Friday, March 23, 2018

जितना सोच सकते हैं, उससे अरबों गुना बड़ा है डाटा ब्रीच

डाटा क्या है और कहां से आ रहा है? 
इंटरनेट के आने के बाद से इंटरनेट पर दुनिया भर ने जो कुछ भी किया है और जो कुछ नहीं किया है, वह सब डाटा है। आज दुनिया भर की 7 अरब 63 करोड़ के आसपास की आबादी में  4 अरब 15 करोड़ से कुछ ज्यादा इंटरनेट यूजर्स हैं। जरूरी नहीं कि सभी वेबसाइट ही खोलते हों। इंटरनेट यूज करने के भी अलग-अलग तरीके होते हैं, जैसे- चैट, वीडियो चैट या ऑडियो कॉल वगैरह। सरसरी तौर पर हम मान सकते हैं कि डाटा प्रोडक्शन यही कर रहे हैं। लेकिन अगर इंटरनेट से जुड़ी मशीनों की संख्या देखी जाए, तो मामला थोड़ा अलग दिखता है। हर मशीन का आईपी एड्रेस होता है। दुनिया में दो तरह के आई पी एड्रेस होते हैं- IPv4 & IPv6। पहले वाले में सात साल पहले तक 4,294,967,296 आईपी एड्रेस रजिस्टर हो चुके थे और दूसरे वाले में- 340,282,366,920,938,463,463,374,607,431,768,211,456 । इन एड्रेस पर जिस किसी भी तरह की हरकत हुई है- वह डाटा है और यह उन्हीं मशीनों से आया है और आता जा रहा है।

फेसबुक डाटा ब्रीच क्या है? 
फेसबुक जैसी साइट्स भी इन्हीं आईपी एड्रेस से मिलने वाली हर तरह की जानकारी खुद रखती हैं। फेसबुक के टर्म एंड कंडीशंस में लिखा है कि हम उसकी साइट पर जो कुछ भी कर रहे हैं, उसका अधिकारी फेसबुक है- भले ही वह किसी भी आईपी एड्रेस से हो। पहला डाटा ब्रीच यहीं पर है। इंटरनेट पर प्राइवेसी की वकालत करने वालों का मानना है कि जो चीजें व्यक्तिगत हैं, उनका डाटा कलेक्शन न किया जाए। खुद फेसबुक भी न करे। लेकिन ऐसा हो नहीं सकता। इसलिए फेसबुक हमारे डाटा से अपनी खेती करता रहा है और करता रहेगा। फेसबुक से जुड़ा डाटा कोई भी कलेक्ट कर सकता है। इसके लिए फेसबुक ने एपीआई- एप्लीकेशन प्रोग्राम इंटरफेस दिया हुआ है। इसकी पहचान बड़ी आसान है। किसी भी वेबसाइट या एप्प पर फेसबुक का जो नीला निशान दिखता है- ये वही है। दुनिया में हर तरह की कंपनियां और राजनीतिक पार्टियां इस तरह का डाटा ब्रीच करती रही हैं और कर रही हैं। हाल ही में ब्रिटेन की कंपनी कैंब्रिज एनालिटिका ने भी इसी तरह का एक मास ब्रीच करके लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं और संस्थाओं को गहरी चोट पहुंचाई है, इसलिए यह डाटा ब्रीच चर्चा में आया है, लेकिन यह लगातार होने वाली प्रक्रिया है।

डाटा को थोड़ा और समझाइए। इसके स्वरूप के बारे में बताइए। 
सरसरी तौर पर देखें तो टेक्स्ट, ऑडियो, वीडियो और फोटो के सभी तरह के सभी तरह के स्वरूप डाटा हैं। सोशल मीडिया ने इनमें इमोशन यानी भावनाएं जोड़ी हैं। इमोजी का प्रयोग इंटरनेट पर लंबे समय से होता आ रहा है। यह इमोजी हमारी भावनाएं हैं। सोशल मीडिया से जुड़ी हर कंपनी हमसे हमारी भावनाएं किसी न किसी माध्यम से लेती आ रही है। जैसे फेसबुक कई तरह से हमारी भावनाएं रिकॉर्ड करता है, भले हम बोलें या न बोलें। हमारी रिकॉर्डिंग का आलम यह है कि हम भले ही किसी की पोस्ट लाइक न करें, अगर वहां रुकते हैं और अगर वहां नहीं रुकते हैं- यह भी रिकॉर्ड होता है और इसी आधार पर फेसबुक हमें भविष्य में पोस्ट दिखाता है। यही चीजें सोशल मीडिया से जुड़ी दूसरी सुविधाओं- ट्विटर, गूगल प्लस, यूट्यूब, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप्प आदि सभी पर रिकॉर्ड होती रहती हैं, जिनसे यह कंपनियां अपने भविष्य की योजनाएं तो बनाती ही हैं, इनका लगभग सारा धंधा इसी डाटा पर टिका होता है।

यानी डाटा ब्रीच बहुत ही बड़ा है? 
हां। लगभग सभी कंपनियां डाटा ब्रीच करती हैं। सोशल मीडिया सर्विस देने वाली कंपनियां तो डाटा ब्रीच करती ही हैं, ऑनलाइन बाजार चलाने वाली कंपनियां, गूगल, दुनिया की सारी मीडिया कंपनियां यह डाटा ब्रीच करती हैं। हमारी भावनाएं उनके लिए महज एक डाटा है जिसका हिसाब लगाकर यह हमसे खेलती हैं। भले वह सोशल मीडिया पर हमारी राय प्रभावित करके हमारी दुनिया को डिस्टर्ब करने का काम हो या फिर घड़ी बेचने का या फिर खबरें बेचने का। सब का सब पूरी तरह से हमारी उन्हीं हरकतों पर निर्भर है, जो हम इंटरनेट पर करते हैं।  अभी हाल ही में ट्विटर ऑडिट रिपोर्ट की ओर से जो आंकड़े जारी किए गए थे, वह भी एक तरह का डाटा ब्रीच ही था। इससे पहले लिंक्डइन वेबसाइट के जरिए भारत के विभिन्न बैंकों के डेबिट कार्ड हैक हो चुके हैं- यह भी डाटा ब्रीच का ही एक उदाहरण है। लेकिन डाटा ब्रीच लगातार चलने वाली प्रक्रिया है। अचानक सामने आने वाले कुछ लाख या कुछ करोड़ नंबर इसका एक छोटा सा उदाहरण हैं। अगर दुनिया भर के डाटा ब्रीच को एक साथ गिना जाए तो दुनिया में जितने आईपी एड्रेस हैं, यानी जितनी मशीनें हैं, वह इंटरनेट से कनेक्ट होते ही डाटा ब्रीच का शिकार होने लगती हैं।

अभी यह जारी है। अगले एपीसोड में फेसबुक डाटा ब्रीच का इतिहास, दुनिया में डाटा ब्रीच का संक्षिप्त इतिहास और कहां कैसे यूज होता है हमारा डाटा। 



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