गुजरात फाइल्स: 'मोदी ने ही की थी दंगाइयों की पूरी मदद'
अशोक नरायन गुजरात के गृह सचिव रहे हैं। 2002 के दंगों के दौरान सूबे के गृह सचिव वही थे। नरायन रिटायर होने के बाद अब गांधीनगर में रहते हैं। वह एक आध्यात्मिक व्यक्ति हैं। साहित्य और धर्मशास्त्र पर उनकी अच्छी पकड़ है। एक कवि होने के साथ ऊर्दू की शेरो-शायरी में भी रुचि रखते हैं। उन्होंने दो किताबें भी लिखी हैं। राना अयूब की अशोक नरायन से दिसंबर 2010 में मुलाकात हुई। इसके साथ ही उन्होंने गुजरात के पूर्व आईबी चीफ जीसी रैगर से भी मुलाकात की थी। पेश है दो विभागों के सबसे बड़े अफसरों से बातचीत के कुछ अंशः
गुजरात फाइल्स पार्ट-3
अशोक नरायन, पूर्व गृहसचिव, गुजरात
प्रश्नः मुख्यमंत्री को इतना हमले का निशाना क्यों बनाया गया? ऐसा इसलिए तो नहीं हुआ क्योंकि वो बीजेपी से जुड़े हुए थे?
उत्तरः नहीं, क्योंकि दंगों के दौरान उन्होंने वीएचपी (विश्व हिंदू परिषद) को सहयोग दिया था। उन्होंने ऐसा हिंदू वोट हासिल करने के लिए किया था। जैसा हुआ भी। जो वो चाहते थे वैसा उन्होंने किया और वही हुआ भी।
प्रश्नः क्या उनकी भूमिका पक्षपातपूर्ण नहीं थी? (गोधरा कांड के संदर्भ में)
उत्तरः वो गोधरा की घटना के लिए माफी मांग सकते थे। वो दंगों के लिए माफी मांग सकते थे।
प्रश्नः मुझे बताया गया कि मोदी ने एक पक्षपातपूर्ण भूमिका निभाई थी उन्होंने उकसाने का काम किया था। जैसे कि गोधरा से लाशों को अहमदाबाद लाना। और इसी तरह के कुछ दूसरे फैसले।
उत्तरःमैंने एक बयान दिया था जिसमें मैंने कहा था कि वही एक शख्स हैं जिन्होंने गोधरा ट्रेन कांड की लाशों को अहमदाबाद लाने का फैसला लिया था।
प्रश्नः इसका मतलब है, फिर सरकार आप के खिलाफ हो गई होगी?
उत्तरः देखिए, शवों को अहमदाबाद लाना आग में घी का काम किया। लेकिन वही शख्स हैं जिन्होंने ये फैसला लिया।
प्रश्नः राहुल शर्मा का क्या मामला है?
उत्तरः वो विद्रोहियों में से एक हैं।
प्रश्नः क्या मतलब?
उत्तरः उन्होंने किसी की सहायता नहीं की। वो केवल दंगों को नियंत्रित करना चाहते थे।
प्रश्नः क्या उन्हें भी किनारे लगा दिया गया?
उत्तरः उनका तबादला कर दिया गया। तबादले के खिलाफ डीजीपी के विरोध, चक्रवर्ती के विरोध और इन दोनों की राय से मेरी सहमति के बावजूद ऐसा किया गया।
प्रश्नः सिर्फ इसलिए क्योंकि वो मुख्यमंत्री के खिलाफ गए थे?
उत्तरः निश्चित तौर पर।
प्रश्नः एनकाउंटरों के बारे में आप का क्या कहना है?
उत्तरः एनकाउंटर धार्मिक आधार पर कम राजनीतिक ज्यादा होते हैं। अब सोहराबुद्दीन मामले को लीजिए। वो नेताओं के इशारे पर मारा गया था। उसके चलते अमित शाह जेल में हैं।
जी सी रैगर, पूर्व इंटेलिजेंस हेड, गुजरात
प्रश्नः यहां एनकाउंटरों का क्या मामला है? उस समय आप कहां थे?
