Sunday, December 25, 2016

नए साल की प्रार्थनाएं

जो मुझसे नफरत करते हैं, वह और भी सुंदर होते जाएं।
जो मुझे नापसंद करते हैं, उनका काम कम खाने से भी चल जाए।
जो मुझे शूली पे टांगना चाहते हैं, उन्‍हें रोजगार मि‍ले।
जो मुझे दुख देते हैं, सुख उनकी कदमबोसी करे।
जि‍नकी आंखों में मुझे देख आग उतरती है, गर्मी का मौसम उन्‍हें कम सताए।
जो मुझे नहीं जानते, उन्‍हें नया जानवर पालने को मि‍ले।
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प्रेमि‍काएं धोखा देती रहें। मैं धोखे खाता रहूं।
पड़ोसी आग लगाते रहें। मैं बेपरवाह जलता रहूं।
दर्द बना रहे। कि‍सी को पता भी न चले।
बांध टूट पड़ें। पानी में मैं तैरता हुआ बहूं।
बाप से बेटा दूर रहे। पहचान और धुंधली होती जाए।
यादें नाचती रहें। उनके हाथों में पैने हथि‍यार हों।
धागे उलझे रहें। सुई खो जाए।
घर की तरह मैं बाहर भी फटे कपड़े पहनूं।
अदालतें चलें तो सिर्फ मेरा चलना बंद करने को।
कचेहरी खुले तो सिर्फ मुझे लगाने को।
कोई दि‍खे तो सिर्फ मुझे दि‍खाने को।
सबके घर के बाहर नए चबूतरे बनें, गर्मी की शाम उनपर पानी छि‍ड़का जाए।
नए साल में प्रार्थनाएं बंद हों।

1 comment:

Ashok Pande said...

बहुत बढ़िया! बहुत ही बढ़िया!!