ईवीएम के जरिए लोकतंत्र पर डाका
क्या ईवीएम को लेकर भारत का चुनाव आयोग हम सभी से कोई बड़ा झूठ बोल रहा है? क्या ईवीएम को लेकर चुनाव आयोग हम सभी से अभी तक कोई ऐसी बात छुपाता आया है, जिससे कि हमारे लोकतंत्र को कहीं न कहीं कोई बड़ा धक्का लग रहा है? ईवीएम को लेकर देश भर के लोगों के दिमाग में ढेरों सवाल चल रहे हैं, लेकिन अब ईवीएम को लेकर पूर्व आईएएस अधिकारी कन्नन गोपीनाथन ने बड़ा खुलासा किया है। आपको बता दें कि पूर्व आईएएस कन्नन गोपीनाथन ने ईवीएम पर इतना बड़ा खुलासा तकरीबन साल भर से अधिक के इंतजार के बाद किया है। बल्कि उनकी मानें तो जब वे सर्विस में थे, तभी से उनका इलेक्शन कमीशन के साथ इस मसले पर पत्राचार चल रहा है। चुनाव आयोग को उनके सवालों का जवाब देते नहीं बन रहा है। अब इधर उधर की बात बंद और सीधे ईवीएम पर हुए महाखुलासे की ओर चलते हैं। आपको बता दें कि जब मोदी सरकार ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया था तो इसके विरोध में आईएएस अधिकारी रहे कन्नन गोपीनाथन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। पूर्व आईएएस अधिकारी कन्नन गोपीनाथन ने कहा है कि चुनाव आयोग बार-बार दावा करता है कि वीवीपैट यानी वो मशीन, जिससे कि वोट देने के बाद पर्ची निकलती है और ईवीएम के साथ किसी एक्सटर्नल डिवाइस यानी बाहरी मशीन को नहीं जोड़ा नहीं जाता। लेकिन ईवीएम और वीवीपैट बनाने वाली कंपनी बीइएल यानी भारत इलेक्ट्रिकल लिमिटेड के मैनुअल से यह शीशे की तरह साफ होता है कि वीवीपैट को ऑन करने के लिए किसी बाहरी लैपटॉप या कंप्यूटर की ज़रूरत होती है। कन्नन पूछते हैं कि अगर वीवीपैट स्टैंडअलोन डिवाइस है तो उसकी कमीशनिंग के लिए लैपटॉप या कंप्यूटर की ज़रूरत क्यों पड़ती है? कन्नन गोपीनाथन के इन सवालों से चुनाव आयोग का यह दावा संदेह के दायरे में आ गया है कि ईवीएम एक स्डैंडअलोन मशीन है, जिसे किसी बाहरी मशीन से नहीं जोड़ा जाता। ईवीएम के साथ वीवीपैट जोड़ने के पीछे 2012 में आया सुप्रीम कोर्ट का वह फैसला है, जिसमें उसने कहा था कि लोगों के विश्वास के लिए ईवीएम के साथ वीवीपैट जोड़ा जाना चाहिए। उसके बाद से देश भर में होने वाले चुनावों में ईवीएम से वीवीपैट जोड़ने की कवायद चल रही है
आपको बता दें कि ईवीएम के बारे में चुनाव आयोग ने अपनी वेबसाइट पर साफ साफ लिखा है कि ईवीएम एक स्टैंड अलोन डिवाइस है, यानी कि इसे चलाने के लिए किसी दूसरी डिवाइस की जरूरत नहीं पड़ती। इसके अलावा इसे किसी भी नेटवर्क से रिमोट से भी कनेक्ट नहीं किया जा सकता है। चुनाव आयोग यह भी कहता है कि ईवीएम को चलाने के लिए किसी ऑपरेटिंग सिस्टम की भी जरूरत नहीं होती। इसलिए चुनाव आयोग यह दावा करता है कि ईवीएम से किसी भी तरह की छेड़छाड़ मुमकिन नहीं है। लेकिन कन्नन गोपीनाथन ने ईवीएम को लेकर जो सवाल खड़े किए हैं, वे चुनाव आयोग के इन दावों को धुंए की तरह उड़ा रहे हैं। पूर्व आईएएस कन्नन गोपीनाथन का कहना है कि चुनाव आयोग बार-बार दावा करता है कि वीवीपैट और ईवीएम के साथ किसी एक्सटर्नल डिवाइस यानी बाहरी मशीन को जोड़ा नहीं जाता, लेकिन ईवीएम और वीवीपैट बनाने वाली कंपनी बीइएलके यानी भारत इलेक्ट्रिकल लिमिटेड के मैनुअल में बिलकुल साफ साफ लिखा है कि वीवीपैट को शुरू करने के लिए बाहरी लैपटॉप या कंप्यूटर की ज़रूरत होती है। स्क्रीन पर आप जो कटिंग देख रहे हैं, वह खुद चुनाव आयोग के मैन्यूअल की है और जिसमें खुद आयोग