उत्तरः मैं कई लोगों में से एक था। एक अपराधी (सोहराबुद्दीन) एक फर्जी एनकाउंटर में मार दिया गया। इसमें सबसे मूर्खतापूर्ण बात ये रही कि उन्होंने उसकी पत्नी को भी मार दिया।
प्रश्नः इसमें कोई मंत्री भी शामिल था?
उत्तरः गृहमंत्री अमित शाह।
प्रश्नः उनके मातहत काम करना बड़ा मुश्किल भरा रहा होगा?
उत्तरः हम उनसे सहमत नहीं थे। हम उनके आदेशों का पालन करने से इनकार कर देते थे। यही वजह है कि एनकाउंटर मामलों में गिरफ्तारी से हम बच गए।
रैगर मोदी के बारे में..
......यह शख्स (सीएम) बहुत चालाक है। वो हर चीज जानता है। लेकिन एक निश्चित दूरी बनाए रखता है। इसलिए वह इसमें (सोहराबुद्दीन मामले में) नहीं पकड़ा गया।
प्रश्नः मोदी जी से पहले एक मुख्यमंत्री थे केशुभाई पटेल। वो कैसे थे?
उत्तरः मोदी जी की तुलना में वो संत थे। मेरा मतलब है कि केशुभाई जानबूझ कर किसी को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहेंगे। उसका जो भी धर्म हो। कोई मुस्लिम है इसलिए उसे परेशान किया जाएगा। ऐसा नहीं था।
प्रश्नः वास्तव में मैं पीसी पांडे से भी मिली।
उत्तरः ओह, वो पुलिस कमिश्नर थे।
प्रश्नः अच्छा, तो आप दोनों दंगे के दौरान एक साथ काम कर रहे थे?
उत्तरः हां, हमें करना पड़ा। मैं आईबी चीफ था।
प्रश्नः दूसरे जिन ज्यादातर अफसरों से मैं मिली उनका कहना था कि पांडे पर सीएम बहुत भरोसा करते हैं। और दंगों के दौरान अपने सारे काम उन्हीं के जरिये कराये थे?
उत्तरः अब, आपको दंगों के बारे में हर चीज पता ही है। (हंसते हुए)
साभारः गुजरात फाइल्स, अनुवाद- महेंद्र मिश्र
गुजरात फाइल्स पार्ट-3
अशोक नरायन, पूर्व गृहसचिव, गुजरात
प्रश्नः मुख्यमंत्री को इतना हमले का निशाना क्यों बनाया गया? ऐसा इसलिए तो नहीं हुआ क्योंकि वो बीजेपी से जुड़े हुए थे?
उत्तरः नहीं, क्योंकि दंगों के दौरान उन्होंने वीएचपी (विश्व हिंदू परिषद) को सहयोग दिया था। उन्होंने ऐसा हिंदू वोट हासिल करने के लिए किया था। जैसा हुआ भी। जो वो चाहते थे वैसा उन्होंने किया और वही हुआ भी।
प्रश्नः क्या उनकी भूमिका पक्षपातपूर्ण नहीं थी? (गोधरा कांड के संदर्भ में)
उत्तरः वो गोधरा की घटना के लिए माफी मांग सकते थे। वो दंगों के लिए माफी मांग सकते थे।
प्रश्नः मुझे बताया गया कि मोदी ने एक पक्षपातपूर्ण भूमिका निभाई थी उन्होंने उकसाने का काम किया था। जैसे कि गोधरा से लाशों को अहमदाबाद लाना। और इसी तरह के कुछ दूसरे फैसले।
उत्तरःमैंने एक बयान दिया था जिसमें मैंने कहा था कि वही एक शख्स हैं जिन्होंने गोधरा ट्रेन कांड की लाशों को अहमदाबाद लाने का फैसला लिया था।
प्रश्नः इसका मतलब है, फिर सरकार आप के खिलाफ हो गई होगी?
