रंग दे बसंती
मुंबई कांड से मुझे फ़िल्म रंग दे बसंती याद आ रही है। दिखने मे तो वो एकदम नौजवान ही तो थे। एक की तो फोटो, जो अखबार मे छापी है, उससे तो वो एकदम आमिर खान की तरह लग रहा है। बताते हैं की योजना किसी और की थी, और इसे कार्यान्वित दाउद किया था। दाउद पहले ही अलकायदा से मिल चुका है और उसके साथ काम भी कर चुका है। और समुद्र से मुंबई मे घुसने की इन लड़कों की जो स्टाइल थी, वो पूरी तरह से मुम्बैया दाउद स्टाइल ही थी। बड़े आराम से इनलोगों ने मोटर बोट पकड़ी, ज्यादा पैसे नही चाहिए थे क्योंकि सब कुछ का पहले से ही इंतजाम था। और होटल ताज मे , ऐसी स्थिति मे हथियार अन्दर पहुचाना कोई मुश्किल भी नही था। लेकिन फ़िर से इन लड़कों की रंग दे बसंती स्टाइल मे ये सब करना मुझे हजम नही हो रहा है। दरअसल कसूर इन लड़कों का नही है, कसूर तो उन लोगों का है जिन्होंने इन लड़कों को इस तरह से भड़काया की ये लोग अपनी मौत के लिए भी तैयार हो गए। इन्हे पता था की ये नही बचेंगे। लादेन ऐसे ही लड़कों को तैयार करता है। अगर ये लड़के पकिस्तान के भी थे, तो पढ़े लिखे सभ्य घर के लगने वाले .... अब तो ये बात पकिस्तान को भी समझ लेनी चाहिए की उसकी कौन सी नस्ल अब आतंकवाद का शिकार हो रही है। ये खतरे की घंटी है, सचमुच। मेरे तो रोंगटे ही खड़े हो जाते हैं ये सोच कर के दक्षिण एशिया के एक हिस्से मे कौन सी नस्ल बन्दूक की लडाई मे हिस्सा ले रही है। नोट करें, लादेन और उसके कई साथियों ने मिलकर इस्लामिक आतंकवाद के नाम पर ऐसे ही लड़कों की एक बड़ी फौज तैयार की है, और जो सबसे चिंता की बात है की उसमे पढ़े लिखे लोगों की संख्या काफ़ी ज्यादा है। ये मुगालते मे ना रहें के बन्दूक से निकला जहर हमारे देश मे नुक्सान नही करेगा , बिल्कुल करेगा और यहाँ भी नई उम्र के लड़के अपराध और बन्दूक की लडाई मे ही हिस्सा ले रहे हैं। यानि की नुक्सान होना शुरू हो गया है, मेरे ख्याल से मुंबई तो एक टेलर है, अभी तो इन लोगों से कायदे से जंग की शुरुआत की है। अमिताभ ने अच्छा किया जो तकिये के नीचे रिवाल्वेर रख कर सोये ।
जिसे हम आतंकवाद का नाम देते हैं, उसे ये लोग जंग का नाम देते हैं. चाहे इस्लामिक आतंकवाद हो या फ़िर हिंदू आतंकवाद.... नही, इसे हिंदू आतंकवाद न कह कर मेरे ख्याल से हिंदुत्व आतंकवाद कहना चाहिए। क्योंकि जो लोग जिन तरीकों से मुसलमान लड़कों को बरगलाते हैं, वैसे ही हिंदुत्व के आतंकवादी हिंदू होने के नाम पर फिदायीन दस्ते तैयार कर रहे हैं। कुल मिलकर जंग शुरू हो गई है, अमिताभी ने भी इशारा कर दिया है। अपनी सुरक्षा अपने हाथ। क्योंकि अब आप भी , भले ही उस दस्ते से सम्बन्ध नही रखते, तो भी , मारे जा सकते हैं। देखतें हैं की सी बार गाजिआबाद मे कितने नए हथियारों का रजिस्ट्रेशन होता है....
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