मुठ्ठी भर रेत
मुठ्ठी भर रेत
मुठ्ठी मे उठाई
देखा
तो रेत नज़र भी आई
मिलाया उसमे थोड़ा सीमेंट
और
एक नींव बनाई
फिर पता चला
कि अभी तो और है ज़रूरत
कई सारी मुठ्ठीयों की
और फिर से
मुठ्ठी भर रेत
मुठ्ठी मे उठाई
मुठ्ठी भर रेत
मुठ्ठी मे उठाई
देखा
तो रेत नज़र भी आई
मिलाया उसमे थोड़ा सीमेंट
और
एक नींव बनाई
फिर पता चला
कि अभी तो और है ज़रूरत
कई सारी मुठ्ठीयों की
और फिर से
मुठ्ठी भर रेत
मुठ्ठी मे उठाई
दुकानें पद्य के कोने at 4:23 AM
अशोक नरायन गुजरात के गृह सचिव रहे हैं। 2002 के दंगों के दौरान सूबे के गृह सचिव वही थे। नरायन रिटायर होने के बाद अब गांधीनगर में रहते हैं।...
4 comments:
वाह, बड़ी गहराई है रचना में. बधाई.
फिर अभी नींव बनी कि नहीं... हा हा
नींव बन जाएगी महाराज !! बस सब लोग ऐसे ही एक एक मुठ्ठी रेत दे दें और सीमेंट का कोटे से जुगाड़ करवा दें
well written
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