उत्तरः देखिए, शवों को अहमदाबाद लाना आग में घी का काम किया। लेकिन वही शख्स हैं जिन्होंने ये फैसला लिया।
प्रश्नः राहुल शर्मा का क्या मामला है?
उत्तरः वो विद्रोहियों में से एक हैं।
प्रश्नः क्या मतलब?
उत्तरः उन्होंने किसी की सहायता नहीं की। वो केवल दंगों को नियंत्रित करना चाहते थे।
प्रश्नः क्या उन्हें भी किनारे लगा दिया गया?
उत्तरः उनका तबादला कर दिया गया। तबादले के खिलाफ डीजीपी के विरोध, चक्रवर्ती के विरोध और इन दोनों की राय से मेरी सहमति के बावजूद ऐसा किया गया।
प्रश्नः सिर्फ इसलिए क्योंकि वो मुख्यमंत्री के खिलाफ गए थे?
उत्तरः निश्चित तौर पर।
प्रश्नः एनकाउंटरों के बारे में आप का क्या कहना है?
उत्तरः एनकाउंटर धार्मिक आधार पर कम राजनीतिक ज्यादा होते हैं। अब सोहराबुद्दीन मामले को लीजिए। वो नेताओं के इशारे पर मारा गया था। उसके चलते अमित शाह जेल में हैं।
जी सी रैगर, पूर्व इंटेलिजेंस हेड, गुजरात
प्रश्नः यहां एनकाउंटरों का क्या मामला है? उस समय आप कहां थे?
उत्तरः मैं कई लोगों में से एक था। एक अपराधी (सोहराबुद्दीन) एक फर्जी एनकाउंटर में मार दिया गया। इसमें सबसे मूर्खतापूर्ण बात ये रही कि उन्होंने उसकी पत्नी को भी मार दिया।
प्रश्नः इसमें कोई मंत्री भी शामिल था?
उत्तरः गृहमंत्री अमित शाह।
प्रश्नः उनके मातहत काम करना बड़ा मुश्किल भरा रहा होगा?
उत्तरः हम उनसे सहमत नहीं थे। हम उनके आदेशों का पालन करने से इनकार कर देते थे। यही वजह है कि एनकाउंटर मामलों में गिरफ्तारी से हम बच गए।
रैगर मोदी के बारे में..
......यह शख्स (सीएम) बहुत चालाक है। वो हर चीज जानता है। लेकिन एक निश्चित दूरी बनाए रखता है। इसलिए वह इसमें (सोहराबुद्दीन मामले में) नहीं पकड़ा गया।
प्रश्नः मोदी जी से पहले एक मुख्यमंत्री थे केशुभाई पटेल। वो कैसे थे?
उत्तरः मोदी जी की तुलना में वो संत थे। मेरा मतलब है कि केशुभाई जानबूझ कर किसी को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहेंगे। उसका जो भी धर्म हो। कोई मुस्लिम है इसलिए उसे परेशान किया जाएगा। ऐसा नहीं था।
प्रश्नः वास्तव में मैं पीसी पांडे से भी मिली।
उत्तरः ओह, वो पुलिस कमिश्नर थे।
प्रश्नः अच्छा, तो आप दोनों दंगे के दौरान एक साथ काम कर रहे थे?
उत्तरः हां, हमें करना पड़ा। मैं आईबी चीफ था।
प्रश्नः दूसरे जिन ज्यादातर अफसरों से मैं मिली उनका कहना था कि पांडे पर सीएम बहुत भरोसा करते हैं। और दंगों के दौरान अपने सारे काम उन्हीं के जरिये कराये थे?
उत्तरः अब, आपको दंगों के बारे में हर चीज पता ही है। (हंसते हुए)
साभारः गुजरात फाइल्स, अनुवाद- महेंद्र मिश्र
No comments:
Post a Comment