खड़ाऊं चुराकर भागे थे राम, किस मुंह से लड़ेंगे मोदी से चुनाव?
प्रेम प्रकाश जी पेशे से पत्रकार हैं। गाजीपुर के हैं, लेकिन इन दिनों बनारस में हैं और रंग में हैं। बीजेपी से बनारस की सांसदी के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के मुकाबले में बीएसएफ के तेज बहादुर यादव थे। तब तक तो कुछ नहीं हुआ, जब तक कि तेज बहादुर अकेले थे, लेकिन जैसे समाजवादी पार्टी ने उन्हें अपनी ओर से उम्मीदवार बनाया, चुनाव आयोग ने उनके सामने कठिन शर्त रख दी और उनकी उम्मीदवारी कैंसिल कर दी। हालांकि इस बीच सेना सेना मोदी मोदी भजने वाले भक्तों का सेना के प्रति आलाप प्रलाप में बदल चुका था। सो प्रेम जी के दिमाग में अचानक प्रकाश हुआ और उसने हम सबको अंधेरे से उस उजाले में खड़ा कर दिया, जहां प्रभु राम हैं। फर्क यही है कि प्रभु राम आज के वक्त में हैं। प्रेम जी ने बेहद शानदार लिखा है। आगे पढ़िए उनकी लिखाई-
मान लीजिए, अगर पता चले कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम स्वयं महीयसी सीता माता के साथ अकस्मात काशी पधारे और सीधे कलेक्ट्रेट जाकर महामना मोदी जी के खिलाफ पर्चा भर आये, तो क्या सोचते हैं, फेसबुकिया भक्तों की दीवारें कैसे फटेंगी!!
भक्त1- जय श्री राम की ऐसी तैसी, बताइये हम इनका भव्य मंदिर बनवाने में लगे हैं और इनको चुनाव लड़ने की पड़ी है। अरे देशभक्त होते तो टाट में पड़े रहते, लेकिन इनको तो अब संसद की एसी चाहिए। चुनाव लड़ने वाली कौमें क्रांति नही करती। तब क्यो नही लड़े, जब बाप ने देशनिकाला दे दिया था? कौन बाप निकालता है अपने लड़के को ऐसे भरी जवानी में? नाकारा रहे होंगे तभी तो।
भक्त2-पूरे रविवंश में ऐसा कपूत नही हुआ कोई। प्राण जाय पर वचन न जाई वाली परम्परा का तेल निकाल कर रख दिया। माँ बाप ने इनको अकेले वनवास दिया था तो बीवी को भी साथ ले गए। वनवास था कि वनविहार? याद रखियेगा, भाई को भी भाई नही, नौकर बनाकर ले गए थे।
भक्त3- अरे बीवी छोड़नी ही थी तो मोदी जी की तरह छोड़ते, बेचारे धोबी के कंधे पर रखकर बन्दूक चला दी। नाहक बदनाम किया बेचारे गरीब को। यही है, यही है सामंती मानसिकता, साफ पता चलता है कि दलित और पिछड़ा विरोधी आदमी थे। जिस बीवी को छोड़ने के लिए बेचारे धोबी को बदनाम कर दिया, उसी बीवी के लिए ब्राह्मण रावण को मारा बताइये। ये जाति द्रोही आदमी है, इनका तो पर्चा खारिज कर देना चाहिए।
भक्त4- रोज 30 बाण मारते थे। दस सिर और बीस भुजाएं काटते थे। वो सब फिर से उग आता था। देश का धन बरबाद करते रहे, वो तो मोदी जी ने कान में असली राज बताया कि इसकी नाभि में अमृत है। तब जा के 31वाँ बाण नाभि में मारा। तब जा के अमृत सूखा था, लेकिन बिकाऊ मीडिया ये सब नही बताएगा आपको।
भक्त5- मियां बीवी ने मिलकर बेचारे लक्ष्मण को तो मरवा ही डाला था। सोने के मृग वाला इतिहास वामी इतिहासकारों का लिखा इतिहास है। असली इतिहास पढ़िए तो पता चलेगा, मारीच से मिल के लक्ष्मण को मारने का पूरा प्लान था। लक्ष्मण तो समझ भी गए थे पर त्रिया चरित्र भी तो कोई चीज़ होती है।
बीजेपी आईटी सेल- बेकार का, बाप के पैसे पर राज करने का सपना देखने वाला जानकर जब बाप ने देशनिकाला दिया तो हजरत राजसिंहासन का रत्नजड़ित खड़ाऊं चुरा ले गए।भागते भूत की लँगोटी भली। वो तो भरत की पारखी नज़र ने ताड़ लिया और पूरे लाव लश्कर के साथ वो कीमती और ऐतिहासिक खड़ाऊं ले आने वन आये। आप असली इतिहास पढ़ के देखिए, भरत इनको मनाने नही आये थे। वही रत्नजड़ित खड़ाऊं लेने आये थे और पूरे समय वही मांगते रहे, अंत मे लेकर ही माने।
ये है इतिहास इन तथाकथित सूर्यवंशियों का। चुपचाप वही टाट में पड़े रहते तो भव्य क्या, मोदी जी दिव्य मंदिर बनवा देते। लेकिन ये तो देशद्रोही निकले। अब रहिये वहीं।
मान लीजिए, अगर पता चले कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम स्वयं महीयसी सीता माता के साथ अकस्मात काशी पधारे और सीधे कलेक्ट्रेट जाकर महामना मोदी जी के खिलाफ पर्चा भर आये, तो क्या सोचते हैं, फेसबुकिया भक्तों की दीवारें कैसे फटेंगी!!
