करते रहिए, करते रहने में ही भलाई है
पवित्र तस्वीर है। आलेख से संबंध नहीं है। |
गुजरात में तो कर ही चुके। कितने देशों में कर चुके? कितने देशों में अभी करने जाएंगे? कितने देशों में दोबारा और कितने देशों में तिबारा भी कर आएंगे? अपने जैसे दो चार और करने वाले बनाएंगे। ओह, कैसा तो वह दृश्य होगा! सारे करने वाले एक कतार में बैठकर कर रहे होंगे! करने वालों को खेतों में ला दिया, जंगलों में बसा दिया। सब मिलकर कर रहे हैं। अहा, कैसा सुगंधित वातावरण है!! फायर है, ब्रांड है, नेता है और उसका करा हुआ है। कर देना, कहीं भी कर देना उनकी सबसे बड़ी खासियत है।
बड़े आदमी हैं, बड़ा बड़ा करते हैं। करते हुए सेल्फी भी देते हैं। स्ट्राइक तो वो बस यूं ही कर देते हैं। वह कौन सा भाव होता होगा मुखमंडल पर जब सर्जिकल वाली स्ट्राइक में करते होंगे? गुजराती स्ट्राइक में कौन सा भाव रहा होगा? खैर, भक्तों को उनके करते रहने से मतलब है। वो कैसा भी कर दें, भक्तों का प्रसाद है। सब उनका सुगंधित व्यसन है। सब मिल बांटकर ले रहे हैं। वह कर रहे हैं, यह उठा रहे हैं। फिर सब जगह उनका किया हुआ फैला रहे हैं। अहा, कहां कहां तो नहीं किया हुआ फैलाया है! बेरोजगारी तो फर्जी का रायता है। महंगी तो दाल है जो की नहीं जाती।
पूरा देश दिशा मैदान हो गया है। देश की दसों दिशाओं पर शाह जी और मोदी जी कर दे रहे हैं। हर दिशा में उनका किया हुआ रखा है। हर मैदान में उनका किया हुआ फैला है। यह मैदान भी छोटा पड़ जाता है। करने की अदम्य आकांक्षाओं से लैस दीमोले जी कभी कहीं किसी बच्चे का कान खींचकर करते हुए नजर आते हैं तो कहीं नगाड़ा बजाकर। अमरीका में तो कितनी बार कर चुके। स्वच्छता अभियान के करोड़ों से बने स्टेज पर भी जाकर कर आए। सहारनपुर भी कर आए। भगवान के अपने स्वर्ग में भी जाकर कर आए। नखलऊ में भी कर देने का पूरा इरादा है। लंका में कब करेंगे सर?
कभी किसी ने सोचा कि वो नाक बंद करके क्यूं करते हैं? कैसे सोचेगा? सभी नाक बंद करके ही करते हैं। पूरे देश को उन्होंने हर चीज पर बस कर देने के लिए तैयार कर लिया है। 2019 आने दीजिए, 2021 भी आने दीजिए। जो नहीं कर रहे होंगे वो किए हुए के नीचे दबे होंगे। मोदी जी तब तक इतना कर देंगे कि एक नया देश तैयार हो जाएगा। तैयार तो हो ही रहा है। लिमिटेड एक्सेस वाले लोग अनलिमिटेड कर रहे हैं। देश बदल रहा है। करे हुए दिन आने वाले हैं, दिन में करने वाले तो आ ही चुके हैं।
नोट- कृपया करने को करने के ही अर्थ में लें, करने के अर्थों में लेकर अर्थ का अनर्थ न बनाएं।
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