पाश का युध :- कुछ प्रभाव
ये ग़लत है की पाश को सभी जानते हैं लेकिन ये भी सही है की पाश को जो जानता है उसके नज़दीक बल्कि बहुत नज़दीक , पाश पाए जाते हैं , इनके पास बहुत से रंग हैं , तक़रीबन हैर तरह के जिनमे बाल्टी मे छोए दूध की महक आती है , गन्ने के खेतों मे सर सराहत का भी ज़िक्र होता है , विदाई भी है और मिलन भी , एक अजीब तरह का रोमांतिक अहसास का ही दूसरा नाम पाश है
1.
झूठ बोलते हैं
ये जहाज़ , बच्चों !
इनका सच न मानना
तुम खेलते रहो
घर बनाने का खेल ...
2.
ठंडा चाँद देख रहा बितर बितर
कोहरे मे उतर रही हवाई पटरी
दोरियों मे फँसी हुई लाश
आओ देखो
उन्होने क़ीमत डाली है
आओ देखो-
उनके काम आई है
ग़रीब की जवानी ....
3.
रेडिओ से कहो
कसम खाकर तो कहे
धरती अगर माँ होती है तो किसकी ?
यह पाकिस्तनियूँ की क्या हुई ?
और भारत वालों की क्या लगी ?
4.
चोरो, ओ चोरो
अपनी लूट बाँटने के लिए
कही बाहर जाकर लडो
जाग ना उठें कही घरवाले
सुना है
बुरी होती है भीड़ की पिटाई ....
5.
वे रेडिओ नही सुनते
अख़बार नही पड़ते
जहाज़ खेतों मे ही दे जाते हैं ख़बर सार
हल को पकड़कर
वे केवल हँस देते हैं
क्योकि वे समझते हैं
की हल की फ़ाल पगली नहीं
पगली तो तोप होती है
हम अंधेरे कोणो मे
गुम सूम बैठे सोच रहे हैं
और पल भर मे चाँद उगेगा
भूरभूरा सा
लूटा लूटा सा
तो बच्चों को कैसे बताएँगे
इस तरह का चाँद होता है ?
3 comments:
lage raho munna bhai
complete poetry of Paash in Hindi, Punjabi and English is available on my blog on Paash at http://paash.wordpress.com
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