भक्त1- जय श्री राम की ऐसी तैसी, बताइये हम इनका भव्य मंदिर बनवाने में लगे हैं और इनको चुनाव लड़ने की पड़ी है। अरे देशभक्त होते तो टाट में पड़े रहते, लेकिन इनको तो अब संसद की एसी चाहिए। चुनाव लड़ने वाली कौमें क्रांति नही करती। तब क्यो नही लड़े, जब बाप ने देशनिकाला दे दिया था? कौन बाप निकालता है अपने लड़के को ऐसे भरी जवानी में? नाकारा रहे होंगे तभी तो।
भक्त2-पूरे रविवंश में ऐसा कपूत नही हुआ कोई। प्राण जाय पर वचन न जाई वाली परम्परा का तेल निकाल कर रख दिया। माँ बाप ने इनको अकेले वनवास दिया था तो बीवी को भी साथ ले गए। वनवास था कि वनविहार? याद रखियेगा, भाई को भी भाई नही, नौकर बनाकर ले गए थे।
भक्त3- अरे बीवी छोड़नी ही थी तो मोदी जी की तरह छोड़ते, बेचारे धोबी के कंधे पर रखकर बन्दूक चला दी। नाहक बदनाम किया बेचारे गरीब को। यही है, यही है सामंती मानसिकता, साफ पता चलता है कि दलित और पिछड़ा विरोधी आदमी थे। जिस बीवी को छोड़ने के लिए बेचारे धोबी को बदनाम कर दिया, उसी बीवी के लिए ब्राह्मण रावण को मारा बताइये। ये जाति द्रोही आदमी है, इनका तो पर्चा खारिज कर देना चाहिए।
भक्त4- रोज 30 बाण मारते थे। दस सिर और बीस भुजाएं काटते थे। वो सब फिर से उग आता था। देश का धन बरबाद करते रहे, वो तो मोदी जी ने कान में असली राज बताया कि इसकी नाभि में अमृत है। तब जा के 31वाँ बाण नाभि में मारा। तब जा के अमृत सूखा था, लेकिन बिकाऊ मीडिया ये सब नही बताएगा आपको।
भक्त5- मियां बीवी ने मिलकर बेचारे लक्ष्मण को तो मरवा ही डाला था। सोने के मृग वाला इतिहास वामी इतिहासकारों का लिखा इतिहास है। असली इतिहास पढ़िए तो पता चलेगा, मारीच से मिल के लक्ष्मण को मारने का पूरा प्लान था। लक्ष्मण तो समझ भी गए थे पर त्रिया चरित्र भी तो कोई चीज़ होती है।
बीजेपी आईटी सेल- बेकार का, बाप के पैसे पर राज करने का सपना देखने वाला जानकर जब बाप ने देशनिकाला दिया तो हजरत राजसिंहासन का रत्नजड़ित खड़ाऊं चुरा ले गए।भागते भूत की लँगोटी भली। वो तो भरत की पारखी नज़र ने ताड़ लिया और पूरे लाव लश्कर के साथ वो कीमती और ऐतिहासिक खड़ाऊं ले आने वन आये। आप असली इतिहास पढ़ के देखिए, भरत इनको मनाने नही आये थे। वही रत्नजड़ित खड़ाऊं लेने आये थे और पूरे समय वही मांगते रहे, अंत मे लेकर ही माने।
ये है इतिहास इन तथाकथित सूर्यवंशियों का। चुपचाप वही टाट में पड़े रहते तो भव्य क्या, मोदी जी दिव्य मंदिर बनवा देते। लेकिन ये तो देशद्रोही निकले। अब रहिये वहीं।
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