाली देखकर बाबू से यही पूछता था कि यहां इतनी हरियाली कैसे। बाबू उसे बताते थे कि इंसान का जिस्म सबसे अच्छी खाद होता है। लड़के ने लड़की से यह भी शिकायत की कि बाबू ने उसे यह नहीं बताया कि इंसानी जिस्म पर किस किस तरह के पौधे अच्छी फसल देते हैं। लड़के का इतना कहना था कि अचानक सबकुछ गायब होने लगा। सब तरफ से धुंआ उठने लगा और सबकुछ गोल गोल घूमने लगा। यह एक अजीब तरह का तूफान था। इसमें सबकुछ गोल गोल घूम रहा था पर लड़का, उसका लगाया ताजा पेड़ और वो सारे मेहराब पहले की ही तरह अपनी जगह पर खड़े थे, राजा के भी सारे मेहराब पहले की ही तरह खड़े थे, बल्कि तूफान में और बड़े.... खूब बड़े होते चले जा रहे थे। जब तूफान गया तो लड़के ने अपने हाथ में एक स्मार्टफोन पाया। स्मार्टफोन की घंटी बज रही थी। अन्नोन नंबर था। लड़के ने फोन रिसीव किया। दूसरी तरफ देश का राजा था जो उस देश के स्वतंत्रता दिवस पर बधाई दे रहा था और बोल रहा था कि वह राजा नहीं बल्कि सेवक है। रैंगलर का बैग भी लड़के ने लटका रखा था जिसमें सैमसंग का एक लैपटॉप भी रखा था। लड़के ने लैपटॉप ऑन किया और उसकी नजर फेसबुक पर गई। फेसबुक को देखते ही लड़का उसे पढ़ने लगा। कई सालों तक फेसबुक पढ़ने, स्टेटस अपडेट करने, लोगों की पोस्ट पर लाइक और कमेंट बनाने, तरह तरह की स्माईली बनाने के बाद लड़के ने पाया कि वह तो वहीं है, जहां पर खड़ा था। बल्कि अपने लगाए पेड़ में वह पानी डालना भूल गया था, वो तो गनीमत थी कि उस पेड़ के नीचे इंसानी लाशों का जखीरा था, इसलिए पेड़ ने अपना आकार ले लिया था।
अब लड़का घर वापस आ गया है। वह रोज अपना आंगन, बरतन, कपड़े साफ करता है। लड़का घर में पोंछा भी लगाता है और गमलों में पानी भी देता है। अब वह लड़का नहीं सोचता। कभी कभार फेसबुक पर आकर किसी किसी का स्टेटस या फोटो लाइक कर देता है क्योंकि उसमें सोचने की जरूरत नहीं पड़ती।
अब लड़का घर वापस आ गया है। वह रोज अपना आंगन, बरतन, कपड़े साफ करता है। लड़का घर में पोंछा भी लगाता है और गमलों में पानी भी देता है। अब वह लड़का नहीं सोचता। कभी कभार फेसबुक पर आकर किसी किसी का स्टेटस या फोटो लाइक कर देता है क्योंकि उसमें सोचने की जरूरत नहीं पड़ती।
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