डेस्कटॉप या लैपटॉप से कनेक्ट करने की बात करता है। कन्नन गोपीनाथन का कहना है कि इस हिसाब से तो फिर ज्यों ही ईवीएम से जुड़ी वीवीपैट मशीन लैपटॉप या कंप्यूटर से जुड़ती है, वैसे ही चुनाव आयोग का मशीन के स्टैंड अलोन के दावे में कहीं न कहीं एक सेंध जरूर लग जाती है। शनिवार को हुई कन्नन गोपीनाथन से हुई हमारी बातचीत में उन्होंने बार बार कहा कि इसका मतलब यह बिलकुल न समझें कि हम चुनाव पर सवाल खड़ा कर रहे हैं। इसका मतलब यह है कि हमें दिख रहा है कि कहीं न कहीं एक दरवाजा खुला हुआ है और हम सिर्फ ये कह रहे हैं कि चुनाव आयोग कम से कम एक बार इसे चेक तो कर ले, हम सबको बता तो दे कि दरवाजा खुला है या बंद, या फिर अगर खुला था तो उसे बंद कर दिया गया है।
वैसे बात सिर्फ मशीन को शुरू करने की होती, तो भी गनीमत थी। पूर्व आईएएस अधिकारी ने इसके लिए उपयोग में लाए जाने वाले एक एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर की भी पोल खोली है, जिसके बारे में चुनाव आयोग का दावा है कि ईवीएम को चलाने के लिए किसी ऑपरेटिंग सिस्टम की जरूरत नहीं होती। गोपीनाथन ने बताया है कि एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर के ज़रिए ईवीएम और वीवीपैट पर उम्मीदवारों के नाम और उनके चुनाव चिह्नों को लोड करने के लिए लैपटॉप का इस्तेमाल किया जाता है। और लैपटॉप या डेस्कटॉप बिना किसी ऑपरेटिंग सिस्टम के काम नहीं करता है। यानि ईवीएम से किसी न किसी हालत में एक ऑपरेटिंग सिस्टम कनेक्ट किया जा रहा है, क्योंकि उसके बगैर ईवीएम चलेगी ही नहीं। कन्नन ने ईवीएम-वीवीपैट मशीनों की मैन्युफैक्चरिंग और खरीद को लेकर भी सवाल उठाए हैं। कन्नन का कहना है कि चुनाव आयोग दावा करता है कि ये मशीनें बीइएल/इसीआईएल द्वारा बनाई जाती हैं, लेकिन उनका दावा है कि बीईएल की ई-प्रोक्योरमेंट साइट पर मशीन की पीसीबी समेत कई कंपोनेंट के लिए टेंडर मंगाए गए हैं। कन्नन ने सवाल उठाया है कि अगर उपकरणों का निर्माण बीइएल/इसीआईएल द्वारा किया जाता है, तो पीसीबी के लिए टेंडर क्यों आमंत्रित किए गए? और अगर टेंडर जारी ही किए गए तो वह टेंडर किन कंपनियों को दिए गए, या किसी सरकारी कंपनी को दिए गए या प्राइवेट, इसकी जानकारी नहीं दी गई है। कन्नन जी ने इन सभी सवालों पर चुनाव आयोग से जवाब मांगे हैं। गोपीनाथन ने निर्वाचन आयोग के प्रवक्ता को ट्विटर पर टैग करते हुए लिखा है कि अगर मैं गलत हूं तो मुझे जवाब देने और गलत साबित करने की ज़िम्मेदारी आपकी है, ताकि मैं भ्रामक जानकारी न फैला सकूं और अगर मेरी बात में सच्चाई है, तो इसे संज्ञान में लेकर सुधार करना भी आपकी जिम्मेदारी है। कन्नन का कहना है कि चुनाव आयोग की ओर से उन्हें कोई जवाब नहीं मिला है।
जबकि इस मामले में और भी कई लोगों ने आरटीआई लगा रखी है, चुनाव आयोग उनको भी जवाब नहीं दे रहा है। वहीं सुप्रीम कोर्ट में इलेक्शन कमीशन ने जो एफिडेविट दाखिल किया है, उसमें उसे ईवीएम को स्टैंड अलोन डिवाइस बता रखा है। कन्नन पूछते हैं कि अगर वह स्टैंड अलोन डिवाइस है तो वीवीपैट को जिस उम्मीदवार को वोट दिया, उसे छापने का कमांड कहां से मिलता है? इसका मतलब है कि ये कमांड उसमें कहीं न कहीं से फीड किया गया है। गोपीनाथन का दावा है कि पेपर ट्रेल मशीनों ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) को छेड़छाड़ की चपेट में ले लिया। आपको याद दिला दें कि साल 2017 के गोवा विधानसभा चुनावों