तनी देखो, मर तो नही गवा ?
कुछ दिन पहले फैजाबाद के पास के जंगल मे एक तेंदुआ आया। कुछ जानवरों को तो कुछ बच्चो को खा भी गया। बड़ा हल्ला मचा। यहाँ वहाँ, न जाने कहाँ कहाँ से शिकारी आए, कई दिन तक जंगल की ख़ाक छानते रहे, लेकिन तेंदुआ भी कम नही। शिकारी एक कदम आगे बढायें तो तेंदुआ चार फर्लांग दूर जाकर मुह चिढाये। राम राम करते हुए आखिरकार शिकारियों ने तेंदुए को मार गिराया। जब तेंदुए के मरने की ख़बर फैजाबाद पहुची तो वह से कई लोग उसे देखने के लिए गए। तेंदुए के आस पास देखने वाले लोग बार बार उसे टहोक रहे थे। जैसे कि पता लगाने की कोशिश कर रहे हों कि मर तो गया है या नही? जिन्दा हुआ तो अभी और लोगों को मारेगा। आजकल बी जे पी कि भी हालत खौराये तेंदुए से कुछ ज्यादा अच्छी नही दिखाई दे रही है। यहाँ वहां न जाने कहा कहा से लोग बी जे पी को देखने आ रहे हैं। वही उसके हाथ से बने शिकारों की भी कोई कमी नही है। वैसे बी जे पी के पास शिकारों के शायद ही कभी कोई कमी रही हो। जिस विचारधारा की ये पार्टी है, आजादी के आन्दोलन मे हमेशा लोगों से उल्टे चले, उसके बाद फैजाबाद मे मस्जिद तोड़कर एक बार फ़िर से साबित कर दिया कि उन्हें इस देश के लोगों से कुछ लेना देना नही है। और फ़िर गुजरात मे जो किया, वो तो खैर तेंदुए को भी शर्माने पर मजबूर कर देता है। बी जे पी और उसके समर्थकों ने गुजरात मे मौत का जो तांडव किया, लोगों को मारा, उनकी बददुआयें कभी तो नजर आनी थी। बददुआओं ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है। बी जे पी का विनाश सुनिश्चित हो चुका है। मदनलाल खुराना हों या उमा भरती। जसवंत सिंह हों या अरुण शौरी। एक के बाद एक नेता अब बी जे पी की खिलाफत मे उतरने लगे हैं। मजे की बात तो ये कि सबसे बड़ा शिकारी भी दिल्ली मे ये देखने के लिए पहुच गया कि मर तो नही गई बी जे पी? और अंत मे उन्हें कहना ही पड़ा कि भाई , खून का रिसाव तो हो रहा है....उसे बंद करने की जरूरत है। लेकिन एक बात तो तय है, बी जे पी अब दोबारा कभी भी सत्ता मे नही आने वाली। अगले लोक सभा चुनाव मे वह प्रमुख विपक्षी दल भी बनकर रह जाए तो भी गनीमत ही समझिये।
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