मुझे भाग जाना था उस दिन...
उस दिन
अगर मैं भाग जाता
तो शायद बच जाता
या फिर
अपने पीछे छूटे लालच
को
अपने आगे खडे लालच
से
टकराने देता
तो भी बच जाता।
भागने की कसक
बाकी है अभी भी
और शायद इसीलिए
भूत से भाग रहा हूं,
भविष्य से भाग रहा
हूं
वर्तमान में हूं।
वर्तमान भी स्थिर
नहीं
भागना जारी है
मुसलसल
हर किसी से
हर चीज से
क्योंकि भागते
भागते
पता चला है कि
भगोडे ही सबसे तेज
भागते हैं
सबसे आगे जाते हैं।
जबसे पता चला भगोडों
के बारे में
भागने की अदम्य इच्छा
के बावजूद
मेरे कदम उठने का
नाम ही नहीं ले रहे
जैसे स्थिर है
वर्तमान,
वैसे ही जड हो चुके
हैं कदम।
अब मैं
पीछे देख सकता हूं
आगे भी देख सकता हूं
पर खुद को खो चुका
हूं क्योंकि
खुद को देख ही नहीं
पा रहा हूं मैं।
1 comment:
दिलचस्प !
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