के बाद से सभी ईवीएम के साथ मतदाता-सत्यापित पेपर ऑडिट ट्रेल मशीनों का इस्तेमाल किया गया है। आम चुनाव के दौरान दादर और नगर हवेली में निर्वाचन अधिकारी रहे गोपीनाथ ने फरवरी 2019 में चुनाव आयोग द्वारा प्रकाशित ‘मैनुअल ऑन इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन और वीवीपीएटी’ के नए संस्करण का हवाला देते हुए कहा है कि वो अभी भी अपने इस पक्ष पर कायम हैं, सिवाय इसके कि वीवीपैट के साथ हुए पहले चुनाव ने उनका भरोसा छीन लिया है। वीवीपैट ने ईवीएम कवच में एक छेद कर दिया है और इस प्रोसेस को हैकिंग के लिए रिस्पॉन्सिबल बना दिया है। कन्नन ने कहा कि अब ये चुनाव आयोग की जिम्मेदारी बनती है कि वह मुझे गलत साबित करे। उन्होंने कहा कि अगर वे जनता के बीच में कुछ भी गलत शक डाल रहे हैं तो भी इलेक्शन कमीशन की जिम्मेदारी बनती है कि मुझे गलत साबित करे। मगर शायद राजनीतिक पार्टियां अभी तक इस पर कोई सवाल नहीं उठा रही हैं तो नागरिक के सवाल उठाने का शायद उनके यानी इलेक्शन कमीशन के लिए कोई मतलब नहीं है। लेकिन कन्नन ने ये जोर देकर कहा कि उनके कहे का यह मतलब बिलकुल भी ना निकाला जाए कि वे ये कह रहे हैं कि 2019 का चुनाव हैक हो गया था।
ऐसा बिलकुल नहीं है। मगर हमने जो लूप होल दिखाया है, कम से कम उनको इसका तो जवाब देना चाहिए। एक दरवाजा खुल रहा है, जब आप ईवीएम को बाहरी डिवाइस यानी लैपटॉप या डेस्कटॉप से कनेक्ट करते हैं तो एक दरवाजा खुलता है। हम बस इतना कह रहे हैं कि एक बार उसे चेक करके हम सबको मुतमईन कर दिया जाए कि भाई दरवाजा बंद है। वहीं राजनीतिक पार्टियों कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने ईवीएम की विश्वसनीयता पर एक बार फिर से गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने इस सिलसिले में पूर्व आईएएस अधिकारी कन्नन गोपीनाथन के उठाए प्रश्नों का समर्थन करते हुए चुनाव आयोग से उनका जवाब देने की मांग भी की है। कांग्रेस नेता ने कहा है कि कन्नन गोपीनाथन ने ईवीएम को लेकर जो खुलासे किए हैं, उनसे चुनाव आयोग के दावों पर सवालिया निशान लग गया है। दिग्विजय सिंह ने कहा है कि आयोग दावा करता रहा है कि ईवीएम एक स्डैंडअलोन मशीन है, जिसे किसी बाहरी मशीन से नहीं जोड़ा जाता, लेकिन कन्नन गोपीनाथ ने जो जानकारियां दी हैं, उनसे आयोग का यह दावा संदेह के दायरे में आ गया है। दिग्विजय सिंह ने कहा है कि चुनाव आयोग बार-बार दावा कर चुका है कि ईवीएम में वन टाइम प्रोग्रामेबल चिप होती है, यानी एक ऐसी चिप जिसे एक ही बार प्रोग्राम किया जा सकता है, लेकिन ऐसी बहुत सी रिपोर्ट्स हैं, जिनमें दावा किया गया है कि वीवीपैट में मल्टी प्रोग्रामेबल चिप लगी है। मल्टी प्रोग्रामेबल चिप का मतलब है ऐसी चिप जिसे बार-बार प्रोग्राम किया जा सकता है। दिग्विजय सिंह ने कहा है कि अगर ऐसा है तो इसका यह भी मतलब हो सकता है कि कंट्रोल यूनिट को मैसेज देने का काम वीवीपैट से किया जाता है, बैलेट यूनिट से नहीं। दिग्विजय सिंह ने कहा है कि निर्वाचन आयोग को कन्नन गोपीनाथन के उठाए गंभीर सवालों का जवाब ज़रूर देना चाहिए। कांग्रेस नेता ने कहा कि कन्नन खुद चुनाव संपन्न कराने की प्रक्रिया में शामिल रह चुके हैं। ऐसे में निर्वाचन आयोग को उनकी शंकाओं का जवाब जरूर देना चाहिए, लेकिन क्या आयोग जवाब देगा? ये तो आने वाले दिनों में ही पता चल पाएगा।
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