Thursday, August 6, 2009

कार्ड खरोचन मशीन

दफ्तर से वापस लौटकर कही बाहर जाने का मन नही होता है। और अगर थोड़ा सा भी पसर लिए, तब तो अल्लाह ही मालिक है। फ़िर तो चाहे कोई भी आवाज देता रहे, मैं और मेरी तन्हाई पीछा छोड़ने का नाम ही नही लेते। और अगर ऐसे मे अगर मजबूरन कुछ लाने बाहर निकलना हो और जेब मे पैसे न हों तो.... पहले अम्मा याद आती थीं, अब टी एम् या वो कार्ड खरोचने वाली मशीन याद आती है। कुछ ख्याली पुलाव भी मन मे घपर झोल करने लगे। सोचा की काश ऐसा होता की जो समान मांगना है, उसका फोन पर ही ऑर्डर हो जाता और फोन करने पर जो डिलीवरी बॉय आता , वो वही कार्ड खरोचने वाली मशीन भी साथ लाता। अब जब कैश लेस बनने का संकल्प किया ही है तो ससुर सब्जी और बंधानी हींग भी घर पे ही कैश लेस मिले। लेकिन फ़िर सोचे साला ऐसा अगर हो गया तो ससुर पूरे देस की हालत ही पतली हो जायेगी। ब्लैक मनी कहा जायेगी?.......
ब्लैक मनी कहा गई, आगे जानने के लिए चट्काइये..... डेली डायरी

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